बज्जू के पूर्व शिक्षक गोवर्धनराम बिश्नोई बोले, “शहर से ज्यादा सुरक्षित तो हम बॉर्डर पर हैं। सेना साथ है, डर किस बात रो?” प्रतापाराम गोदारा, हरिराम, राधाकिशन, सुखराम भी बोले कि सेना को भोजन और जरूरत की हर चीज देने को पूरा गांव तैयार बैठा है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाक तनाव की तपन पूरे पश्चिमी सीमा पर महसूस की जा रही है। दिन भर जहां बीकानेर के सीमावर्ती गांवों और शहर में जोश व जज्बे का माहौल रहा। वहीं शाम होते-होते सीजफायर की खबरों ने चर्चाओं का रुख थोड़ा बदल दिया। कुछ के चेहरे पर राहत थी, तो कईयों के मन में असंतोष।हालांकि एक बात जो हर चौपाल, पाटे और गली-कूचों में साफ सुनाई देेरही थी, वह थी "इस बार इलाज अधूरो मत छोड़ो!
बीएसएफ के साए में पला बढ़ा, आधा सिपाही तो बन ही गया
खाजूवाला के 14 बीडी गांव के दिनेश कछवाह कहते हैं, “हम बीएसएफ के साये में पले-बढ़े हैं, आधे सिपाही बन ही गए। करगिल के वक्त बच्चे थे, अब जवान हैं। आज भी बुलावे पर पूरी ताकत से साथ खड़े होंगे।” हालांकि, जैसे ही शाम को सीजफायर की खबर आई, खासतौर से युवा असंतोष जाहिर करते नजर आए। उनका कहना था कि अगर हर बार की तरह ये सिर्फ 'ब्रेक' है, तो इसका क्या मतलब?
घाटा होसी, पण भरपाई भी हम करसी
4 बीजीएम के किसान शिवदत्त और प्रताप सिंह राठौड़ ने जैसलमेर में सेना का अभ्यास देख रखा है। बोले, "जंग हो या संकट, नुकसान होसी तो सही, पर भरपाई हम खेत सूं करसी। हम अन्नदाता हैं, देश रा सिपाही भी।"
गांव छोड़ने का तो सवाल ही नहीं
बज्जू के पूर्व शिक्षक गोवर्धनराम बिश्नोई बोले, “शहर से ज्यादा सुरक्षित तो हम बॉर्डर पर हैं। सेना साथ है, डर किस बात रो?” प्रतापाराम गोदारा, हरिराम, राधाकिशन, सुखराम भी बोले कि सेना को भोजन और जरूरत की हर चीज देने को पूरा गांव तैयार बैठा है। हालांकि, गांव में जैसे ही शाम को सीजफायर की खबर पहुंची। लोग असमंजस में नजर आए कि खुश हों या संतुष्ट।
शहर ने भी बदली करवट
दिन भर नाल एयरबेस, महाजन फायरिंग रेंज, और लूणकरनसर में हलचल रही। वायुसेना की लगातार गश्त, रेडार एक्टिविटी और एक मिसाइलनुमा वस्तु का मलबा चर्चा में रहा। शाम को सीजफायर की खबर के बाद गलियों में लाइटें कम हुईं, सड़कों पर हलचल घटी, लेकिन अंदरूनी तैयारी जस की तस रही। बाजार जरूर देर शाम तक खुले। लेकिन तकरीबन नौ बजे के आसपास जैसे ही सीजफायर उल्लंघन की खबरें आने लगीं, बाजार भी बंद हो गए। सड़कें सुनसान और अंधेरे में डूब गईं। दिखे तो चौराहों पर डटे पुलिसवाले।रामस्वरूप राठी जैसे खाद्य तेल व्यापारी के यहां दिनभर डिमांड रही, जबकि गिफ्ट शॉप्स और ज्वेलर्स में सन्नाटा छाया रहा। शाम को कुछ ढील मिली दुकानें खुलीं, लोग निकले, चर्चाएं फिर जीवंत हो उठीं।
सीजफायर पर बंटे पाटे, कुछ बोले 'समझदारी', कुछ बोले 'गलती'
अलर्ट का असर बाजारों में पूरे दिन साफ तौर पर देखा गया। खाद्य तेल व्यवसायी रामस्वरूप राठी के यहां शनिवार को तेल की खासी डिमांड रही। वहीं गिफ्ट शॉप ओनर मुकेश भाटिया समेत खाद्य को छोड़ अन्य दुकानों पर सन्नाटा पसरा नजर आया। हालांकि, शाम होते-होते क्या बाजार और पाटे, सभी चर्चाओं से गरम हो उठे। लोग पक्ष-विपक्ष में साफ बंटे नजर आए। कुछ बोले समझदारी की, तो कुछ ने कहा गलती।