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वुमन इंटरप्रैन्योर: महिलाओं को राजनीति, प्रशासन और पॉलिसी मेकर बनकर समाज को बदलना होगा

- एसिड अटैक सर्ववाइवर रितु सैनी का दर्द: जिसने मुझ पर हमला किया उसे हाईकोर्ट से राहत मिल गई, वह अभी बाहर है और मैं दर्द झेल रही हूं - एसिड अटैक के बाद सात ऑपरेशन हो चुके हैं, लेकिन हिम्मत नहीं हारी, हमने कैफे शुरू किया, जिसे केवल पीडि़त युवतियां चलाती हैं

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वुमन इंटरप्रैन्योर: महिलाओं को राजनीति, प्रशासन और पॉलिसी मेकर बनकर समाज को बदलना होगा

वुमन इंटरप्रैन्योर: महिलाओं को राजनीति, प्रशासन और पॉलिसी मेकर बनकर समाज को बदलना होगा

भोपाल। सीआईआई के इंडियन वुमन नेटवर्क चैप्टर की ओर से वुमन इंटरप्रैन्योर women Entrepreneur पर वुमन इन बिजनेस Women in business : ब्रिंगिंग चैलेजेंस कार्यक्रम का आयोजन श्यामला हिल्स स्थित एक निजी होटल में किया गया, जिसमें बिजनेस वुमन ने सफलता के संघर्ष Bringing Challenges को साझा किया, साथ ही बिजनेस के दौरान महिला होने के कारण आने वाली चुनौतियों से भी रू-ब-रू कराया।

इस मौके पर अमृता राय ने कहा कि महिलाओं को राजनीति, प्रशासन और पॉलिसी मेकर बनकर समाज को बदलना होगा। महिला पहले पिता पर फिर पति पर डिपेंड होती है। उनका स्वतंत्र होकर काम करना मुश्किल होता है।

मैं तड़पती रही और लोग तमाशबीन बन खड़े हुए थे...
एसिड अटैक सर्ववाइवर 24 वर्षीय रितु सैनी ने बताया कि मैं रोहतक में परिवार के साथ रहती थी। वॉलीबॉल की स्टेट प्लेयर थी। 17 साल की उम्र में मुझ पर एसिड अटैक हुआ, तब मैं प्रैक्टिस के लिए जा रही थी। एसिड अटैक हुआ तो मोहल्ले वाले मदद की बजाय तमाशबीन बने रहे।

यदि मुझे तुरंत अस्पताल ले जाते तो इतना दर्द नहीं झेलना पड़ता। अब तक मेरे सात ऑपरेशन हो चुके हैं। अभी और न जाने कितने ऑपरेशन होने बाकी हैं। उन्होंने कहा कि दरअसल एसिड उस व्यक्ति के दिमाग में भरा होता है। यदि वो लड़का सोच लेता कि शरीर पर जरा-सा गर्म तेल गिर जाने पर कितना दर्द होता है, तो वो एसिड नहीं फेंकता। एसिड के कारण मेरे चेहरे के साथ हड्डियां तक चली गईं।

आंखों से दिखना बंद हो गया। मैं दो माह तक अस्पताल में भर्ती रही। पैरेन्ट्स के सपोर्ट ने मुझे टूटने नहीं दिया। मैं छांव फाउंडेशन से जुड़ी और मेरी ही तरह की विक्टिम्स के लिए काम करने लगी। आगरा में हमने सीरोज हैंडआउट कैफे खोला। उसमें दस सर्वाइवर काम करती थीं।

लोग जैसे ही कैफे में आते, उन्हें लगता कि हम इनका चेहरा क्यों देखें। वे वहां एक मिनट रुकना तक पसंद नहीं करते थे। उन्हें लगता था कि हम इनकी मदद क्यों करें। कई बार तो दिनभर में एक ग्राहक भी नहीं आता था।

