डीआईजी भोपाल (शहर) इरशाद वली के मार्गदर्शन में इस कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में डीआईजी ने प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रत्येक पुलिस अधिकारी के प्राथमिक कर्तव्य क्या-क्या हैं उन्हें इसकी जानकारी होनी चाहिए। उसे थाने में आने वाली पीडि़ता के प्रति संवेदनशीलता बरतनी चाहिए एवं तत्काल उचित कार्रवाई के साथ उसमें पारदर्शिता लानी चाहिए। उन्होंने कहा कि महिलाओं के हित में माननीय उच्च न्यायालय द्वारा समय-समय जो नियम जारी किए गए हैं, उसका पालन कर पीडि़ता को न्याय दिलाने के लिए उचित व वैधानिक कार्रवाई सुनिश्चित करना चाहिए।
कार्यक्रम की आयोजक चाइल्ड लाईन की डायरेक्टर अर्चना सहाय एवं आरंभ संस्था के अमरजीत सिंह ने कार्यशाला में पहुंचने वाले पुलिसकर्मियों सहित अन्य को बताया कि बालक/बालिकाओं के विरुद्ध घटित होने वाले विभिन्न प्रकार के अपराधों में किस हालात में कौन सी धारा लगाई जाएगी। उक्त धाराओं में कौन सी सजा हो सकती है, इसकी भी जानकारी दी गई।
इसके साथ ही बालक/बालिकाओं के विरुद्ध घटित होने वाले अपराधों में लगने वाली पोक्सो एक्ट, जेजेएक्ट की विभिन्न धाराओं एवं उनके सेक्सन्स, सजा व समय-समय पर आवश्यकता के अनुसार धाराओं में हुए संसोधन के बारें मेंं भी जानकारी दी गई। कार्यशाला के दौरान बताया गया कि बालक एवं बालिकाओं के हित में माननीय उच्च न्यायालय द्वारा समय-समय पर जो नियम जारी किए गए हैं, उसका पालन कर तत्काल उचित और वैधानिक कार्रवाई करने से पीडि़ता को शीघ्र न्याय मिलने की ज्यादा उम्मीद रहती है।
कार्यशाला में बताया कि पुलिस को चाइल्ड लाइन के साथ मिलकर समय-समय पर अभियान चलाकर विभिन्न स्थानों और चौक-चौराहों के साथ ही सड़कों पर भीख मांगने वाले बच्चों से पूछताछ करने के साथ ही उनकी कॉउंसलिंग कर उनके कल्याण के लिए प्रयास किए जाने चाहिए। इसके साथ ही उनसे भीख मंगवाने वाले लोंगों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। प्रशिक्षण कार्यशाला में सीएसपी नरेन्द्र राठौर, थाना प्रभारी सहित 50 से 55 पुलिसकर्मी मौजूद रहे।