दशकों से चल रही परंपरा
गंगाशहर में चांदमल बाग क्षेत्र में खारिया कुआं के पास दशकों से यह परंपरा चल रही है। इस परंपरा से जुड़े विनोद ओझा के अनुसार होलिका दहन के दिन पिछले साल मिट्टी में दबाकर रखी गई मटकी को बाहर निकालते हैं व नई मटकी में पानी भर कर उसे पूजा-अर्चना के बाद करीब पांच फीट गड्ढा खोद कर उसमें दबा देते हैं। एक साल तक जमींदोज रही मटकी को बाहर निकालने पर उसमें रहने वाले पानी, मटकी के गीली रहने और मटकी के सूखी रहने पर जमाने व बारिश का अनुमान लगाया जाता है। मटकी में पानी रहने पर अच्छी बारिश, गीली रहने पर सामान्य बारिश और मटकी सूखी रहने पर अकाल पड़ने का अनुमान लगाया जाता है।
सामान्य रहेगा जमाना
मटकी को बाहर निकालने के दौरान गंगाशहर क्षेत्र के सर्व समाज के लोग मौजूद रहे। क्षेत्र निवासी मालाराम तंवर के अनुसार इस बार मटकी गीली निकली। क्षेत्र निवासी त्रिलोक चन्द भट्ठड़ के अनुसार पंडित मनोज पंचारिया के सानिध्य में नई मटकी का पूजन कर मिट्टी में दबाकर रखा गया। इसे अगले साल होलिका दहन के दिन निकाला जाएगा।