हम सभी रोते थे, एक-दूसरे को हिम्मत बंधाते थे कि एक दिन हमें कामयाबी जरूर मिलेगी। करीब एक साल तक ये चलता रहा। आज लोगों को सोच बदली है, हमें भी सामान्य इंसान की तरह समझाना जाने लगा है। हमारे कैफे में अब ग्राहक आने लगे हैं। उन्होंने बताया कि हमने लखनऊ में भी कैफे खोला, जहां 15 सर्ववाइवर जॉब करती हैं।

महिलाओं में लीडरशिप डेवलप कर बढ़ा सकते हैं जीडीपी...
मैं ने लंदन में बतौर लॉयर अपना कॅरियर शुरू किया। वहां भी महिलाओं के लिए चैलेंजस कम नहीं थे। मैं खेतान एंड कंपनी से बतौर पार्टनर जुड़ी हूं। मेरा मानना है कि महिला मल्टीटास्कर होती है। उसे बस ऑर्गेनाइजेशन से सपोर्ट मिलना चाहिए। अभी मल्टीनेशनल कंपनी से लेकर सामान्य कंपनियों तक में लीडरशिप स्तर पर महिलाओं का योगदान बहुत कम है। मीडिल लेवल तक आने के बाद उनका ड्राप आउट शुरू हो जाता है।

महिला यदि 6 माह की मेटरनिटी लीव लेना चाहे तो ऐसी स्थितियां बना दी जाती है कि उसे जॉब तक छोडऩा पड़ता है। कंपनियों में महिलाओं का ड्राप आउट रेट 40 से 50 प्रतिशत है, जो पुरुषों के मुकाबले बहुत ज्यादा है। महिलाओं में लीडरशिप डेवलप कर हम देश की जीडीपी ग्रोथ को ओर तेजी से बढ़ा सकते हैं।
- कल्पना उनादकट, बिजनेस वुमन


चार्टर के बिजनेस में आए तो पाइलेट ने कहा शादी कर लो
क निका टेकरीवाल भोपाल की रहने वाली हैं। उसका सपना पायलट बनने का था। लोगों ने कहा कि लड़की होकर पाइलेट क्यों बनना। उसने हिम्मत नहीं हारी और प्रयास जारी रखा। 2014 में हमने प्राइवेट प्लेन-हेलिकॉप्टर को किराए पर देने का बिजनेस शुरू किया।

हमारे पाइलेट एयरफोर्स और नेवी के सीनियर रिटायर्ड ऑफिसर थे। जब कनिका ने मुझे ये प्लान बताया तो एक पायलट ने कहा कि बिजनेस शुरू कर क्या करोगी, मैं तुम्हारी शादी करा देता हूं। हमने हार नहीं मानी। देश के बड़े उद्योगपतियों को बताया कि चार्टर और हेलिकॉप्टर किराए पर दीजिए। आज हमारी कंपनी 24 प्लेन और 3 हेलिकॉप्टर के साथ देश की पांच बड़ी कंपनियों को मैनेज करती है।
- पल्लवी स्वरूप, वाइस प्रेसिडेंट

डायरेक्टर ने चार साल तक बात कर लिखी कहानी
रितु ने बताया कि फिल्म छपाक एसिड अटैक का शिकार हुईं युवतियों की ही कहानी है। डायरेक्टर ने करीब 4 साल तक पीडि़ताओं से बात कर फिल्म का कहानी लिखवाई। मेरा मानना है कि ऐसी मूवी आना चाहिए, शायद इससे ऐसी लोगों की सोच में फर्क आए। मैं भी इस फिल्म में एक रोल कर रही हूं।

अभी हम लोग 60 पीडि़ताओं का लीगल सपोर्ट और ट्रीटमेंट करवा रहे हैं। हालांकि मुझे दुख भी होता है कि जिसने मुझ पर हमला किया था उसे हाईकोर्ट से राहत मिल गई। वह अभी बाहर है और मैं दर्द झेल रही हूं।