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सर्द हवा ने बढ़ाया सर्दी का असर, पांच डिग्री गिरा पारा

बीकानेर. प्रदेश में बदले मौसम से शनिवार को अंचल में सर्दी का असर तेज देखने को मिला। बीकानेर में भी इसका असर रहा। जहां अधिकतम तापमान शुक्रवार के मुकाबले पांच डिग्री गिरकर 23.7 पर आ गया। यह इस माह का अब तक का सबसे कम तापमान रेकार्ड किया गया। न्यूनतम भी तीन डिग्री बढ़कर 13.5 डिग्री दर्ज किया गया।

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सर्द हवा ने बढ़ाया सर्दी का असर, पांच डिग्री गिरा पारा

सर्द हवा ने बढ़ाया सर्दी का असर, पांच डिग्री गिरा पारा

बीकानेर. प्रदेश में बदले मौसम से शनिवार को अंचल में सर्दी का असर तेज देखने को मिला। एक पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से पिछले 24 घंटों में राज्य में कहीं-कहीं हल्की बारिश/बूंदाबांदी दर्ज की गई है व न्यूनतम तापमान में 2-4 डिग्री सेल्सियस बढ़ोतरी भी दर्ज की गई थी।

बीकानेर में भी इसका असर रहा। जहां अधिकतम तापमान शुक्रवार के मुकाबले पांच डिग्री गिरकर 23.7 पर आ गया। यह इस माह का अब तक का सबसे कम तापमान रेकार्ड किया गया। न्यूनतम भी तीन डिग्री बढ़कर 13.5 डिग्री दर्ज किया गया। जबकि न्यूनतम सबसे कम 21 दिसंबर को आठ डिग्री रहा था।

दिन की शुरुआत से ही हल्की सर्द हवा चलने लगी थी हालांकि मौसम साफ था और धूप भी सुहानी लग रही थी। दोपहर तक दो किमी की गति से हवा चल रही थी। शाम को उत्तर पूर्वी होकर छह किमी की गति से चलने लगी। इससे हल्की ठिठुरन का अहसास हुआ।

मौसम विज्ञान केन्द्र जयपुर के अनुसार राज्य में आगामी एक सप्ताह के दौरान मौसम शुष्क रहेगा। बादल छंटने से न्यूनतम तापमान में अगले दो दिनों के दौरान 2-3 डिग्री सेल्सियस की पुनः गिरावट होगी। वहीं राज्य के उत्तरी व पूर्वी भागों में अगले 2-3 दिन मध्यम से कहीं-कहीं घना कोहरा भी छाए रहने की संभावना है।

विभिन्न फल एवं सब्जियों की 52 किस्में विकसित

बीकानेर. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के केंद्रीय शुष्क बागवानी संस्थान में शनिवार को किसान दिवस एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन हुआ। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. एसआर मीणा ने शुष्क फल एवं सब्जी उत्पादन के लाभ के बारे में बताया।

डॉ. एके वर्मा ने संरक्षित सब्जी खेती के बारे में जानकारी दी। डॉ. धुरेंद्र सिंह ने किसान दिवस की पृष्ठभूमि एवं उसके महत्व के बारे में चर्चा की। इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डॉ. जगदीश राणे ने संस्थान की उपलब्धियों के बारे में बताते हुए कहा कि संस्थान ने विभिन्न फल एवं सब्जियों की 52 किस्में विकसित की हैं, जिनको अपना कर किसान अधिक उत्पादन एवं लाभ अर्जित कर सकते हैं। साथ ही उन्होंने खेती में नई तकनीकियां एवं बदलाव को अपनाने पर भी जोर दिया।