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अधूरे हाईवे पर टोल वसूली, प्रोजेक्ट  पूरे नहीं

locationबीकानेरPublished: Aug 12, 2019 01:27:06 am

Submitted by:

Hari Hari Singh

bikaner-mahajan news: सूरतगढ़ से बीकानेर नेशनल हाइवे
पूर्ववर्ती सरकार ने जिस कम्पनी को करीब ढाई साल तक टोल वसूली की अनुमति नहीं दी, नई सरकार ने उसी कम्पनी को बिना हाईवे पूरा किये टोल वसूली का लाइसेंस थमा दिया

Toll recovery on incomplete highway

Toll recovery on incomplete highway

बीकानेर. महाजन. राज बदलते ही कैसे काज बदल जाते है। इसका अंदाजा सूरतगढ़ से बीकानेर नेशनल हाइवे को देखकर लगाया जा सकता है।

राज्य की पूर्ववर्ती सरकार ने हाइवे के अधूरे निर्माण के चलते जिस कम्पनी को करीब ढाई साल तक टोल वसूली की अनुमति नहीं दी, राज बदलते ही नई सरकार ने उसी एमबीएल कम्पनी को बिना हाइवे पूरा किये टोल वसूली का लाइसेंस थमा दिया।
जबकि हकीकत यह है कि इस हाइवे का अब तक विधिवत उद्घाटन भी नहीं हुआ और सूरतगढ़ से बीकानेर के बीच कई प्रोजेक्ट अधूरे पड़े है। जिनमें कई महत्वपूर्ण पुल व अण्डरपास भी शामिल है।
सरकार की ओर से कम्पनी को कार्य पूरा करने के लिए मार्च 2020 तक की समय सीमा भी दी गई है लेकिन टोल वसूली के छह माह बाद भी कम्पनी निर्माण कार्य पूर्ण करने में कोई रूचि नहीं दिखा रही है।
गौरतलब है कि वर्ष 2011 में बीकानेर से सूरतगढ़ एवं सूरतगढ़ से श्रीगंगानगर के बीच मेगा हाइवे स्वीकृत हुआ था। बीकानेर से सूरतगढ़ के बीच निर्माण के लिए एमबीएल कम्पनी को 650 करोड़ रुपए की लागत से निर्माण कार्य करने का जिम्मा दिया गया था लेकिन कार्यकारी कम्पनी के वित्तीय संकट में फंसने के कारण हाइवे का निर्माण कार्य लम्बे समय तक अटका रहा।
अगस्त 2016 में केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी एवं तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने सूरतगढ़ से श्रीगंगानगर हाइवे व सूरतगढ़ से अनूपगढ़ स्टेट हाइवे का उद्घाटन किया था लेकिन अधूरे निर्माण के चलते सरकार ने सूरतगढ़ से बीकानेर हाइवे का उद्घाटन करने से इंकार कर दिया था।
राज बदलते ही मिली अनुमति

जानकारों की माने तो वित्तीय संकट में फंसी कार्यकारी कम्पनी ने आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए सरकार से अधूरे हाइवे पर सामान्य से कम टोल वसूलने की स्वीकृति मांगी थी लेकिन पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने टोल वसूली का प्रस्ताव ठुकरा दिया था।
साथ ही निर्माण कार्य जल्दी पूर्ण नहीं करने पर सड़क अपने हाथ में लेने की चेतावनी भी सरकार ने दी थी। लेकिन प्रदेश में नई सरकार बनते ही कम्पनी को टोल वसूली की मंजूरी मिल गई।
मंजूरी में नियमानुसार सामान्य से कम टोल वसूली एवं निर्माण कार्य शीघ्र पूरा करने की शर्तें डाली गई लेकिन दोनों ही शर्तों की अनदेखी की जा रही है। अधूरे हाइवे पर टोल वसूली के कारण कई बार वाहन चालक व टोलकर्मी आपस में उलझ जाते है।
बारिश ने खोली निर्माण की पोल

अरजनसर से लूणकरनसर के बीच इस सड़क पर हुए निर्माण कार्य की पोल इन दिनों हुई बाशि ने खोल दी है। सड़क के किनारे बनाए बर्म बारिश में बह गए है और बड़े-बड़े गड्ढे बन गए है जो हादसों को आमंत्रित कर रहे है। नहरों के पुलियों को भी चौड़ा नहीं किया गया है।
महाजन से सूरतगढ़ के बीच बिरधवाल की 236 आरडी के पास तो सड़क इतनी जर्जर है कि कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। सूरतगढ़ शहर में भी ६ करोड़ ७२ लाख की लागत से स्वीकृत फ्लाईओवर का निर्माण भी अभी अधर में है।
इनका कहना है

प्रदेश की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने अधूरे हाइवे पर टोल वसूली की अनुमति कम्पनी को नहीं दी थी लेकिन वर्तमान सरकार ने इसकी अनुमति देकर गलत किया है। यदि सड़क की दशा सुधारी नहीं गई तो टोल वसूली का विरोध कर टोल नाकों पर धरना दिया जाएगा। इस मामले को केन्द्र सरकार तक भी पहुंचाया जाएगा।
राजेन्द्र भादू, पूर्व विधायक सूरतगढ़।

फिलहाल इस मामले में कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हूं।

आरपी सिंगला, डिप्टी प्रोजेक्ट मैनेजर, एमबीएल कम्पनी।

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