
Gandhi Sagar Dam of Mandsaur District on 16 June 2022
अच्छे मानसून के बाद बीते साल देश के अधिकांश बांध लबालब थे मगर गर्मी की उग्रता से ऐसा प्रतीत हो रहा था कि यह पानी को सोख लेगी। हुआ कुछ अलग ही है, बांधों में मौजूद पानी के खजाने ने गर्मी से जमकर मुकाबला किया और अब भी पर्याप्त पानी वहां मौजूद है।
विजय चौधरी
भोपाल. तेज गर्मी के बीच लंबे इंतजार के बाद आखिरकार मध्यप्रदेश में मानसून ने दस्तक दे दी। खंडवा, बुरहानपुर, बैतूल के रास्ते मानसून ने मध्यप्रदेश में प्रवेश किया। मौसम विभाग ने कहा है अब मानसून जबलपुर, सागर, रीवा, शहडोल पहुंचेगा और दो—तीन दिन में राजधानी भोपाल में बादल बरसेंगे।
मानसून के आगमन के साथ यह देखना लाजमी है कि देश के बांधों की क्या स्थिति है। पता चला है कि देश के 143 बांधों में उनकी मौजूदा क्षमता का तीस फीसदी पानी इस वक्त मौजूद है। वैसे तो गर्मी की शुरुआत यानी मार्च में यह प्रतिशत 55 था और इस बार लग रहा था कि पानी की कमी रहेगी।
केंद्रीय जल आयोग Central Water Commission की ताजा रिपोर्ट से पता चला है कि देश के अधिकांश बांधों का जल स्तर गिरा है। हालांकि, यह गिरावट बीते वर्ष से तीन फीसदी कम ही है। वर्ष 2021 में 9 जून को बांधों में 27 प्रतिशत पानी था, जो कि इस साल 9 जून को 30 प्रतिशत है। विशेषज्ञ इस गिरावट को बहुत ही सामान्य मानते हैं। उनके मुताबिक समुद्री इलाकों से दूर मौजूद बांधों पर भाप के रूप में पानी उडऩे से बहुत नुकसान होता है। बावजूद इसके इस बार स्थिति बेहतर है।
बांधों में कब रहा कितना पानी*
| गर्मी की शुरुआत में | 96.196 बीसीएम^ पानी था 3 मार्च 2022 को |
| मानसून के ठीक पहले | 52.815 बीसीएम^ पानी है 9 जून 2022 को |
| बीते वर्ष की स्थिति | 47.382 बीसीएम^ पानी था 9 जून 2021 को |
*20 राज्यों में मौजूद 143 बांधों में ^ बीसीएम : बिलियन क्यूबिक मीटर
दक्षिण में बेहतर, पूर्व में बदतर
केंद्रीय जल आयोग ने देश के बांधों को पांच जोन में बांटकर अध्ययन किया है। इसमें सबसे अच्छी स्थिति दक्षिण जोन में मौजूद 40 बांधों की है, जबकि पूर्वी जोन के 21 बांधों में पानी का स्तर गिरा है।
| जोन | राज्य | मौजूदा पानी प्रतिशत |
| दक्षिण | आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडू | 36 प्रतिशत |
| मध्य | मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश, उत्तरांचल | 32 प्रतिशत |
| पश्चिम | गुजरात, महाराष्ट्र | 27 प्रतिशत |
| उत्तर | हिमाचल प्रदेश, पंजाब, राजस्थान | 26 प्रतिशत |
| पूर्व | प. बंगाल, बिहार, झारखंड, उड़ीसा, त्रिपुरा, नागालैंड | 18 प्रतिशत |
क्षमता के अनुसार
| मध्यप्रदेश के बांध | अभी | बीते वर्ष |
| गांधीसागर, मंदसौर | 64% | 46% |
| अटलसागर, शिवपुरी | 52% | 12% |
| बाणसागर, शहडोल | 48% | 39% |
| राजघाट, अशोेक नगर | 45% | 03% |
| बरना, रायसेन | 36% | 41% |
| बरगी, जबलपुर | 35% | 41% |
| कोलार डैम, भोपाल | 30% | 35% |
| इंदिरा सागर, खंडवा | 15% | 15% |
| तवा, नर्मदापुरम | 08% | 07% |
| संजय सरोवर, सिवनी | 05% | 11% |
| ओंकारेश्वर, खंडवा | 03% | 16% |
Expert says... यह स्थिति अच्छी है
बांधों का पानी गर्मी में तीन कारणों से कम होता है। एक सिंचाई या बिजली बनाने से, दूसरा वाष्पीकरण से और तीसरा भूजल की क्षतिपूर्ति से। समुद्र से दूर मौजूद बांधों का सबसे अधिक पानी वाष्पीकरण में जाता है क्योंकि वहां हवा में नमी नहीं होती है और पानी तेजी से उड़ता है। ऐसे ही जिन बांधों के पास में भूजल स्तर अच्छा है, वहां लोग सिंचाई करते हैं । इससे जमीन में जो कमी आती है, उसकी क्षतिपूर्ति बांधों के पानी से ही होती है। यह प्रक्रिया धरती-पाताल के बीच में चलती रहती है। इस बार के आंकड़े बता रहे हैं कि पानी की अच्छी उपलब्धता है। अभी मानसून आने को है और सिंचाई की आवश्यकता सितंबर-अक्टूबर में रहेगी, इसलिए उम्मीद की जाना चाहिए कि बांध फिर से पूर्व स्थिति में आ जाएंगे।
- सुधींद्र मोहन शर्मा, जल प्रबंधन विशेषज्ञ
Updated on:
17 Jun 2022 01:25 am
Published on:
17 Jun 2022 01:23 am
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