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सावण सुरंगो बरसे, लोरो पर लोर है, भर गई ताल तलैया नाचै सब मोर है

locationबीकानेरPublished: Jul 27, 2021 06:15:49 pm

Submitted by:

Vimal

चौमासा गीत में होता है सावन मास का विशेष उल्लेख

सावण सुरंगो बरसे, लोरो पर लोर है, भर गई ताल तलैया नाचै सब मोर है

सावण सुरंगो बरसे, लोरो पर लोर है, भर गई ताल तलैया नाचै सब मोर है

बीकानेर. आकाश में ऊमड़-घुमड़ कर बदरा छानै, बिजली गरजने और मूसलाधार बारिश से मरु शहर बीकानेर की रंगत हिलोरे लेने लग जाती है। आकाश से टपकी पानी की बूंदों से सोनलिए धोरे हरियाली से आच्छादित हो जाते है। तालाब-तलाइयां पानी से लबालब भर जाते है और प्रकृति की सुन्दरता देखते ही बनती है। मोर-पपैये की पिऊ -पिऊ और कोयल की गुंजन हर किसी को प्यारी लगती है।

झूलों पर झूलती महिलाएं और गोठ और गंठो के दौर तथा मेले बीकानेर के सावन की खास पहचान है। होली के अवसर पर आयोजित होने वाली स्वांग मेहरी रम्मतों के प्रमुख गीत चौमासा में बीकानेर के सावन का विशेष उल्लेख हर साल होता है। इस गीत में जहां सावन में प्रकृति की सुन्दरता का विशिष्ट चित्रण होता है, वहीं मेले, मगरिए, झूला, तीज आदि का विशेष उल्लेख होता है। रम्मत उस्ताद की कलम से रचे जाने वाले इस चौमासा गीत में सावन का चित्रण हर किसी के दिल और दिमाग पर छाया रहता है।

 

सावण बरसै चहुं ओर

चौमासा गीत में ‘सावण में जल खूब लोर बरसावेला, सरवर सारा भर जासी’, ‘सावण में लोर घिर आवै, आभो अमरत बरसावै’, ‘सावण में देखो भारी लोर, छाय रया नभ में आंठू पोर, नीर बरसावै’, ‘सावण में पलछिन लोरा, जोरो सूं जल बरसासी, सरवर सब भर जासी’, ‘मास सुरंगो आयो, ताल तलैया भर जावै’, ‘सावण बरसै चंहु ओर जोर सूं गरजे लोर गगन में’ तथा ‘सावण सुरंगो बरसै लोरो पर लोर है, भर गई ताल तलैया नाचै सब मोर है’ आदि के माध्यम से बीकानेर में सावन के दौरान होने वाली बारिश तथा तालाब, तलाइयों के भरने का वर्णन गीत के माध्यम से किया गया है।

 

सावण री गोठ मनावै

सावन में जब तालाब पानी से भर जाते है तो गोठों और गंठों का दौर शुरू हो जाता है। तालाबों के आस-पास सामूहिक रूप से मित्र मण्डलियों और परिवारों की गोठे आयोजित होती है। पानी में नहाने के शौकिन लोग पानी में ऊंचाई से कूदते (गंठे लगाते) है। महिलाओं की भी सावण में गोठे होती है। इनका चित्रण भी चौमासा गीत में ‘सब सखिया मिल सावण री गोठ मनावै’ प्रमुखता से किया गया है। वहीं सावन में बागों में झूला झूलने, शिवबाड़ी मेलेऔर तीज का भी विशेष उल्लेख चौमासा गीत में किया जाता है। ‘हीण्डो हिण्डै सखिया सारी घूमण ने मिलकर जावै’, ‘चालो शिवबाड़ी रे मेले में’, ‘लालेश्वर शिवबाड़ी जा झूला झूलै बागन में’ तथा ‘सावन में हुवैला मेला मगरिया’ आदि के माध्यम से सावन में बीकानेर के उल्लासपूर्ण और सांस्कृतिक माहौल का वर्णन किया गया है।

 

चौमासा गीत का विशेष महत्व
रम्मत उस्ताद जतन लाल श्रीमाली बताते है कि स्वांग मेहरी रम्मत में चौमासा गीत प्रमुख है। चौमासा ऋतु में पति के नौकरी करने के लिए बाहर होने पर पत्नी के मन में ऊमड घुमड़ कर आने वाले विचारों तथा इस ऋतुकाल में धन कमाने की लालसा छोडक़र घर आने की कामना की जाती है। रम्मत कलाकार विजय कुमार ओझा के अनुसार चौमासा में सावन मास का विशेष उल्लेख होता है। प्रकृति की सुन्दरता के साथ सावन में बीकानेर के उल्लासपूर्ण माहौल का चित्रण गीत के माध्यम से किया जाता है। रम्मत कलाकार मदन मोहन व्यास बताते है कि स्वांग मेहरी रम्मत के चौमासा गीत को सुनने के लिए लोग वर्षभर इंतजार करते है। इसमें अच्छे जमाने की कामना की जाती है, वहीं तीज त्योहारों का वर्णन भी होता है।

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