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बिना एक दूसरे को देखे इनके बीच है ‘खून का रिश्ता’,ब्लड डोनेशन से जुड़े अंधविश्वासों को खत्म करने में जुटे युवा

locationभोपालPublished: Jun 14, 2019 03:28:15 pm

वल्र्ड ब्लड डोनर डे : 2019 : ब्लड डोनेशन पर डोनर्स का पत्रिका ने किया सम्मान…

2019 world blood donor day

बिना एक दूसरे को देखे इनके बीच है ‘खून का रिश्ता’,ब्लड डोनेशन से जुड़े अंधविश्वासों को खत्म करने में जुटे युवा

भोपाल। रक्त दान महादान ये सलोगन तो आपने भी कई बार सुना होगा। पर क्या आप जानते हैं कि आज भी देश में कई लोग रक्तदान की बात सुनते ही सहम तक जाते हैं।

वहीं जो लोग रक्त दान करते हैं उनमें से कई लोगों का इसी रक्त दान के चलते बिना आपसी जान पहचान के खून का रिश्ता तक बन चुका है।

जानकारों की मानें तो जागरुकता की कमी के चलते ब्लड डोनेशन नहीं किए जाने की स्थिति में जरूरतमंदों को समय पर ब्लड नहीं मिल पाता जिसके कारण आज भी लोग मौत का शिकार हो रहे हैं।

ब्लड डोनेशन को लेकर हमारे समाज में इतनी भ्रांतियां हैं कि लोग अपने परिवार के सदस्यों को भी रक्तदान करने से डरते हैं।

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अंधविश्वास के कारण ब्लड बैंक में भी अक्सर कैंसर, थैलेसीमिया और एक्सीडेंट के मरीजों को ब्लड के लिए परेशान होना पड़ता है। इस बीच कुछ लोग ऐसे भी हैं जो न सिर्फ ब्लड डोनेशन कर रहे हैं बल्कि अन्य को प्रेरित भी कर रहे हैं।

कोई हर तीन माह में ब्लड डोनेशन करता है तो कोई अपनी पॉकेटमनी से मरीजों की मदद करता है तो कोई बिजनेस या जॉब से छुट्टी लेकर ब्लड देने पहुंच जाता है।

वल्र्ड ब्लड डोनर डे के अवसर पर पत्रिका ने ऐसे ही 14 डोनर्स को पत्रिका कार्यालय में गुरुवार को आयोजित कार्यक्रम में सम्मानित किया।

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कार्यक्रम में सव्यसाची रॉय, विवेक कोराने, राजेश ताम्रकर, अस्मा खान, अमित अरोरा, मनीष तौलानी, विनोद यादव, पदम राजपूत, लवीश पंवार, अतिथ शुक्ला, नुपुर सौंधिया, ऋषभ शर्मा, राजकुमार और विशाल जाटव को सम्मानित किया गया।

एलआईसी का टूरिंग जॉब होने के कारण जो भी व्यक्ति मिलता है उसे प्रेरित कर डोनेशन कराता हूं। 20 साल की उम्र में पहली बार ब्लड डोनेशन किया था। अब तक 23 बार ब्लड डोनेट कर चुका हूं। मैं ‘रिश्ता खून का’ नाम से एक व्हाट्स ऐप ग्रुप भी चलाता हूं। इस ग्रुप के 200 में से 50 सदस्य भी नियमित ब्लड डोनेट करते हैं। यदि किसी मरीज को आधी रात को भी ब्लड की जरूरत होती है तो मैं और ग्रुप के सदस्य डोनेशन करने जाते हैं।
– राजेश ताम्रकर, ब्लड डोनर

परिवार के सदस्यों के साथ हमीदिया अस्पताल जाती थी। वहां देखा कि खून नहीं मिलने पर मरीजों को कितनी परेशानी होती है। कई की जान तक चली जाती है। 5 साल पहले मैंने पहली बार मैंने ब्लड डोनेशन किया। पहली बार कैंसर पेशेंट को ब्लड डोनेट किया था। अब तक 20 बार ब्लड डोनेट कर चुकी हूं। मैंने हर ब्लड ग्रुप के लिए एक अलग व्हाट्स ऐप ग्रुप बना रखा है। 8 ग्रुप में &00 से ज्यादा सदस्य हैं।
– अस्मा खान, ब्लड डोनर

 

