
घर-घर सजाया जाएगा गन्ने का मंडप, बेटी स्वरूप मानकर देवी तुलसी का कराएंगे विवाह
बिलासपुर. देवउठनी एकादशी का पर्व शुक्रवार को मनाया जाएगा। मान्यतानुसार घर के आंगन में रखे तुलसी के पौधे का विवाह गन्ने का मंडप सजाकर करेंगे। तुलसी के पौधें को शृंगारित कर हल्दी-कुमकुम, रोली चंदन, अक्षत अर्पित करते हुए चुनरी व चूड़ी, बिंदी अर्पित करते हुए भगवान शालीग्राम से विवाह कराया जाएगा। विवाह कराते हुए सुख-समृद्धि की कामना की जाएगी। घरों में उत्सव मनाते हुए चारों तरफ दीप जलाए जाएंगे। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष एकादशी को देवउठनी एकादशी का पर्व मनाया जाता है। ज्योतिषाचार्य एवं वास्तुविद डॉ.दीपक शर्मा ने बताया कि इस दिन चार माह से शयन कर रहे भगवान विष्णु शयन से जागेंगे। इसके साथ ही शुभ व मांगलिक कार्यों का सिलसिला शुरू हो जाएगा। चूंकि इस वर्ष शुक्र व सूर्य अस्त है इसलिए विवाह के मुहूर्त १९ नवंबर से प्रारंभ होंगे। ज्योतिषाचार्य एवं वास्तुविद डॉ.उद्धव श्याम केसरी ने बताया कि तुलसी को बेटी का स्वरूप माना गया है। इसलिए घरों में मांगलिक कार्य की शुरुआत तुलसी विवाह से होती है। तुलसी घर की बेटी है और इसी वजह से उनका विवाह भगवान शालीग्राम से कराया जाने का विधान है।
घरों में जलेगा दीप व सजेगी रंगोली
तुलसी विवाह के पर्व के तौर पर देवउठनी एकादशी को मनाया जाता है। इसलिए दीपावली की तरह ही घरों में उत्सव का माहौल रहेगा। तुलसी मां लक्ष्मी का ही स्वरूप है। इस वजह से घर के मुख्य द्वार पर रंगोली सजाकर शाम में विधि-विधान से पूजा करते हुए दीप जलाकर रोशनी की जाएगी। मां लक्ष्मी से सदैव अपनी कृपा बनाए रखने की कामना की जाएगी।
मंदिरों में गूंजेगा उठो देव, जागो का स्वर
देवउठनी एकादशी के दिन मंदिरों में विधि-विधान से पूजन करते हुए भगवान श्रीहरि विष्णु को जगाया जाएगा। श्रद्धालु भगवान श्री हरि विष्णु के पास से तकिया को हटाएंगे और उठो देव, जागो देव एक स्वर में कहेंगे। साथ ही घंटियों व शंख को बजाया जाएगा। श्री हरि विष्णु का जयघोष भी करेंगे।
बाजार में की गई खूब खरीदारी
देवउठनी एकादशी के लिए बाजार में पूजन सामग्री व मंडप के लिए गन्ने की खरीदारी करने के लिए लोग पहुंचे। जिसके कारण बाजार में रौनक रही। देवकीनंदन चौक, कंपनी गार्डन के सामने, शनिचरी, बुधवारी बाजार, सरकण्डा नूतन चौक, नेहरू नगर, मंगला, राजकिशोर नगर सहित अलग-अलग क्षेत्रों में गन्ने की खरीदारी लोग करते रहे। इसके अलावा आंवला, सिंघाडा, फल्ली, शकरकंद, बेर जैसे फल पूजन के लिए खरीदा गया।
Published on:
07 Nov 2019 09:36 pm
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