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मार्कण्डेश्वर महादेव मंदिर: जहां महाकाल के साथ विराजते हैं धर्मराज

लालगढ़ रेलवे वर्कशॉप के पास स्थित प्राचीन श्री मार्कण्डेश्वर महादेव मंदिर में दशकों से श्रद्धा और आस्था का केन्द्र है। यहां भगवान शिव के साथ साथ धर्मराज काल की भी अद्भुत मूर्ति गर्भगृह में विराजमान है। यह मंदिर अपनी अनूठी स्थापना के कारण शिवालयों में विशेष स्थान रखता है, जहां महाकाल (भगवान शिव) और काल (धर्मराज) की मूर्तियां स्थापित है। यूं तो मार्कण्डेश्वर महादेव मंदिर में पूरे वर्ष भक्तों की आस्था का अनवरत संचार रहता है, लेकिन सावन के पावन अवसर पर यहां भगवान शिव के अभिषेक और मंत्र जाप का विशेष आयोजन होता है।

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बीकानेर. सावन का महीना भगवान शिव की आराधना का पावन पर्व है, जब शिवालयों में भक्त विधि-विधान से पूजा-अर्चना और व्रत-उपासना करते हैं। शहर के लालगढ़ रेलवे वर्कशॉप के पास स्थित प्राचीन श्री मार्कण्डेश्वर महादेव मंदिर में यह श्रद्धा और भी विशेष है, क्योंकि यहां भगवान शिव के साथ साथ धर्मराज काल की भी अद्भुत मूर्ति गर्भगृह में विराजमान है। यह मंदिर अपनी अनूठी स्थापना के कारण शिवालयों में विशेष स्थान रखता है, जहां महाकाल (भगवान शिव) और काल यूं तो मार्कण्डेश्वर महादेव मंदिर में पूरे वर्ष भक्तों की आस्था का अनवरत संचार रहता है, लेकिन सावन के पावन अवसर पर यहां भगवान शिव के अभिषेक और मंत्र जाप का विशेष आयोजन होता है। सावन के हर सोमवार को श्रद्धालु यहां आते हैं, महाकाल का जलाभिषेक कर आयु-दीर्घायु और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करते हैं।

85 वर्ष पुराना पुण्य स्थल

मंदिर के पुजारी शुभम भोजक बताते हैं कि यह मंदिर सन् 1940 में स्थापित हुआ था। गर्भगृह में स्थापित मूर्तियों में मां पार्वती, गणेश, महादेव, मार्कण्डेय, शिवलिंग और धर्मराज की मूर्तियां शामिल हैं। शिवलिंग नाग के आकार की जलहरी पर लगभग ढाई फीट ऊंचा है, जो एक दिव्य अनुभूति कराता है। शिवलिंग के सामने भगवान शिव विराजमान हैं, जबकि धर्मराज की मूर्ति महाकाल के पीछे सुरक्षित स्थान पर है।

महाकाल के रक्षक रूप में भगवान शिव और भक्त मार्कण्डेय

यहां भगवान शिव चतुर्भुजी स्वरूप में हैं, जिनके हाथों में त्रिशूल, चक्र और शिवलिंग है। चौथा हाथ भक्त मार्कण्डेय के सिर पर अभयदान की मुद्रा में है, जो उनके प्रति प्रेम और संरक्षण दर्शाता है। भक्त मार्कण्डेय भगवान शिव के चरणों में आस्था और समर्पण का प्रतीक हैं। मंदिर में माता पार्वती और भगवान गणेश की मूर्तियां भी चतुर्भुजी स्वरूप में हैं, जो संपूर्ण शिव परिवार का अभिन्न हिस्सा हैं।

भैंसे पर विराजित हैं न्याय के देवता

मंदिर में काले पत्थर से निर्मित धर्मराज की चतुर्भुजी मूर्ति भैंसे पर विराजमान है। उनके हाथों में तलवार और गदा हैं, जो न्याय और शक्ति के प्रतीक हैं, जबकि दो हाथ भगवान शिव से जुड़े हुए हैं, जो धर्मराज के साथ महाकाल की अमिट एकता को दर्शाते हैं।

मंदिर तक पहुंचने का google लोकेशन लिंक - 28Q2+GP, Railway Colony, Bikaner, Rajasthan 334004