व्हाट्स ऐप पर हर ब्लड ग्रुप के लिए बनाया अलग ग्रुप, तीन माह होते ही खुद ही चले जाते हैं रक्तदान करने हर 60 दिन में देता हूं ब्लड, मेरे परिवार में 30 से ज्यादा सदस्य डॉक्टर्स हैं। सभी ब्लड डोनेशन करते है। मैंने पहली बार 2004 में ब्लड डोनेशन किया था। अब तक 63 बार ब्लड डोनेशन कर चुका हूं। बिजनेसमैन होने के कारण जहां भी जाता हूं लोगों को ब्लड डोनेट करने के लिए अवेयर करता हूं। अब तक 800 लोगों को मोटिवेट कराकर डोनेशन करा चुका हूं। मैं हर 60 दिन में ब्लड डोनेशन करता हूं।
– सव्यसाची रॉय, ब्लड डोनर

 

68 बार कर चुका हूं ब्लड डोनेट
1996 में पापा को किडनी डिसीज के कारण ब्लड की जरूरत होती थी। लोग ब्लड डोनेशन में घबराते थे। मैंने पहली बार अपने पिता को ब्लड डोनेट किया। इसके बाद मैंने देखा कि अन्य मरीजों को भी परेशान होना पड़ता है। तब से लगातार ब्लड डोनेशन कर रहा हूं। अब तक 68 बार ब्लड डोनेट कर चुका हूं। 700 अन्य लोगों को भी प्रेरित कर डोनेशन करा चुका हूं।
– विवेक कोराने, ब्लड डोनर

 

1991 में पहली बार ब्लड डोनेशन किया था। मैं जब 18 साल का हुआ तो बर्थ डे के दिन ही ब्लड डोनेशन किया। मेरा बेटा हाल ही 18 साल का हुआ तो उसे बर्थ डे के दिन ही ब्लड डोनेशन कराया। अब तक 60 से ज्यादा बार ब्लड डोनेट कर चुका हूं। करीब 100 लोगों को मोटिवेट कर ब्लड डोनेशन भी करा चुका हूं। मैं हर तीन माह में ब्लड डोनेशन करता हूं। यह हम सभी की सामाजिक जिम्मेदारी है।
– अमित अरोरा, ब्लड डोनर

मैं जब 18 साल का था तो मम्मी गंभीर रूप से बीमार हो गई। उन्हें ब्लड की जरूरत थी, लेकिन ब्लड मिलने में काफी परेशानी हो रही थी। तब पहली बार ये महसूस किया कि ब्लड के कारण मरीज किस दर्द से गुजरते हैं। मम्मी को जब ब्लड दिया तो लगा कि ब्लड डोनेशन को लेकर कितने अंधविश्वास हैं। मैं अब तक 60 से ज्यादा बार ब्लड डोनेशन कर चुका हूं। पिछले 22 साल से डोनर के साथ अवेयरनेस कार्यक्रम भी चलाता हू्ं।
– मनीष तोलानी, ब्लड डोनर

ब्लड डोनेट करने से बढ़ता है वजन
यह भ्रांति है कि रक्तदान से शरीर में कमजोरी आती है, डोनर बीमार हो जाता है। हमीदिया अस्पताल के ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. यूएम शर्मा के अनुसार 18 से 56 साल तक का कोई भी स्वस्थ व्यक्ति साल में तीन से चार बार ब्लड डोनेट कर सकता है।

बशर्ते उसका वजन 45 किलोग्राम से अधिक और हीमोग्लोबिन 12.5 से अधिक होना चाहिए। डोनर को हल्का भोजन या नाश्ता करने के बाद ही ब्लड डोनेट करना चाहिए। ब्लड डोनेट करने के बाद कॉफी या दूसरे तरल पेय पदार्थ लेना चाहिए। ब्लड डोनेशनल करने से धीरे-धीरे वेट भी बढ़ता है।

ब्लड स्टेटस इन सिटी
06 सरकारी ब्लड बैंक
02 ब्लड स्टोरेज यूनिट
200 यूनिट डेली ब्लड की जरूरत
08 प्राइवेट ब्लड बैंक
850 थैलेसिमिया पीडि़त बच्चे

रक्तदान के फायदेरक्तदान करने के 21 दिन के भीतर बॉडी में नया खून बन जाता है। नियमित रक्तदान से शरीर में आयरन की मात्रा संतुलित रहती है। इससे कैलोरी और वसा बर्न होती है। शरीर भी फिट रहता है।

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