
बिलासपुर. Ukraine Russia News: यूक्रेन के खारकीव में हर पल आसमान से मौत गिर रही थी। धमाकों के बीच ऐसा लगा रहा था कि अब मिसाइल हमपर गिरेगी और सब कुछ खत्म हो जाएगा। खारकीव (यूक्रेन) से सकुशल वापस शहर पहुंची रिया अदिती लदेर ने यूक्रेन में हमले के दौरान बिताए पल को बयां किया। उन्होंने कहा कि उस मंजर को याद कर रोंगटे खटे हो जाते हैं।
यूक्रेन व रूस के बीच चल रहे युद्ध के बीच फंसी बिलासपुर की रिया अदिती ने बताया कि वह 2016 में एमबीबीएस की पढ़ाई करने यूक्रेन गई थी। वहां के खारकीव शहर के मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई शुरू की। उन्होंने बताया कि वह वर्तमान में छठवें वर्ष की पढ़ाई कर रही हैं। वर्तमान में उनकी दो महीनों की पढ़ाई बची थी।
रिया ने बताया कि 20 फरवरी के बाद से उनकी पढ़ाई ऑनलाइन शुरू हो गई थी। 24 फरवरी को तड़के 5 बजे जब धमाका हुआ तो आसपास के लोगों ने सेना के युद्ध के लिए अभ्यास करने की जानकारी दी गई। इसके बाद लगातार खारकीव पर हमले होने लगे और बमबारी हुई। पास के फ्लैट से उन्हें मैसेज आया कि सभी लोगों को वहां से निकलना है। इसी बीच सभी मेडिकल छात्र फ्लैट छोड़कर मेट्रो स्टेशन आ गए।
बंकर में बिताए 4 दिन
रिया ने बताया कि 24व 25 फरवरी को वह अपने साथियों के साथ मेट्रो में रहे और इसके बाद 25 फरवरी की रात को बंकर में छिपने चले गए। यहां 28 फरवरी तक रूके रहे। पास ही उनका फ्लैट था, जहां बमबारी बंद होने पर सभी बारी-बारी जाते और मोबाइल रिचार्ज करने के साथ-साथ नहाने धोने और जल्दी बनने वाले स्नैक्स बनाकर वापस बंकर में आ जाते थे।
खत्म हो गई थी खाने पीने की चीजे
रिया ने बताया कि खारकीव में कर्फ्यू लगने के कारण चारों ओर सन्नाटा पसर गया था। उनके पास रखे खाने के सारे सामान खत्म हो गए थे। उन्हें पानी भी नसीब नहीं हो रहा था। पानी की जगह पीने के लिए जूस मिल रहा था। इसके साथ ही सारे सामान 10 गुना महंगे हो गए थे। रिया ने बताया कि बंकर में नेटवर्क नहीं मिलने कारण कई घंटे तक अंदर रहना पड़ता था, जैसे ही गोलीबारी रूकती थी सभी बाहर निकलकर अपने परिवार वालों को सकुशल होने का मैसेज भेजते थे।
पहले यूक्रेन के नागरिकों को भेजा बार्डर पार
रिया ने बताया कि 28 फरवरी को बमबारी अधिक होने पर सभी मेट्रो स्टेशन पहुंचे, यहां पहुंचने से पहले 3 ट्रेनें गुजर चुकी थीं। यहां मौजूद भारतीय छात्रों से यूक्रेन की सेना के जवान मारपीट कर रहे थे। सैनिकों ने यूक्रेन के नागरिकों को बार्डर पार भेजने के लिए पहले ट्रेन में प्राथमिकता दी और भेजा। करीब 10 घंटे तक सभी स्टेशन में रूके रहे।
इसके बाद 22 घंटे तक सफर करने के बाद सभी लिनिब पहुंचे। यहां से चौप और वहां से बस में सफर कर हंगरी के गार्डर जूनी पहुंचे। यहां भारतीय एमबेस्सी ने सभी को बस में बिठाया और बुडापेस्ट लेकर आए। यहां एक होटल में ठहराया गया। इसके बाद बुडापेस्ट से फ्लाइट से सभी दिल्ली पहुंचे। यहां छत्तीसगढ़ सरकार के प्रतिनिधियों ने उन्हें रिसीव किया और छत्तीसगढ़ भवन पहुंचा। यहां तीन घंटे आराम करने के बाद फ्लाइट से रायपुर लाया गया।
मां हैं टीचर, छोटा भाई है 12वीं का छात्र
रिया ने बताया कि उनके पिता की मृत्यु हो चुकी है और मां ग्राम छतौना शासकीय स्कूल में टीचर हैं। उनका छोटा भाई कक्षा 12वीं का छात्र है। बमबारी के बीच मौत के मुंह से बाहर निकलकर अपने देश लौटना और परिजनों के बीच उन्हें अच्छा लग रहा है।
Published on:
05 Mar 2022 03:11 pm
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