
5 तत्वों से बने पर्यावरण का संरक्षण बगैर प्रशिक्षण के असंभव - डॉ. भुज
बिलासपुर. डॉ. सीवी रामन विश्वविद्यालय में मंगलवार को दो दिवसीय इंटरनेशनल सिंपोजिया का आयोजन किया गया। इंटरनेशनल सिंपोसिया का विषय इस बार वाटर एनर्जी एंड इनवायरमेंट फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स विषय पर आधारित है। इस आयोजन में दुनिया के कई देशों से आए पर्यावरणविद और शिक्षाविद वाटर एनर्जी एंड इनवायरमेंट फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स विषय पर अपने विचार रखेंगे। मंगलवार को सिंपोजिया के शुभारंभ अवसर पर मुख्य अतिथि फार्मर चीफ ऑफ नेशनल प्रोग्राम नेचुरल साइंस सेक्टर यूनेस्को के डॉ. राम भुज ने कहा, यह जानकर बड़ी प्रसन्नता हुई कि विश्वविद्यालय इस बड़े विषय पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है, जो हर समस्या का समाधान कर सकता है।
उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए लोगों को प्रशिक्षित किए जाने की जरूरत है। लोगों को जानकारी दी जानी चाहिए कि हम किस तरह से पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचा सकते हैं। यह कार्य एक शिक्षण संस्थान ही कर सकता है। सेमिनार में मलेशिया के इंस्टीट्यूट फॉर इनवायररमेंट एंड डेवलपमेंट यूकेएम की डॉ.रहमत इलफिथरी और इस्लामिक आजाद विवि इरान के प्रो. महदी सघेबिन और डॉ.मो. मशिउर रहमान नार्थ साउथ यूनिवर्सिटी बांग्लादेश ने भी पर्यावरण और भूजल में आर्सनिक धातु की अधिकता के कारण होने वाले दुष्परिणाम पर अपनी बात रखी।
पर्यावरण 5 तत्वों से बना : विश्विद्यालय के वाणिज्य विभाग प्राफेसर प्रभाकर पाण्डेय ने कहा, पर्यावरण पांच तत्वों से मिलकर बना है। इन पांच तत्वों में से किसी एक में भी थोड़ी हेरा फेरी होती है तो प्रकृति का संतुलन बिगड़ जाता है। कुछ अविष्कार भी प्राकृतिक समन्वय को संतुलन को बिगड़ते हैं। उन्होंने कहा कि मानव का धर्म है कि हर काम को करने से पहले एक बार अवश्य ध्यान दे, जिससे प्राकृतिक संतुलन बना रहे। कुलसचिव गौरव शुक्ला ने कहा, आदिवासी बहुल क्षेत्र में मैकल पहाड़ी के आंचल में विश्वविद्यालय स्थापित किया गया है, जहां प्राकृतिक छटा चारों ओर है। इसलिए विश्वविद्यालय में ऐसे विषयों पर शोध की अनेक संभावनाएं हैं और विश्वविद्यालय शोध के लिए लगातार काम भी कर रहा है।
150 गांवों का किया सर्वे : डॉ. पांडेय ने बताया कि हाल में ही सरकार के साथ मिलकर हमने 150 गांव के पानी का सर्वे किया था और ऐसे रिसर्च विश्वविद्यालय के शोधार्थी करते रहते हैं। उन्होंने अतिथियों को विश्वविद्यालय के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी। कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. मनीष उपाध्याय थे। डॉ. राजेंद्र मेहता, गुरु घासीदास विवि, डॉ. साधना चौरसिया चित्रकोट विवि, सतना, डॉ. संतोष कुमार सार बीआईटी दुर्ग और डॉ. सत्येंद्र निराला जीजीयू शामिल हुए। इस अवसर पर सभी विभागों के विभाग अध्यक्ष, प्राध्यापक, अधिकारी, कर्मचारी, शोधार्थी और विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
Published on:
26 Sept 2018 01:41 pm
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