
CG Unemployment : कम पढ़े-लिखों के पास काम ज्यादा, ग्रेजुएट सबसे ज्यादा बेरोजगार
जयंत कुमार सिंह
Bilaspur News : मान्यता है कि ‘जितना पढ़ोगे, उतना कमाओगे’ लेकिन देश के श्रम और रोजगार के आंकड़े तो इसके विपरीत चाल चल रहे हैं। इन आंकड़ों के हिसाब से देश में सबसे कम बेरोजगारी निरक्षरों में है, इसके बाद जैसे-जैसे शिक्षा का स्तर बढ़ता जाता है (CG Bilaspur News) बेरोजगारी का प्रतिशत भी बढ़ता जाता है और इन आंकड़ों का चरम ग्रेजुएट युवकों पर टिकता है। हालांकि पीजी यानि पोस्ट ग्रेजुएट्स में भी बेरोजगारी काफी है लेकिन ग्रेजुएट से कम ही है। इसके कारणों की बात करें तो अर्थशास्त्रियों के हिसाब से उपलब्ध कौशल और उपलब्ध रोजगार के बीच असंतुलन प्रमुख कारण है तो दूसरी ओर समाज शास्त्री यह कहते हैं कि हमारे समाज में काम को सिर्फ काम की नजर से नहीं देखा जाता।
इसे बड़ा काम, छोटा काम, बड़ी नौकरी, छोटी नौकरी जैसे मानकों में तोला जाता है, यह भी प्रमुख कारण है। दरअसल राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय यानि एनएसओ, साख्यिकी और कार्यक्रम मंत्रालय (एमएसओपीआई) द्वारा वर्ष 2017-18 से करवाए जा रहे श्रम बल सर्वेक्षण यानि पीएलएफएस से रोजगार और बेरोजगारी पर आंकड़े संग्रह किए जाते हैं। (Bilaspur News) नए वार्षिक पीएलएफएस रिपोर्ट के अनुसार यह बातें सामने आई हैं। हालांकि इस रिपोर्ट में तीन वर्ष के आंकड़ों का हवाला देकर बेरोजगारी दर कम होने की बात कही गई है, (Bilaspur News Hindi) लेकिन इसमें भी वहीं ट्रेंड दिख रहा है कि जैसे-जैसे पढ़ाई का स्तर बढ़ रहा है, बेरोजगारी बढ़ रही है।
यहां भी ग्रेजुएट सबसे ज्यादा बेरोजगार
बिलासपुर, कोरबा, जांजगीर, अंबिकापुर, रायगढ़ आदि जिलों के जब आंकड़े खंगाले गए तो यहां भी सबसे ज्यादा बेरोजगार स्नातक वाले ही थे। बिलासपुर में 35840, रायगढ़ में 21532, कोरबा में 4928 और जांजगीर में 17527 स्नातक बेरोजगार थे।
टॉपिक एक्सपर्ट
जैसे-जैसे शिक्षा स्तर बढ़ रहा है बेरोजगारी दर बढ़ रही है। इसके पीछे दो कारण हैं। पहला पूर्व की हमारी शिक्षा नीति जो सिर्फ नौकरी को फोकस करती थी और दूसरा हमारे समाज में बड़ा काम और छोटा काम की मानसिकता है। आप विदेशों में देखिए वहां काम को लेकर मानसिकता दूसरी है। हमारे यहां छात्र पढ़ाई के साथ कोई दूसरा काम नहीं कर सकते। (CG News Update) वहां पार्ट टाइम जॉब, वीकेंड जॉब पर कोई रोक नहीं। पढ़ाई केवल नौकरी का ही माध्यम नहीं,यह कई मार्ग खोलती है। वहीं रोजगार का अर्थ केवल नौकरी ही नहीं है इसमें भी कई आयाम हैं। नई शिक्षा नीति इन सभी समस्याओं के समाधान में कारगर भूमिका निभाएगी।
- डॉ. आलोक चक्रवाल, कुलपति, सेंट्रल यूनिवर्सिटी, बिलासपुर
गौर कीजिए देश के इन आंकड़ों पर
| शिक्षा का स्तर | 2019-20 | 20-21 | 21-22 |
| निरक्षर | 0.6 | 0.4 | 0.4 |
| प्राइमरी | 1.4 | 1.4 | 1.0 |
| मिडिल | 3.4 | 2.5 | 2.6 |
| सेकेंडरी | 4.1 | 3.8 | 3.4 |
| हायर सेकेंडरी | 7.9 | 6.6 | 6.3 |
| डिप्लोमा, सर्टिफिकेट | 14.2 | 14.2 | 13.0 |
| ग्रेजुएट | 17.2 | 15.5 | 14.9 |
| पीजी या अधिक | 12.9 | 12.5 | 11.4 |
कारण जो सामने आए
इस मामले में श्रम और रोजगार मंत्रालय के मुताबिक, कुछ अध्ययनों ने पता चला है कि उपलब्ध नौकरियों के लिए आवश्यक कौशल और रोजगार ढूंढने वालों के कौशल के बीच एक असंतुलन की स्थिति है। (Raipur News) इसके कारण उच्च गुणवत्ता वाली नौकरियों की तलाश में उच्च शिक्षित लोगों के बीच उच्च बेरोजगारी है।
छत्तीसगढ़ की स्थिति
प्रदेश में भी यही ट्रेेंड है। बिलासपुर और सरगुजा संभाग के रोजगार दफ्तरों से जब पंजीयन के आंकड़े निकाले गए तो हैरान करने वाले रहे। पहली बात यह थी कि निरक्षर पंजीयन शून्य तो नहीं पर इसकी ही जैसी स्थिति थी। (CG News Update) अधिकांश जिलों में इनका पंजीयन नहीं है और जहां है वहां एक या दो से ज्यादा नहीं हैं। जैसे बिलासपुर में दो और अंबिकापुर में एक निरक्षर पंजीकृत है।
Published on:
10 Jun 2023 03:57 pm
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