
भोपाल/ आपका डेबिट और क्रेडिट कार्ड पर्स में पड़ा रह जाता है। मैसेज आता है कि आपके खाते से हजार या लाख रुपये निकल गए हैं। उसके बाद आप पुलिस थानों के चक्कर लगाते रहते हैं। ऐसे ही मामले में भोपाल पुलिस युगांडा के एक नागरिक को गिरफ्तार किया है। जो तीन डिवाइस की मदद से एटीएम कार्ड का क्लोनिंग करता था और उससे रकम की निकासी करता था।
आइए हम आपको बताते हैं, उन तीनों डिवाइस के बारे में। साथ ही यह भी बताएंगे कि यह यूज कैसे होता है। और आप क्या सावधानी बरतकर इससे बच सकते हैं। एटीएम क्लोनिंग के बारे में जानने से पहले भोपाल में बीते कुछ महीने में घटित घटनाओं में गिरफ्तार अपराधी के बारे में जान लीजिए। जिसने कटारा हिल्स इलाके में इन डिवाइस को एक एटीएम में फिट कर तीन लाख रुपये की निकासी की है।
युंगाडा का रहने वाला है युवक
पुलिस ने युंगाडा निवासी मुकासा एंडू उर्फ कम को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया है। आरोपी नवंबर में कटारा हिल्स इलाके में रह रहे अपने दोस्तों से मिलने के बहाने भोपाल आया। इलाका सुनसान देख उसने अमलतास कॉलोनी के एटीएम में चुपके से स्कीमर, कैमरा सेट कर दिया। कुछ दिन बाद स्कीमर निकालकर वापस चला गया। उसके बाद बेंगलुरु में लोगों के कार्ड का क्लोनिंग कर रुपये निकालना शुरू कर दिया। नवंबर 2019 में अमलतास कॉलोनी कटारा हिल्स स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के एटीएम से खाता धारकों के कार्ड की क्लोनिंग कर रकम निकालने का मामला सामने आया था। दस एटीएम धारकों ने साइबर क्राइम पुलिस से शिकायत दर्ज कराई थी।
ये हैं वो तीन डिवाइस
1. स्कीमर
एटीएम की क्लोनिंग करने के लिए साइबर अपराधी सबसे पहले स्कीमर का इस्तेमाल करते हैं। स्कीमर एक छोटी सी डिवाइस है। इसमें कार्ड रीडर लगा होता है। दिखने में कार्ड रीडर स्लॉट जैसा ही होता है। उपयोगकर्ता जैसे ही कार्ड स्वाइप करता है स्किमर कार्ड की मैग्नेटिक पट्टी पर स्टोर जानकारी को रीड कर लेती है। इस डिवाइस को साइबर अपराधी कार्ड स्वैप करने वाली जगह पर लगाते हैं। डिवाइस का कलर ऐसा होता है कि आपको शक नहीं होगा।
2. कैमरा
एटीएम की क्लोनिंग के लिए सबसे ज्यादा जरूरी होता है कि आपका पासवर्ड किसी को पता हो। इसके लिए साइबर अपराधी एटीएम के की-बोर्ड के ऊपरी हिस्से की बॉडी में उसी रंग की प्लेट में चिप लगा हुआ कैमरा लगाते। जैसे ही यूजर ने की-बोर्ड में पासवर्ड टाइप किया। उसी वक्त कैमरा उसे कैद कर लेता था। इस प्लेट के पीछे मेमोरी कार्ड और अन्य डिवाइस होते हैं। सेम कलर के होने की वजह से किसी को शक नहीं होता और अपराधी आपका पासवर्ड जान लेते हैं।
3. रीडर और राइटर डिवाइस
सबसे अहम काम साइबर अपराधी तीसरे डिवाइस के जरिए ही करते हैं। उन दोनों डिवाइसों को कुछ दिन तक एटीएम में रखने के बाद फिर उसे उखाड़ कर लाते हैं। उन दोनों का डाटा को जालसाज अपने लैपटॉप में पेस्ट करते हैं। इसके बाद रीडर और राइटर डिवाइस के जरिए इस डाटा को ब्लैंक कार्ड में अपलोड कर क्लोन कार्ड बना लिया। इसके बाद एटीएम बूथ से रकम निकाल लेते हैं।
वीडियो को देख बरत सकते हैं सावधानी
दरअसल, इस तरह के फ्रॉड को लेकर सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी वायरल है। वायरल वीडियो में यह दिखाया गया है कि स्कीमर और कैमरे की फीटिंग एटीएम मशीन में साइबर अपराधी कैसे करते हैं। ज्यादातर अपराधी इन डिवाइसों को सुनसान जगह में स्थित एटीएम में लगाते हैं। इस वीडियो को देख आप किसी भी एटीएम में जाने पर एहतियात बरत ऐसे फ्रॉड के मामले से बच सकते हैं।
आरोपी ने 16 हजार में मंगवाई डिवाइस
वहीं, युगांडा के आरोपी ने पुलिस की पूछताछ में कबूला कि उसने रीडर-प्लस-राइटर डिवाइस ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट से 16 हजार हजार रुपये में मंगवाई थी। जबकि स्कीमर और कैमरा के बारे में बताया कि उसे आशिमा मॉल के पास एक एटीएम में लगा मिला था। संदेह होने पर उसे उशने निकाल लिया। उसके बाद एसबीआई के एटीएम में सेटकर दिया। हालांकि पुलिस उसके तर्क को मान नहीं रही है। पुलिस का कहना है कि स्कीमर तीन-तीन हजार रुपये में मिल जाते हैं।
Published on:
18 Jan 2020 05:20 pm
बड़ी खबरें
View Allभोपाल
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
