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पेट दर्द का इलाज कराने गए अविवाहित लड़के की डॉक्टरों ने कर दी नसबंदी

Crime in Bilaspur: बेहोशी के बाद आंखें खोली तो डॉक्टर बोले- शाबास..ये लो सर्टिफिकेट और थमा दिए 1100 रुपए (Sterilization of Unmarried boy)

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Crime in Bilaspur: Sterilization of Unmarried boy

पेट दर्द का इलाज कराने गए अविवाहित लड़के की डॉक्टरों ने कर दी नसबंदी

बिलासपुर. पेट दर्द का इलाज कराने गए अविवाहित लड़के की डॉक्टरों ने नसबंदी कर दी। बेहोशी के बाद लड़के ने आखें खोली तो डॉक्टर बोले- शाबास, ये लो सर्टिफिकेट और 11 सौ रुपए थमा दिए। ये घटना देखकर लड़का (Crime in Bilaspur) भौचक्का रह गया। उसे समझ ही नहीं आया कि पेट दर्द का इजाल कराने पर पैसे मिल सकते हैं। लेकिन जब उसने अन्य लोगों को ये बात बताइ्र्र तब उसे एहसास हुआ कि उसकी जिंदगी बर्बाद हो चुकी है। शादी के पहले ही डॉक्टरों ने उसकी नसबंदी (Sterilization of Unmarried boy) कर दी है। इसके बाद उसने कोर्ट की शरण ली और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।

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इस मामले में अब जस्टिस गौतम भादुड़ी की एकलपीठ ने अविवाहित युवक की बिना जानकारी नसबंदी कराने पर शासन को 2.50 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया है। साथ ही यााचिकाकर्ता को छूट दी है कि वो चाहे तो दोषी मेडिकल अफसरों से भी मुआवजा वसूल कर सकता है। अविवाहित युवक प्रीतम सोनवानी डोगरगढ़ के शासकीय अस्पताल में अपने पेट दर्द का इलाज कराने के लिए गया था।

डाक्टरों ने उसे अस्पताल में परीक्षण के नाम पर भर्ती कर लिया। तीन-चार इंजेक्शन लगाने के बाद वो बेहोश हो गया। होश में आने पर डाक्टरों ने बताया कि अब वो बिल्कुल ठीक है, अपने घर जा सकता है। डिस्चार्ज करने के बाद डाक्टरों ने उसे एक सर्टिफिकेट व 1100 रुपए दिया। सटिफिकेट व रुपए किस बात के लिए दिया गया, अनपढ़ होने के कारण वो नहीं जान सका। कुछ लोगों को सर्टिफिकेट दिखाकर उसके पूछा कि ये किस बात का सर्टिफिकेट है। लोगों ने बताया कि ये तो नंसबंदी का सर्टिफिकेट (Crime in Bilaspur) है।

हैरान-परेशान युवक ने मामले की शिकायत डोगरगढ़ पुलिस थाने में की। पुलिस द्वारा किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं किए जाने पर उसने अधिवक्ता पराग कोटेचा के माध्यम से हाईकोर्ट में अपील की। अधिवक्ता कोटेचा ने मामले की सुनवाई के दौरान अविवाहित युवक का बिना उसकी जानकारी के नसबंदी (Sterilization of Unmarried boy) कराने का विरोध करते हुए चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए उचित मुआवजा दिए जाने को कहा। एकलपीठ ने मामले में फैसला देते हुए शासन को ढ़ाई लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया। साथ ही याचिकाकर्ता को छूट दी कि वो चाहे तो अस्पताल के दोषी अधिकारियों व चिकित्सकों (Crime in Bilaspur) से भी मुआवजा वसूल सकता है।