
Big Issue in CG: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं पहले से ही बदहाल हैं, ऐसे में अगर स्वास्थ्यकर्मी ही अपने कर्तव्यों से भागने लगें तो आमजन को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। कुछ ऐसा ही हो रहा है बिलासपुर जिले के कोटा विकासखंड अंतर्गत आमागोहन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) में, जहां पदस्थ ग्रामीण चिकित्सा सहायक (आरएमए) मिथलेश भारद्वाज लंबे समय से कार्य में लापरवाही बरत रही हैं।
जानकारी के अनुसार, आरएमए मिथलेश भारद्वाज महीने में महज एक या दो बार पीएचसी पहुंचती हैं और सिर्फ उपस्थिति रजिस्टर पर दस्तखत कर चली जाती हैं।इसके बावजूद वह पूरे महीने का वेतन उठा रही हैं। आश्चर्य की बात यह है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक दिन भी नियमित रूप से मरीजों की जांच या उपचार नहीं हो रहा है। गांव के लोगों को मामूली इलाज के लिए भी निजी क्लीनिक या बिलासपुर सिस अस्पताल का रुख करना पड़ रहा है।
गांव के कई लोगों ने बताया कि वे पीएचसी पर भरोसा करके आते हैं, लेकिन वहां ताला लगा रहता है या कोई स्वास्थ्यकर्मी मौजूद नहीं होता। कई बार मरीजों को बिना उपचार के लौटना पड़ा है। गर्भवती महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह स्थिति और भी खतरनाक साबित हो रही है। स्वास्थ्य केंद्र में न तो दवाइयों का वितरण हो रहा है और न ही कोई स्वास्थ्य जांच की सुविधा उपलब्ध हो रही है।
आरएमए द्वारा महज 15-15 दिन में उपस्थिति दर्ज कर वेतन लेने की यह प्रणाली शासन-प्रशासन की निगरानी व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करती है। इससे न केवल सरकारी धन की बर्बादी हो रही है, बल्कि ग्रामीणों के स्वास्थ्य का भी भारी नुकसान हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को इस मामले की गंभीरता से जांच कर सत कार्रवाई करनी चाहिए।
Updated on:
13 May 2025 01:34 pm
Published on:
13 May 2025 01:28 pm
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