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पैरोल ली और बंदी हो गए पार

locationबीकानेरPublished: Jul 25, 2020 08:54:14 am

Submitted by:

Jai Prakash Gahlot

बीकानेर केन्द्रीय कारागार से ५५ और खुला शिविर से ३३ बंदी नौ दो ग्यारह
 
केस एक :- हत्या के मामले में बीकानेर केन्द्रीय कारागार में सजायाफ्ता बंदी सोमवीर उर्फ सोनवीर। वर्ष २००८ में पैरोल पर गया जो आज तक वापस नहीं लौटा। यह यूपी के अलीगढ़ के मालवा का रहने वाला है। पिछले १२ साल से फरार है।
 
 
केस दो :- राघव सहू उर्फ रघु उर्फ सोमवीर दो अप्रेल-२०१७ से बीकानेर केन्द्रीय कारागार से पैरोल लेकर गया। यह भी वापस नहीं आया। जेल प्रशासन ने बंदी के खिलाफ बीछवाल थाने में मामला दर्ज कराया है।
 
 

पैरोल ली और बंदी हो गए पार

पैरोल ली और बंदी हो गए पार

जयप्रकाश गहलोत
बीकानेर। बंदियों के अच्छे आचरण पर उन्हें मिलने वाली पैरोल जेल प्रशासन और पुलिस के लिए आफत बन रही है। बंदी पैरोल लेकर पार हो रहे हैं। पिछले १२ सालों के बीकानेर केन्द्रीय कारागार के आंकड़ों पर गौर करें तो यह फेहरिस्त काफी लंबी है। यह फेहरिस्त ऐसे बंदियों की जो पैरोल लेकर वापस नहीं लौटे और कुछ खुला बंदी शिविर से भाग छूटे, जिनकी पुलिस व जेल प्रशासन को आज भी तलाश है।

पिछले १२ सालों में ७४ कैदियों को पैरोल मिली लेकिन इनमें से ५० ऐसे हैं जो वापस लौटे ही नहीं। बंदी भी ऐसे जो हत्या, बलात्कार, लूटपाट, डकैती जैसे संगीन मामलों में सजायाफ्ता है। इसके अलावा खुला बंदी शिविर से भी ३३ बंदी फरार हो गए, जिनमें से १३ वापस लौटे लेकिन २३ आज तक फरार है।
अच्छे आचरण पर सरकार देती राहत
प्रदेश की जेलों में बंद बंदियों को सरकार व जेल प्रशासन अच्छे आचरण पर राहत देता है। जेल प्रशासन की रिपोर्ट पर पैरोल मिलती है, जिसका कई बंदी फायदा उठाते हैं। बंदी पैरोल लेकर चले जाते हैं लेकिन वापस नहीं आते। इतना ही नहीं फरारी के बाद कई बंदी अन्य वारदातों को अंजाम देते हुए भी पकड़े जा चुके हैं।
83 बंदियों का इंतजार
वर्तमान में बीकानेर केन्द्रीय कारागार के ५० और खुला बंदी शिविर के ३३ बंदी ऐसे हैं जिनकी पुलिस और जेल प्रशासन को तलाश है। जेल प्रशासन ने पैरोल पर फरार बंदियों के खिलाफ बीछवाल पुलिस थाने में मामला भी दर्ज करवा रखा है।

इन आरोपों के बंदी फरार
हत्या के १७, दुष्कर्म के पांच, डकैती के सात, तस्करी के दो, आम्स एक्ट के दो, अवैध शराब मामले सहित अन्य मामलों में भी बंदी फरार है। बंदियों को पैरोल पर जाने की अनुमति स्टेट कमेटी देती है।

इनका आज तक नहीं चला पता
बंदी सोमवीर उर्फ सोनवीर, भारदीन उर्फ योगेन्द्र, विजयसिंह, जितेन्द्र शर्मा, राजेश उर्फ रोहिया, राधेश्याम, राघव सहू उर्फ रघु उर्फ सोमवीर, प्रदीपसिंह उर्फ दीपू, विजय कुमार, रमेश कुमार, भंवरलाल, विकास उर्फ खालिद, संतोष चौपाल उर्फ मनोज, कमलेश, गुलाबसिंह,रामावतार, देवेन्द्र उर्फ छोटू, नरेश उर्फ पप्पू, हनुमानप्रसाद, खैराज, विजयप्रकाश उर्फ बिरजू, राजेश कुमार, सांवलदास, सोनू, कानैई सरकार उर्फ उत्तम सरकार, युसुफ, डिप्टीसिंह, अमित कुमार, राकेश उर्फ कालिया, दीपक शर्मा उर्फ पटेल।
यह बंदी हो गए पार
बीकानेर केन्द्रीय कारागार से ५५ और खुला शिविर से ३३ बंदी नौ दो ग्यारह राघव सहू उर्फ रघु उर्फ सोमवीर दो अप्रेल-२०१७ से बीकानेर केन्द्रीय कारागार से पैरोल लेकर गया। यह भी वापस नहीं आया। जेल प्रशासन ने बंदी के खिलाफ बीछवाल थाने में मामला दर्ज कराया है।
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बंदी को पैरोल निर्धारित कमेटी तय करती है। जेल प्रशासन आदेशों की पालना करता है। बंदी की जमानत उसका कोई भी परिचित व्यक्ति जो हैसियत रखता है, भारत का नागरिक हो दे सकता है। पैरोल अवधि समाप्त होने पर नहीं लौटने वाले बंदी के खिलाफ संबंधित थाने में मामला दर्ज कराया जाता है।
परमजीतसिंह सिद्धु, अधीक्षक बीकानेर केन्द्रीय कारागार
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