साथ ही लॉकडाउन अवधि में प्रदूषण में आई कमी ने श्वास रोगियों को बड़ी राहत दी है। टीबी के खिलाफ चल रही विश्वव्यापी जंग में मरीजों की सतर्कता और संक्रमण से सुरक्षा बड़ा हथियार साबित हो रही है। पश्चिमी राजस्थान के सबसे बड़े पीबीएम अस्पताल और एसपी मेडिकल कॉलेज से संबद्ध टीबी अस्पताल और श्वास विभाग के आंकड़े इस सकारात्मक बदलाव की बानगी दे रहे हैं।
टीबी के साथ एमडीआर रोगी भी घटे टीबी यानि क्षय रोग (ट्यूबरक्लोसिस) के रोगियों की संख्या में गिरावट आई है। वहीं टीबी के गंभीर रूप धारण एमडीआर (मल्टी ड्रग रेजिस्टेट) में बदलने के केस भी कम हो रहे हैं। एमडीआर के केस महज २ से ३ प्रतिशत ही होते हैं। परन्तु यह टीबी की सामान्य दवाओं के बेअसर होने के बाद एमडीआर श्रेणी में रखकर उपचार शुरू किया जाता है। जो मरीज की गंभीर हालत को बयां करता है।
बीकानेर: टीबी के मरीजों की संख्या पर एक नजर (डोट्स) वर्ष जनवरी से मार्च केस अप्रेल से जून केस 2019 907 1196 2020 905 457 कमी आई 002 739 बीकानेर: एमडीआर मरीजों की संख्या पर एक नजर
वर्ष जनवरी से मार्च केस अप्रेल से जून केस 2019 40 43 2020 50 24 कमी-वृद्धि 10 19 लॉकडाउन में 62 फीसदी मरीज घटे एसपी मेडिकल कॉलेज से संबद्ध श्वास रोग विभाग में आने वाले मरीजों में से टीबी के सामने आने वाले मरीजों की संख्या में वर्ष 2019 के मुकाबले 2020 में 62 फीसदी की कमी आई। वहीं एमडीआर रोगियों में 43 फीसदी कमी आई है। वर्ष 2019 में जहां अप्रेल से जून के बीच 1196 टीबी और 43 एमडीआर रोगी सामने आए। वहीं वर्ष 2020 में अप्रेल से जून के बीच लॉकडाउन और अनलॉक शुरू होने के बाद तक टीबी के मरीज 496 और एमडीआर के 24 रोगी सामने आए।
प्रसार में कमी आई टीबी के जीवाणु का प्रसार श्वसन छींटों से होता है। जैसे टीबी पीडि़त व्यक्ति के छींकने, खांसने या बोलने से निकलने वाले छींटे, जिनमें जीवाणु होते हैं स्वस्थ्य व्यक्ति के श्वास के साथ शरीर में चले जाते हैं।जो फेफड़ों में पहुंचकर टीबी का प्रसार कर देते हैं। कोविड-१९ के आने के बाद लोगों ने मुंह पर मास्क या गांव-देहात में मुंह पर साफा आदि रखने को आदत में शामिल किया है। इसी के साथ सोशल डिस्टेंस को अपनाया है। एेसे में कोरोना वायरस का प्रसार तो रूक ही रहा है। साथ ही टीबी के जीवाणु का एक से दूसरे में प्रसार पर भी अंकुश लगा है। श्वास विभाग में आने वाले रोगियों में से टीबी के पाए जाने वाले रोगियों की संख्या में भारी कमी आई है। इसकी एक वजह लोगों में स्वास्थ्य के प्रति आई जागरूकता भी रही है। कोरोना के डर से लोग श्वास में मामूली परेशानी होने पर ही श्वास विभाग में जांच के लिए आ जाते है।
– डॉ. गुंजन सोनी, विभागाध्यक्ष श्वास विभाग, पीबीएम अस्पताल बीकानेर तीन उपाय से कोरोना और टीबी दोनों से बचाव – दो गज की दूरी: सार्वजनिक स्थल पर किसी भी दूसरे व्यक्ति से दो गज की दूरी बनाकर रहें। जिससे श्वास के छींटों के साथ हवा में आने वाला कोरोना और टीबी का संक्रमण आपके शरीर में प्रवेश नहीं कर पाएगा।
– मुंह पर मास्क: घर से बाहर मुंह पर मास्क लगाकर ही निकले। इससे यदि सार्वजनिक स्थल, कार्यस्थल या अन्य कोई संक्रमित आपके आस-पास आ जाएगा तो भी आप उसके संक्रमण की चपेट में आने से बच जाएंगे।
1 तुरंत जांच: टीबी और कोरोना से संक्रमित व्यक्ति का जितना जल्दी पता चल जाता है उतने कम समय में उपचार से स्वस्थ्य हो जाता है। एेसे में श्वास में दिक्कत, बुखार, खांसी-बलगम जैसे प्रारम्भिक लक्षण दिखने पर तुरंत अपने श्वाब की जांच कराएं।