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नवजातों में बढ़ रही शुगर की बीमारी, एक लाख में 10 बच्चे चपेट में

Health News : राज्य में तेजी से टाइप-1 शुगर के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित नवजात हो रहे।

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नवजातों में बढ़ रही शुगर की बीमारी, एक लाख में 10 बच्चे चपेट में

नवजातों में बढ़ रही शुगर की बीमारी, एक लाख में 10 बच्चे चपेट में

बिलासपुर। Health News : राज्य में तेजी से टाइप-1 शुगर के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित नवजात हो रहे। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक दो साल पहले तक प्रति 1 लाख बर्थ में जहां 3 से 5 मरीज ही इससे पीडि़त मिलते थे, वर्तमान में यह रेशियो बढ़ कर औसतन 10 हो गया है। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव दक्षिण भारत व महाराष्ट्र में देखा जा रहा है।

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एक जमाना था जब शुगर बड़ों की ही बीमारी मानी जाती थी। अमूमन 40 साल की उम्र के बाद इसका खतरा बढ़ता था। आज स्थिति ये है कि नवजात बच्चे भी चपेट में आ रहे हैं। डॉक्टरों के अनुसार बच्चों में ये बीमारी तेजी से बढ़ रही है। वयस्क अपने लक्षण तो डॉक्टरों को बता देते हैं पर बच्चे नहीं बता पाते। जब वे टाइप-1 की चपेट में आते हैं तो बेहोशी की हालत में रहते हैं। यह अवस्था 'डायबिटिक कीटो एसीडेमिक' कहलाती है।


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आजीवन इंसुलिन की सहारा

चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. अशोक अग्रवाल के अनुसार टाइप-1 डायबिटीज ज्यादातर बच्चों में ही होती है। ऐसे बच्चों में इंसुलिन की ग्रंथी ही नहीं होती, अगर होती भी है तो उससे इंसुलिन नहीं बनता। इससे शरीर में रक्त शर्करा अनियमित रूप से बढ़ती है। इससे पीडि़त का इलाज सिर्फ इंसुलिन ही है। यानी ऐसे मरीजों को आजीवन इंसुलिन ही लगाना पड़ता है। ओरल मेडिसिन यानी टेबलेट काम ही नहीं करती।

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शुगर की हिस्ट्री नहीं फिर भी हो रही बीमारी

अमूमन यह माना जाता है कि जिसके माता-पिता, दादा-दादी को शुगर होता है, उसका बच्चा इससे ग्रसित हो जाता है। अब तो स्थिति ये है कि जिसके माता-पिता को शुगर नहीं है, उनके नवजात बच्चे को शुगर हो जा रहा है। यह अवस्था ऑटो इम्यून डिजीज कहलाती है। आयुर्विज्ञान संस्थान सिम्स में पिछले कुछ सालों में ऐसे मामले सामने आ रहे हैं नियम से चलने पर नार्मल लाइफ डॉ. अग्रवाल के मुताबिक ऐसे पेशेंट को दिन में कम से कम 3 आर इंसुलिन लगती है। इसके अलावा नियमित डाइट व व्यायाम शामिल है। इन नियमों का पालन कर पीडि़त नार्मल लाइफ जीता है।

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4 प्रतिशत मरीज हर साल बढ़ रहे डायरेक्टर प्रोफेसर सिम्स डॉ. बी.पी. सिंह के अनुसार बच्चों में टाइप-1 डायबिटीज हर साल 4 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। इसकी मुख्य वजह खानपान, दूषित पर्यावरण, मोटापा, फिजिकल एक्टिविटी न होना है। माता-पिता को भी खान-पान के अलावा नियमित दिनचर्या अपनानी होगी, ताकि उनकी होने वाली संतान इस बीमारी की चपेट में न आने पाए।