14 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

CG Highcourt: 17 साल की दुष्कर्म पीड़ित को हाईकोर्ट ने दी अबॉर्शन कराने की अनुमति, शादी का वादा कर शारीरिक संबंध बना रहा था युवक

CG Highcourt: बिलासपुर में दुष्कर्म पीड़ित 17 साल की नाबालिग को हाईकोर्ट ने मानवीय आधार पर अबॉर्शन कराने की अनुमति दी है।

2 min read
Google source verification
pragnancy

CG Highcourt: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में दुष्कर्म पीड़ित 17 साल की नाबालिग को हाईकोर्ट ने मानवीय आधार पर अबॉर्शन कराने की अनुमति दी है। पीड़िता का मेडिकल टेस्ट कराने के बाद डॉक्टरों की रिपोर्ट में पता चला कि लड़की 21 सप्ताह का गर्भ है। उसका अबॉर्शन कराया जा सकता है। कोर्ट ने पीड़िता का रायपुर स्थित पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में विशेषज्ञ डॉक्टरों की निगरानी में अबॉर्शन कराने के निर्देश दिए हैं।

यह भी पढ़ें: CG Highcourt: पिता पेशी में नहीं गया तो बेटे को जेल में डाला, एसडीओ पर लगा जुर्माना

CG Highcourt: नाबालिग को मिली गर्भपात की अनुमति

CG Highcourt: बलौदाबाजार जिले की नाबालिग को जान-पहचान का एक युवक शादी का वादा कर लगातार शारीरिक संबंध बनाते रहा, जिससे वह गर्भवती हो गई। इसके बाद युवक ने उसे अपनाने से इनकार कर दिया। इस पर उसने थाने में शिकायत दर्ज कराई। जिस पर पुलिस ने आरोपी युवक के खिलाफ केस दर्ज कर उसे जेल भेज दिया।

इसके बाद लड़की के परिजन ने स्थानीय प्रशासन से अबॉर्शन कराने की अनुमति मांगी। लेकिन, कानूनी प्रावधान के चलते उन्हें अनुमति नहीं मिली। इस पर उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर गर्भपात कराने की अनुमति देने की मांग की।

लड़की में पाई गईं गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं

हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए गर्भपात की अनुमति देने से पहले पीड़िता की शारीरिक और मानसिक स्थिति की जांच के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों की रिपोर्ट मंगाई थी। रिपोर्ट में पीड़िता को एनीमिया और सिकलसेल जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रसित बताया गया, जिससे गर्भ बनाए रखना उसके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता था।

डीएनए परीक्षण के लिए भ्रूण के सैंपल रखने के निर्देश

जस्टिस एनके चंद्रवंशी की सिंगल बेंच ने अपने आदेश में कहा कि गर्भ रोकने से पीड़िता की शारीरिक और मानसिक स्थिति पर गंभीर असर पड़ सकता है। वहीं, गर्भपात के दौरान भी सिकलसेल और एनीमिया जैसी जटिलताओं के कारण जोखिम बना रहेगा।

कोर्ट ने नाबालिग और उसके अभिभावकों की सहमति से अबॉर्शन की अनुमति दी। गर्भपात के बाद भ्रूण के ऊतक और रक्त के नमूने सुरक्षित रखने के निर्देश भी देते हुए कोर्ट ने कहा कि भविष्य में डीएनए परीक्षण की आवश्यकता पड़ने पर ये नमूने उपयोगी हो सकते हैं।