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राज्य पशु ऊंट के संरक्षण के लिए बनी योजना अब तक कागजों में ही

राज्य पशु ऊंट खात्मे की ओर...

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Anushree Joshi

Jan 02, 2017

Camel

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राज्य सरकार की ऊंटों के संवद्र्धन की ऊष्ट्र विकास योजना में इंश्योरेंस करवाने तथा ऊंटों का टोळा होने पर 10 हजार रुपए की आर्थिक सहायता देने का प्रावधान किया गया है।

कहने को तो राज्य सरकार ने ऊष्ट्र विकास योजना दो अक्टूबर से लागू कर दी है लेकिन इस योजना में इतनी जटिलताएं हैं कि सहायता लेना ऊंट पालक के बस की बात नहीं है।

पशुपालन विभाग ने भी इस योजना की क्रियान्विति की दिशा में कोई काम नहीं किया है। ऊंटों की संख्या में लगातार हो रही गिरावट को रोकने के लिए राज्य सरकार ने संवद्र्धन की योजना अभी तक लागू नहीं की है।

वर्ष 2015 की पशुगणना के अनुसार प्रदेश में तीन लाख से अधिक ऊंट बताए जाते हैं। ऊंटों के संवद्र्धन के लिए बनी योजना में ऊंटनी के बच्चा (टोडिया-टोरडी) होने पर 18 माह में 10 हजार रुपए की आर्थिक सहायता तीन किश्तों में ऊंटनी के बच्चे के लालन-पालन के बतौर देने की घोषणा की है।

योजना को लागू करने की जिम्मेदारी पशु पालन विभाग को दी गई है। बीकानेर में जिले में अभी ऊंटों की संख्या 46 हजार बताई जा रही है। जिले में इस योजना के तहत अभी तक एक भी ऊंट पालक को किश्त का भुगतान नहीं हुआ है।

राज्य सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष से ऊंटों के संवद्र्धन- संरक्षण देने तथा पशुपालकों का रुझान ऊंटपालन की तरफ बढ़ाने के लिए ऊष्ट्र विकास योजना में ऊंट पालकों को प्रोत्साहित करने के लिए आर्थिक सहायता का जिम्मा पशु पालन विभाग को दिया है।

राज्य में तीन लाख ऊंटों में से कमोबेश आधी ऊंटनी हैं। ऊष्ट्र विकास योजना में पशु पालन विभाग को यह निर्देश है कि वेटरनरी अस्पताल के नोडल वेटेरियन को गर्भवती ऊंटनी का सर्वे कर रिकार्ड तैयार करें।

ऐसी ऊंटनी का पशु अस्पताल में पंजीयन किया जाए। अभी तक बीकानेर में किसी भी वेटरनरी अस्पताल में ऐसी ऊंटनी का पंजीयन नहीं है।

योजना में यह प्रावधान

ऊष्ट्र विकास योजना में ऊंटनी के बच्चा होने पर पहले माह में 3 हजार रुपए, 9 माह बाद 3 हजार रुपए तथा 18 माह बाद चार हजार रुपए कुल 10 हजार की आर्थिक सहायता देने का प्रावधान है।

ऐसे में पशु के पंजीयन के साथ बीमा भी किया जाता है। इनका भामाशाह कार्ड बनाया जाता है। अभी तक पशु पालन विभाग ने सभी वेटरनरी अस्पताल के नोडल वेटेरियन को निर्देश किया गया है

कि इस योजना की जानकारी ऊंट पालकों तक पहुंचाई जाए। पशु पालन विभाग सर्वे और पंजीयन का अभी तक शुरू नहीं किया है।