
समाज में शक्ति का पर्याय है आधी आबादी – प्रो. चक्रवाल
बिलासपुर। बुधवार को गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग ने ‘महिलाओं के सशक्तिकरण में पत्रकारिता का योगदान’ विषय पर वेबिनार का आयोजन किया जिसमें महिलाओं और मीडिया को केंद्र में रखते हुए विषय विशेषज्ञों ने अपनी बात रखी। वर्चुअल संगोष्ठी में सीयू के कुलपति प्रो. आलोक कुमार चक्रवाल संबोधित करते हुए कहा कि महिला सशक्तिकरण में मीडिया की भूमिका जैसे गंभीर विषय पर यह वेबीनार का आयोजन होना बेहद सामयिक और महत्वपूर्ण है। ऐसे विचारों का आना अच्छे और सशक्त शिक्षक के द्वारा ही संभव है। इसलिए मैं वेबीनार की संयोजक और पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग की विभागाध्यक्ष डॉक्टर गोपा बागची को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। उन्होंने कहा कि जीवन में बदलाव को उपेक्षित करके कुछ नहीं हासिल नहीं किया जा सकता। महिलाएं और पुरुष दोनों ही बराबर हैं। समाज को आगे बढ़ाने और संचालित करने में दोनों की बराबर की भूमिका है। जिस दिन यह बात समझ आ जाएगी सारी समस्याएं खुद ब खुद सुलझ जाएंगी। मीडिया में काम करने वाले व्यक्ति जो समाचार को एकत्रित करते हैं, संकलन करते हैं और विवेचना विवेचना करते हैं और लोगों तक पहुंचाते हैं वे धन्यवाद के पात्र हैं।
इस अवसर पर पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. गोपा बागची ने सभी सम्मानित अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि जब से प्रो. आलोक कुमार चक्रवाल जी का इस विश्वविद्यालय में कुलपति के रूप में आगमन हुआ है तब से विश्वविद्यालय में और पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो रहा है। उनके मार्गदर्शन में ही यह वेबीनार आयोजित हो रहा है।
विषय प्रवेश करते हुए विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ. अनुपमा कुमारी ने कहा कि नारी सदैव से सशक्तिकरण का पर्याय रही है। भारत इकलौता देश हैं जहां ईश्वर के नाम के पहले नारी का नाम लिया जाता है, जैसे गौरी –शंकर, राधा- कृष्ण, सीता- राम। मीडिया ने आज महिलाओं को सशक्त रूप में उभारा है और मेरी कॉम तथा गुंजन शर्मा जैसी शख्सियत को फिल्मों के माध्यम से देश-दुनिया के समक्ष पेश किया है, जो प्रेरणास्पद है।
वेबिनार की मुख्य वक्ता शताब्दी सुबोध पांडेय ने कहा कि महिला सशक्तिकरण में मीडिया की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। आज मीडिया की संरचना में बदलाव आया है। मीडिया द्वारा प्रस्तुत छवि लोगों में अमिट छाप छोड़ती है। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण में परंपरागत माध्यमों की विशेष भूमिका है और इस मीडिया का इस्तेमाल नए मुद्दों को उठाने में किया जाये तो बदलाव की बयार आ सकती है। उन्होंने नामचीन महिला पत्रकारों के योगदान की भी चर्चा की।
वेबिनार के विशिष्ट वक्ता राजेश बादल ने कहा कि मीडिया को मजबूत बनाने में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्होंने उषा मेहता, लक्ष्मी सहगल, अरुणा आसिफ अली, जोहरा सहगल आदि महिला पत्रकारों के कार्यों, उपलब्धियों एवं संघर्षों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि आज मीडिया में महिला पत्रकार काफी लगन, समर्पण और मेहनत से कार्य कर रही हैं।
वहीं विशिष्ट वक्ता प्रो. गोविंद सिंह ने कहा कि महिलाओं को हर क्षेत्र में आगे लाना समाज का कर्तव्य है और इसमें मीडिया का दायित्व सबसे महत्वपूर्ण है। मीडिया का सरोकार महिला मुद्दे के कवरेज पर कम हो गया है। उन्होंने महिला सशक्तिकरण में महिला पत्रकारों की भूमिका पर भी चर्चा की। महिलाओं के मुद्दों व सशक्तिकरण में मेन स्ट्रीम मीडिया के बजाय वैकल्पिक मीडिया के पहल की सराहना की। कार्यक्रम का संचालन पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के पीएचडी शोधार्थी अविनाश त्रिपाठी ने किया और विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. शैलेंद्र कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए अतिथियों का आभार व्यक्त किया और विश्वविद्यालय में हो रहे विकास कार्यों के साथ ही कुलगुरु के अध्ययन-अध्यापन के नवीन दृष्टिकोण की चर्चा की एवं पत्रकारिता विभाग द्वारा आयोजित वेबिनार की समसामयिक एवं महत्वपूर्ण बताया।
Published on:
16 Mar 2022 06:39 pm
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