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इन्होने जीवनभर की कुष्ठरोगियों की सेवा, मृत्यु के बाद शरीर भी कर गए इस दुनिया को दान, जानिये कौन थे पद्मश्री बापट जी

MOTIVATIONAL STORY: कुष्ठ पीडि़तों के सेवक बापट ने ली अपोलो में अंतिम सांस  

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Padmshree Damodar Ganesh Bapat donated his body after death

इन्होने जीवनभर की कुष्ठरोगियों की सेवा, मृत्यु के बाद शरीर भी कर गए इस दुनिया को दान, जानिये कौन थे पद्मश्री बापट जी

रुह रही कुष्ठ पीडि़तों के नाम, जाते-जाते अपनी देह भी कर गए इस दुनिया को दान

बिलासपुर. पीडि़त और असहायों का दर्द कैसे महसूस किया जाता है, कैसे उसे संवारने में अपना सबकुछ त्याग देना पड़ता है यदि सीखना है तो बापट का जीवन इसके लिए श्रेष्ठ उदाहरण है। उन्होंने कुष्ठ रोगियों की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली थी। सेवा कार्य मे व्यवधान ना हो इसलिए उन्होंने शादी तक नहीं की। संपत्ति के नाम पर उनके पास कुल जमा दो जोड़ी कपड़े, एक बिगड़ा रेडियो, एक मच्छरदानी और बेड ही था। बापट जब तक जीवित रहे उनकी रुह कुष्ट रोगियों के लिए समर्पित रही वहीं जब इस दुनिया से गए तो अपना देह भी इस समाज के लिए दान कर दिया। पद्मश्री दामोदर गणेश बापट का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। शनिवार की सुबह 4 बजे शहर के अपोलो अस्पताल में उनकी मौत हो गई। बापट का जीवन कुष्ट रोगियों के लिए समर्पित रहा। कुष्ट आश्रम में आए हर पीडि़त को अपने ममता उन्होंने का स्पर्श दिया। कुष्ठ आश्रम की स्थापना चांपा के सोंठी में सन 1962 में सदाशिवराव गोविंदराव कात्रे द्वारा की गई थी, जहां वनवासी कल्याण आश्रम के कार्यकर्ता बापट सन 1972 में पहुंचे और कुष्ट पीडि़तों के इलाज और उनके पुनर्वास के लिए प्रकल्पों की शुरूआत की।

शव लाया गया सिम्स
बापट की इच्छा के अनुरूप संस्था ने उनके मृत देह को सिम्स में दान कर दिया ताकि उनके शरीर से मेडिकल के छात्र अध्ययन कर सकें। सिम्स में नेताप्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उनके संकल्प के अनुसार शनिवार को दोपहर 3 बजे उनका पार्थिव शरीर मेडिकल कॉलेज (सिम्स) बिलासपुर को सुपुर्द करने लाया गया।

ये है इनका जीवन
बापट मूलत: ग्राम पथरोट, जिला अमरावती (महाराष्ट्र) के थे। नागपुर से बीए व बीकॉम की पढ़ाई पूरी की है। बचपन से ही उनके मन में सेवा की भावना कूट-कूटकर भरी थी। यही वजह है कि वे करीब 9 वर्ष की आयु से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ता रहे। पढ़ाई पूरी करने के बाद बापट ने जीवकोपार्जन के लिए पहले कई स्थानों में नौकरी की, लेकिन उनका मन तो बार बार समाज सेवा की ओर ही जाता था।

परिसर बन गया एक स्वतंत्र ग्राम
दामोदर गणेश बापट के समर्पण का ही नतीजा था कि संस्था परिसर एक स्वतंत्र ग्राम बन गया है। छात्रावास, स्कूल, झूलाघर, कम्प्यूटर प्रशिक्षण, सिलाई प्रशिक्षण, ड्राइविंग प्रशिक्षण, अन्य एक दिवसीय प्रशिक्षण, चिकित्सालय, रुग्णालय, कुष्ठ सेवा, एंबुलेंस, चलित औषधालय एंबुलेंस व कुपोषण निवारण, कृषि, बागवानी, गौशाला, चाक निर्माण, टाटपट्टी निर्माण, वेल्डिंग, सिलाई केंद्र, जैविक खाद, गोबर गैस, कामधेनु अनुसंधान केंद्र, रस्सी निर्माण व अन्य गतिविधि यहां संचालित है। बापट के प्रयास से इस संस्था को अनेक पुरस्कार व सम्मान पहले ही मिल चुके है।

ये रहे उपस्थित
श्रद्धांजलि सभा में पूर्व सांसद लखनलाल साहू, विधायक डॉ.कृष्णमूर्ति बांधी, रजनीश सिंह, महापौर किशोर राय, भाजपा जिला महामंत्री रामदेव कुमावत, घनश्याम कौशिक, हर्षिता पाण्डेय, गोपी ठारवानी, प्रवीर सेन गुप्ता, जुगल अग्रवाल, उदय मजूमदार, लक्ष्मीनारायण कश्यप, राजेश मिश्रा, गणेश रजक, अमित तिवारी, केदार खत्री, मीना गोस्वामी, कमल कौशिक, नारायण गोस्वामी, विक्रम सिंह, अवधेश अग्रवाल, नीरज शर्मा, लाला भाभा, राज यादव सहित भाजपा कार्यकर्ता उपस्थित थे।

पद्मश्री दामोदर गणेश बापट जशपुर के वनवासी कल्याण आश्रम में बच्चों को पढ़ाते थे। इसी बीच वे कुष्ठ रोगियों के संपर्क में आए और सदा के लिए उन्ही के होकर रहे।
धरमलाल कौशिक, नेता प्रतिपक्ष

हमें पद्मश्री दामोदर गणेश बापट के जीवन से प्रेरणा लेना चाहिए। भगवान से प्रार्थना है कि महामानव की मृत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें।
अरुण साव, सांसद बिलासपुर


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