शहर के शेयर टैक्सी चलाने वाले मोहम्मद शरीफ बताते हैं कि अब टैक्सी में सवारी बैठती है तो वह रास्ते में रोककर दूसरी सवारी नहीं चढ़ाने की शर्त रखती है। हालांकि इसके बदले सवारी को किराया ज्यादा देना पड़ता है। परन्तु कोरोना से बचाव के बदले यह उन्हें अखरता भी नहीं है।
शहर के हर मोहल्ले में एेसे पांच-दस परिवार जरूर मिल जाएंगे जो अपनी सरकारी या निजी नौकरी की ड्यूटी पर जाते समय सहकर्मी के साथ वाहन शेयर करते रहे हैं। इनमें महिलाएं स्कूटी और कार ज्यादा शेयर करती है। पुरुष भी बीस-तीस किलोमीटर दूर अपने कार्यालय तक आवागमन में सहकर्मी के साथ वाहन शेयर कर लेते हैं। खासकर स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों का स्टाफ तो कॉमन टैक्सी रखते हैं। जो सभी को तय स्थान से चढ़ाकर कार्यालय छोड़ देती है। ऑफिस टाइम समाप्त होने पर फिर वापस घर छोड़ जाती है। इस व्यवस्था पर भी कोरोना ने प्रहार कर दिया है।
कई स्थान निर्धारित
लिफ्ट मांगने वाले लोगों ने शहर में कई स्थान निर्धारित कर रखे हैं। उन्हें यह मालूम रहता हैं कि इन क्षेत्रों से कोई न कोई वाहन चालक जरूर निकलता है। कोटगेट, मोहता चौैक, आचार्य चौक, बड़ा बाजार, जोशीवाड़ा, पब्लिक पार्क, केईएम रोड, अम्बेडकर सर्कल, दीनदयाल सर्कल, भीमसेन सर्कल, सादुल सर्कल, गोगागेट, जस्सूसर गेट, सोनगिरी कुआं, दाऊजी रोड, तेलीवाड़ा लिफ्ट प्वाइंट है।
अब सोशल डिस्टेसिंग की पालना कोरोना संक्रमण के चलते अब वाहन चालक सरकार की गाइड लाइन की पालना करने लगे हैं। वाहन चालक स्वयं कोरोना से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग की पालना कर रहे हैं। इस वजह से वे लिफ्ट देने से मना कर रहे हैं। इसके अलावा कई लोग बिना मास्क ही घर से निकल जाते हैं। उन्हें भी बैठाने से कतराने लगे हैं।
मालूम नहीं कौन संक्रमित ‘जब से कोरोना संक्रमण बढ़ा है, तभी से ही यह मालूम ही नहीं पड़ता है कि कौन व्यक्ति पीडि़त है। जब कॉलेज के लिए रवाना होता था तो लिफ्ट के लिए कोई न कोई मिल जाता था। संबंधों के आधार पर गाड़ी पर बैठा लेते थे लेकिन अब सजगता अपनानी शुरू कर दी है।Ó
– डॉ. ब्रजरतन जोशी, व्याख्याता डूंगर कॉलेज छुट्टियां होने से फायदा ‘इस समय शिक्षण संस्थाएं बंद होने के कारण लिफ्ट लेने वाले कम मिलते है। अन्यथा कॉलेज की छुट्टी होने पर कोई न कोई साथी लिफ्ट मांग लेती थी। कोरोना का डर तो सबको लगता ही है। छुट्टियां होने से कुछ राहत है।Ó
– कनक व्यास, कॉलेज छात्रा अब पैदल ही चलता हूं ‘कोरोना संक्रमण के चलते अब वाहनों पर बैठना बंद कर दिया है। टैक्सी वाला भी रोकता है लेकिन, उसकी भी सवारी नहीं करता। अब कोई भी काम होता है तो पैदल ही चलता हूं। इससे संक्रमण का भय भी नहीं रहता और शरीर भी स्वस्थ रहता हैं।Ó
– विशन मतवाला, बीकानेर वाहन चालक रुकते नहीं ‘बच्छासर से मजदूरी के लिए शहर में आता हूं। वापस जाते वक्त करमीसर फांटा तक जाने के लिए किसी वाहन चालक को रोकता हूं तो रुकता नहीं है। जबकि करीब चार माह पहले हर कोई वाहन चालक ईशारा करने पर रुक जाता था। अब मजदूरी स्थल से ही पैदल ही करमीसर फांटा तक पहुंचता हूं।Ó
– श्रवणदास साध, श्रमिक