नवरात्रा पूजन-अनुष्ठान की तैयारियों को शुक्रवार को अंतिम रूप दिया गया। घरों व मंदिरों में देवी मूर्ति स्थलों को रंग बिरंगी रोशनियों, सजावटी फूल, पत्तियों आदि से सजाए गए है। प्रथम नवरात्रा पर घरों में देवी प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना की जाएगी। नौ दिनों तक पूजन, आरती सहित विविध धार्मिक अनुष्ठान होंगे। नवरात्रा में पवनपुरी स्थित नागणेचेजी मंदिर, जयपुर रोड स्थित वैष्णोधाम, सूरसागर के पास करणी मंदिर, नत्थूसर गेट के बाहर गायत्री मंदिर, मां आशापुरा मंदिर, करमीसर रोड स्थित त्रिपुरा सुंदरी, स”िायाय ओसिया माता मंदिर, भट्टोलाई क्षेत्र स्थित मां उष्ट्रवाहिनी मंदिर, जस्सूर गेटके अन्दर स्थित मां लटियाल मंदिर, लक्ष्मीनाथ मंदिर परिसर स्थित चामुण्डा देवी मंदिर, जूनागढ़ परिसर स्थित देवी मंदिर सहित शहर के विभिन्न देवी मंदिरों में नौ दिनों तक विशेष पूजन, आरती, धार्मिक अनुष्ठान और भजन कीर्तन के आयोजन होंगे।
बाजारों में रही रौनक
नवरात्रा को लेकर शहर के विभिन्न बाजारों में रौनक रही। नवरात्रा पूजन -अनुष्ठान को लेकर श्रद्धालुओं ने विभिन्न प्रकार की पूजन सामग्रियों के साथ प्रसाद, श्रीफल, ऋतुफल, धर्म पताकाएं, मातारानी की पोशाक आदि की खरीदारी की। नवरात्रा पूजन महोत्सव को लेकर देवी प्रतिमाओं की भी खरीदारी हुई।
कोरोना एडवाइजरी की पालना होगी सुनिश्चित
कोरोना वायरस संक्रमण के साये में हो रहे नवरात्रा पूजन उत्सव को लेकर मंदिर पुजारियों, प्रबंध समितियों की ओर से व्यापक व्यवस्थाएं की गई है। देवी मंदिरों में दर्शनों के लिए पहुंचने वाले दर्शनार्थियों के लिए मास्क पहनकर ही मंदिर में प्रवेश की व्यवस्था रहेगी। वहीं हाथों को सेनेटाईज करने और सोशल डिस्टेंसिंग की पालना सुनिश्चित की जाएगी। प्रसाद चढ़ाने, घंटी बजाने पर रोक रहेगी।
देवी उपासना का पर्व
’योतिषाचार्य पंडित राजेन्द्र किराडू के अनुसार धर्मग्रंथों में देवी उपासना के पर्व नवरात्रा का विशेष महत्व बतलाया गया है। साधक इन दिनों में मां देवी के विभिन्न अवतारों का पूजन, अनुष्ठान कर मनोकामना करते है। पंडित किराडू के अनुसार नवरात्रा के नौ दिनों में देवी के अवतारों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, कुष्माण्डा, स्कन्दमाता, कात्यायनी, कालरात्री, अष्टमहागौरी और सिद्धिदात्री देवियों का पूजन किया जाता है। इस बार 23 अक्टूबर को बुद्धिदात्री मां सरस्वती, 24 अक्टूबर को भद्रकाली और 25 अक्टूबर को सिद्धिदात्री देवी का विशेष पूजन किया जाएगा। दशहरा पर्व पर अपराजिता शमी पूजा होगी। पंडित किराडू के अनुसार घट स्थापना के लिए सुबह 11.30 बजे के बाद पूरा दिन श्रेष्ठ है।अभिजित मुहूर्त, लाभ-अमृत के चौघडिय़े के समय भी घट स्थापना होगी।
मातामाह श्राद्ध आज
पुरुषोतम मास के कारण श्राद्ध पखवाड़े के एक माह बाद शनिवार को मातामाह श्राद्ध (नाना श्राद्ध ) होगा। मातामाह श्राद्ध पर बहन -बेटियों और कुल गुरुओं को भोजन करवाकर वस्त्र, अन्न आदि दिए जाएंगे। कौओ, गाय तथा कुत्तों को भी भोजन करवाया जाएगा।