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Rajasthan Election 2023 : सरकार बनाने में इनकी होगी बड़ी भूमिका, हजारों किलोमीटर दूर से आएंगे वोट डालने

Rajasthan Election 2023 : मताधिकार के महत्व और लोकतंत्र के उत्सव में भागीदारी की ललक देखनी हो तो पाली और बीकानेर संभाग इसकी सबसे बड़ी मिसाल है।

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आशीष जोशी/दिनेश स्वामी
बीकानेर. Rajasthan election 2023 : मताधिकार के महत्व और लोकतंत्र के उत्सव में भागीदारी की ललक देखनी हो तो पाली और बीकानेर संभाग इसकी सबसे बड़ी मिसाल है। करीब ढाई हजार किलोमीटर दूर गुवाहाटी हो अथवा दो हजार किलोमीटर दूर बैंगलूरू, हजारों की तादाद में प्रवासी राजस्थानी प्रदेश के विधानसभा-लोकसभा से लेकर नगरीय निकाय के चुनाव तक में मतदान करने उत्साह से आते हैं। प्रदेश के लाखों मतदाता देश के महानगरों में रहकर व्यवसाय और नौकरी कर रहे हैं, लेकिन मतदान के लिए अपने वतन जरूर आते हैं। पाली संभाग के करीब पांच लाख और बीकानेर संभाग के एक लाख से ज्यादा वोटर बाहर हैं। इनमें से करीब पचास फीसदी से ज्यादा मतदान करने आएंगे।

प्रत्याशी को सहयोग भी देते हैं और वोट भी
प्रवासी वोटर चुनाव में खूब रूचि दिखाते हैं। बीकानेर के नोखा विधानसभा क्षेत्र में हमेशा से परिपाटी रही है कि यहां से चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी प्रवासियों को निमंत्रण देने अलग-अलग राज्यों में जाते हैं। अच्छे प्रत्याशी को यह प्रवासी हर तरह से मदद भी करते हैं।

इन राज्यों में बड़ी तादाद में हैं हमारे मतदाता
आन्ध्रप्रदेश, तमिलनाडू, कर्नाटक, आसाम, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, नागालैण्ड, महाराष्ट्र और गुजरात में अकेले नोखा विधानसभा क्षेत्र के 20 से 25 हजार वोटर रहते हैं। बीकानेर पूर्व और पश्चिम में आने वाले उपनगरीय गंगाशहर, भीनासर और उदयरामसर के पन्द्रह से बीस हजार वोटर भूवनेश्वर, त्रिपुरा, आसाम, बंगाल और उड़ीसा में रहते हैं। यहां जूट, पटसन, सुपारी आदि के कारोबार के लिए निवास करते हैं।

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मिठाई कारोबारी और हलवाई भी देशभर में
बीकानेरी नमकीन, रसगुल्ला और जोधपुर की मावा कचोरी व मिर्चीबड़ा की देश-दुनिया में पहचान है। बीकानेर मिष्ठान भंडार और जोधपुर स्वीट्स के नाम से देश के सभी प्रमुख शहरों में दुकानें मिल जाएंगी। मिठाई के कारोबार के साथ बीकानेर और जोधपुर के हलवाई भी देशभर में काम करते हैं। इनके भी वोट अपने गृह क्षेत्र में ही हैं।

खाड़ी देशों से मतदान करने आएंगे शेखावाटी
शेखावाटी के करीब 80 हजार कामगार खाड़ी देशों में हैं। इनमें से अधिकतर मतदाता हैं। इसमें फतेहपुर, लक्ष्मणगढ़, सीकर, धोद, दांतारामगढ़ व श्रीमाधोपुर विधानसभा क्षेत्र के कामगार सबसे ज्यादा हैं। इनमें से करीब 30 फीसदी लोग सीकर, चूरू और झुंझुनूं के विधानसभा क्षेत्रों में वोट डालने आते हैं। वहीं यहां के करीब 30 हजार मतदाता अन्य राज्यों में काम कर रहे हैं।

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कई सीटों पर निर्णायक है प्रवासी मतदाता
मारवाड़ी व्यापारी और उद्योगपतियों का देशभर में डंका है। देश की आर्थिक राजधानी मुम्बई से लेकर कई राज्यों में हजाराें मारवाड़ी व्यापार और नौकरी करते हैं। पाली जिले की मारवाड़ जंक्शन, बाली और सुमेरपुर विधानसभा सीट पर प्रवासी मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। बैंगलूरु में व्यवसाय कर रहे संडारड़ा गांव के राजेन्द्रसिंह कुंपावत का कहना है कि प्रवासियों में राजस्थान के चुनाव को लेकर उत्साह है। वे बड़ी संख्या में मारवाड़ आएंगे और मतदान में शामिल होंगे।


बोले प्रवासी-वोट नहीं करेंगे तो कुछ कहने का हक भी नहीं
नोखा में बीस साल पहले वोट बना। तब से पंचायतराज, विधानसभा, लोकसभा चुनाव में मतदान करने मुम्बई से आता हूं। हमारे और साथी भी मेरे साथ विशेष रूप से वोटिंग करने आते हैं। वोट नहीं डालेंगे तो बाद में कुछ कहने के हकदार भी नहीं रहेंगे।
अचलाराम सुथार, मुम्बई प्रवासी

कारोबार के सिलसिले में सूरत में राजस्थान के हजारों परिवार बस चुके हैं। गृह क्षेत्र में वोट बनवाया है तो डालने जाना ही चाहिए। यही सोच रहती है कि नहीं डालेंगे तो अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ना होगा। इस बार भी विधानसभा चुनाव में वोट देने आएंगे।
कमल चांडक, सूरत प्रवासी

प्रवासी सपरिवार टिकट बनाकर अपनी मातृभूमि पहुंचकर लोकतंत्र को मजबूती देंगे। मेरा मानना है कि होली-दिवाली से भी बड़ा त्यौहार चुनाव है। चाहे नगरपालिका का हो या फिर लोकसभा-विधानसभा चुनाव, हर चुनाव में एक वोटर के रूप में खुद की जिम्मेदारी को महत्वपूर्ण मानते हुए हमारा पूरा परिवार लक्ष्मणगढ़ आता है।
श्रीकुमार लखोटिया, राष्ट्रीय अध्यक्ष, शेखावाटी नागरिक परिषद

लोकतंत्र की मजबूती में युवाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है। आज का यूथ अपने अधिकारों व कर्तव्यों के प्रति काफी सजग है। हर बार की तरह इस बार भी मैं मेरे युवा साथियों, मित्रों व परिवार के संग लोकतंत्र को सुदृढ करने विधानसभा चुनाव में वोट डालने आऊंगा।
अंकित काबरा, युवा प्रवासी व्यवसायी, कोलकाता