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एक दिन के लिए कलेक्टर बनीं दृष्टीबाधित सुदामा अब पाई- पाई को मोहताज

- सुदामा बोलीं- प्रदेश के लिए कई मेडल लेकर आईं लेकिन नहीं मिल रही कोई मदद, यूपीएससी की तैयारी करना चाहती हूं

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भोपाल@ दुनिया नहीं देख पाने के बावजूद आसमान छूने की तमन्ना है। लेकिन आर्थिक तंगी से अब कटनी जिले के ढीमरखेड़ा कि दृष्टिवाधित जूडो खिलाड़ी सुदामा चक्रवर्ती के हौसले पस्त होने लगे हैं। सुदामा के घर की माली हालात ठीक नहीं है। पिता मजदूरी कर जैसे- तैसे परिवार का भरण पोषण करते हैं। इन्हीं हालातों के बीच सुदामा ने बीए फाइनल का सफर तो पूरा कर लिया लेकिन अब आगे कि पढ़ाई छूट सकती है। क्योंकि पिता के पास अब पैसे का अभाव है। सुदामा कहती हैं उनकी तमन्ना तो यूपीएससी की तैयारी के साथ जूडो में अपना कैरियर बनाऊं और इंटरनेशनल पैरा ओलंपिक में खेलकर देश और प्रदेश का मान बढ़ाऊं लेकिन सुविधाओं को अभाव और आर्थिक चुनौती बड़ी समस्या बनी हुई है।

साल 2022 में बन चुकी हैं सांकेतिक कलेक्टर

बता दें सुदामा चक्रवर्ती को साल 2022 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर एक दिन का सांकेतिक कटनी का कलेक्टर बनाया गया था। साथ ही जर्मनी के डायरेक्टर सुदामा के जीवन पर आधारित एक शॉर्ट फिल्म भी बना चुके हैं। लेकिन इसके बावजूद सुदामा आज माली दौर से गुजर रही हैं। घर के आर्थिक हालात इतने खराब हैं कि सुदामा के सामने पढ़ने का संकट खड़ा हो गया है। चूकी पांच भाई- बहन होने के कारण पिता ढंग से घर चलाने में भी असमर्थ हैं।

जूडो खिलाड़ी सुदामा चक्रवर्ती की उपलब्धियां

- साल 2015 में गोवा में आयोजित टूर्नामेंट में गोल्ड मेडल जीता।
- 2016 में लखनऊ में ब्रांज मेडल जीता।
- 2017 में गुड़गांव में गोल्ड मेडल जीता।
- 2018 में दोबारा गुड़गांव में ब्रांज मेडल जीता।
- 2019 में दिल्ली में सिल्वर मेडल जीता।
- 2021 में लखनऊ में सिल्वर मेडल जीता।

मैं मदद करवाऊंगा
ब्लाइंड जूडो की फेडरेशन अलग है, लखनऊ से संचालित होती है। वैसे मैं इस बच्ची के आर्थिक हालातों से वाकिफ नहीं हूं। फिर भी आप मुझे जानकारी उपलब्ध करवा दें। जो मदद हो सकेगी मैं करवाऊंगा।

डॉ वीके डबास, सीईओ, पैरा स्पोर्टस एसोसिएशन मप्र