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Bikaner Gas Cylinder Blast: ‘मेरा भाई मिला क्या साब… ‘ रोते हुए बोला लालचंद का बड़ा भाई

बीकानेर सिलेंडर ब्लास्ट की घटना ने पूरे शहर को झकझोर दिया।

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gas cylinder explosion in Bikaner

बीकानेर में गैस सिलेंडर ब्लास्ट

Bikaner News: बीकानेर में मदान मार्केट मंगलवार को अचानक मातम का मंजर बन गया। दोपहर तक जहां रोज़ की हलचल थी, वहीं कुछ घंटों में चारों तरफ धुआं, चीखें और अफरा-तफरी फैल गई। सिलेंडर ब्लास्ट की घटना ने पूरे शहर को झकझोर दिया, लेकिन सबसे अधिक चोट उन चेहरों पर थी जो ट्रॉमा सेंटर के बाहर खड़े अपनों की एक झलक के लिए रोते, चिल्लाते, पूछते फिर रहे थे।

साब, मेरा भाई लालचंद कहीं दिखा क्या

यह सवाल पूरे दिन ट्रॉमा सेंटर के बाहर गूंजता रहा। लालचंद के बड़े भाई की आंखों में आंसू थे और दिल में उम्मीद कि शायद वह अंदर कहीं जीवित हो।

हर सुरक्षाकर्मी, हर डॉक्टर, हर अफसर से वह एक ही सवाल करता रहा-’’मिल गया क्या मेरा भाई?’’ लेकिन जवाब किसी के पास नहीं था। शाम तक जब कोई खबर नहीं आई, तो डर उसकी उम्मीदों पर भारी पड़ने लगा। वह अस्पताल के बाहर बैठा, आंखें टकटकी लगाए, बस एक खबर के इंतज़ार में था।

मलबे में बिखरे रिश्ते, ट्रॉमा सेंटर में जमी उम्मीद

ब्लास्ट के बाद जो एम्बुलेंस ट्रॉमा सेंटर पहुंचती, उसे भीड़ ऐसे घेर लेती, जैसे उसमें उनका अपना कोई हो। पुलिस को लोगों को संभालना तक मुश्किल हो गया। आंखों में भय, हाथों में मोबाइल और दिल में दुआ—हर किसी की यही हालत थी।

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चाय दी और कुछ देर में धमाका हो गया

रविन्द्र सिंह की आंखों में खौफ था। सुबह वह रोज़ की तरह चाय देने मार्केट गया, 25-30 कप देकर निकला ही था कि धमाका हुआ। ‘‘जब लौट कर आया तो कुछ भी समझ नहीं आया। कहीं से धुआं उठ रहा था, कहीं लोग मलबा हटा रहे थे।’’ उसने भी हाथ बढ़ाया, ताकि कोई एक जान बच जाए।

मदान मार्केट की तंग गलियों ने राहत कार्य को और मुश्किल बना दिया। बिना पर्याप्त संसाधनों के, पुलिस और स्थानीय लोग जुगाड़ से मलबा हटाते रहे। कोई जेसीबी की मांग कर रहा था, कोई हाइड्रा बुलाने को कह रहा था। लेकिन इंसानियत ने हार नहीं मानी।

बच्चे चुप थे, महिलाएं सहमी थीं

महिलाएं अपने बच्चों को लेकर बाहर निकलीं, डर उनकी आंखों में साफ दिख रहा था। बाजार जो रोज़ उनकी दिनचर्या का हिस्सा था, आज दहशत का चेहरा बन गया था।

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