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उत्तर क्षेत्रीय दुग्ध उत्पादन सहकारी समिति (उरमूल डेयरी) में दूध की आवक 70 हजार लीटर से घटकर 32 हजार लीटर रह गई है। डेयरी में दूध की मांग भी 70 हजार लीटर प्रतिदिन है। दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों की ओर से दूध की आवक में बिचौलियों की भूमिका हटाने के बाद कम हो गई है।
इससे जरूरत का दूध उरमूल डेयरी को चितौडग़ढ़ एव जयपुर से ऊंचे भाव से खरीदकर बीकानेर में आपूर्ति करना पड़ रहा है। इससे प्रति माह 70 हजार रूपए का घाटा डेयरी को हो रहा है। डेयरी में बढ़ते घाटे के म²ेनजर डेयरी बोर्ड की बैठक बुलाकर नीति निर्धारण की कार्रवाई चल रही है।
उरमूल डेयरी की जिले में चार सौ के करीब दूग्ध उत्पादक सहकारी समितियां हैं। अगस्त से नवम्बर तक बीकानेर दुग्ध उत्पादन की दृष्टि से ड्राई पीरियड रहता है। नवम्बर से दूध उत्पादन एवं सावों के कारण मांग बढ़ जाती है।
समितियों से डेयरी 8.5 फैट का दूध 25 रुपए 57 पैसे खरीदा जाता है। निजी डेयरी वाले दूध के भाव डेयरी से ज्यादा दिया जाता है। इस कारण समितियों से दूध की आवक कम रहती है।
डेयरी घाटें में, बोर्ड की होगी बैठक
&उरमूल डेयरी में डेयरी बूथों के मांग के दूध की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। इसी स्थिति में अन्य डेयरियों से ज्यादा पैसे में दूध खरीद कर बूथों में आपूर्ति की जा रही है। इससे प्रति माह 70 हजार रुपए घाटा हो रहा है। समितियों से दूध की आवक बढ़ाने के लिए बोर्ड की बैठक बुलाकर नीतियां बनाई जाएंगी। इसके लिए अध्यक्ष को कहा गया है।
डॉ. एस.के. चौपड़ा, प्रबंध संचालक, उरमूल डेयरी बीकानेर
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