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मिट्टी की उर्वरकता के मानकों को मापेगा पोर्टेबल सॉइल हेल्थ मॉनिटरिंग सिस्टम

बीकानेर इंजीनियरिंग कॉलेज के विद्यार्थी करण नाहटा और उनकी टीम ने काम किया। उन्होंने पोर्टेबल सॉइल हेल्थ मॉनिटरिंग सिस्टम तैयार किया है।

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अक्सर खेती के दौरान कई बार पानी की मात्रा और मिट्टी के पोषक तत्वों के बारे में पता नहीं चल पाता है। ऐसे में खाद-पानी की कम या अधिक मात्रा देने से फसल में फायदे की जगह नुकसान हो जाता है। इस समस्या के निराकरण पर बीकानेर इंजीनियरिंग कॉलेज के विद्यार्थी करण नाहटा और उनकी टीम ने काम किया। उन्होंने पोर्टेबल सॉइल हेल्थ मॉनिटरिंग सिस्टम तैयार किया है। एआई तकनीक पर आधारित इस खास डिवाइस से मिट्टी में पोषक तत्वों की मात्रा का पूरा ग्राफ किसान को उसके मोबाइल पर मिलता रहता है। जिससे वह उचित समय पर फसल को उपयुक्त उर्वरक दे सकता है। यह डिवाइस उर्वरक की कितनी मात्रा देने की आवश्यकता है, यह भी बता देगा। इससे कृषि लागत में कमी आएगी। विद्यार्थी करण ने अब इसे लेकर अपना स्टार्टअप भी शुरू किया है। इस प्रोजेक्ट को इंजीनियरिंग कॉलेज बीकानेर के छात्रों ने इलेक्ट्रोनिक इंस्ट्रूमेंटेशन एवं कंट्रोल इंजीनियरिंग विभाग के इनोवेशन एंड प्रोडक्ट डिजाइन लैब में तैयार किया है। डिवाइस को तैयार करने में डॉ. राहुल राज चौधरी और हरजीत सिंह का मार्गदर्शन रहा है।

समस्याओं के समाधान का स्टार्टअप
करण ने बताया कि कृषि क्षेत्र में तकनीकी क्रांति का नया अध्याय है। डिवाइस तैयार होने के बाद स्टार्टअप भी किया गया है। इससे कृषि क्षेत्र में बदलाव लाने के उद्देश्य से यात्रा शुरू की है। प्रोजेक्ट का बुनियादी प्रोटोटाइप विकसित कर ली है। किसानों को आने वाली समस्याओं का समाधान यह स्टार्टअप आधुनिक तकनीक से करेगा। इसमें सबसे पहले मिट्टी को जांचने के लिए परंपरागत यंत्रों से जानकारी ली। इसके बाद इसमें जो खामियां नजर आई इस पर अध्ययन किया। जांच में समय अधिक और मिट्टी जांच की लागत अधिक आती थी। जो प्रक्रिया होती है वो भी काफी जटिल थी। नई तैयार की पोर्टेबल डिवाइस में इंफ़्रा रेड स्पक्ट्रोसकॉपी (रसायन जांच की प्रक्रिया), एबेडेड सिस्टम, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और मशीन लर्निग का उपयोग किया है। इस पर करीब 20 हजार रुपए लागत आई है।

डिवाइस बताएगी कितनी खाद जरूरी

विद्यार्थियों की ओर से तैयार पोर्टेबल सॉइल हेल्थ मॉनिटरिंग सिस्टम में एआई का उपयोग किया गया है। इससे डिवाइस और मोबाइल ऐप में मिट्टी के स्वास्थ्य के बारें में जानकारी मिल जाएगी। यह भी पता चल जाएगा की कब और कितनी खाद मिट्टी में डालनी है। फसल का स्वास्थ्य कैसा है।

ऐसे करती है काम
डिवाइस में सबसे पहले मिट्टी का सैपल लेकर डाला जाता है। इसके बाद मात्र एक मिनट में ही ये डिवाइस मिट्टी की जांच कर उसके स्वास्थ्य के बारें में अवगत करवा देगा। इसके बाद इसका पूरा डाटा आपके मोबाइल में आ जाएगा तथा उत्पादन बढ़ाने सबंधित सभी जानकारी भी उपलब्ध करवा देंगे। प्रोजेक्ट पर अथर्व पटेल, महेंद्र चौधरी, तरुण कंसारा, प्रकाश चौधरी, युवराज, हरी सिंह तंवर ने भी काम किया है।

बेहतर इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी का निर्माण

आज हमारे छात्र अपने शिक्षकों की देखरेख में बेहतर इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी का निर्माण कर रहे है। जिससे कृषि क्षेत्र को समाज में बेहतर स्थान दिलवाने के साथ-साथ इसे एक उद्योग के रूप में विकसित करने में मदद मिलेगी।

-डॉ.ओपी जाखड प्राचार्य, इंजीनियरिंग कॉलेज बीकानेर