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निशक्त जन संस्थान अस्पताल के नाम हुए घोटाले पर जनहित याचिका, पक्षकारों ने जवाब के लिए समय लिया

राज्य स्त्रोत निशक्त जन संस्थान अस्पताल रायपुर के नाम पर हुए करोड़ों के घोटाले पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान गुरुवार को अधिकांश पक्षकारों ने जवाब के लिए समय लिया। अब 28 जुलाई को अगली सुनवाई होगी।

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निशक्त जन संस्थान अस्पताल के नाम हुए घोटाले पर जनहित याचिका, पक्षकारों ने जवाब के लिए समय लिया

निशक्त जन संस्थान अस्पताल के नाम हुए घोटाले पर जनहित याचिका, पक्षकारों ने जवाब के लिए समय लिया

बिलासपुर। राज्य स्त्रोत निशक्त जन संस्थान अस्पताल रायपुर के नाम पर हुए करोड़ों के घोटाले पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान गुरुवार को अधिकांश पक्षकारों ने जवाब के लिए समय लिया। अब 28 जुलाई को अगली सुनवाई होगी।

रायपुर कुशालपुर निवासी कुंदन सिंह ठाकुर ने प्रदेश के वर्तमान और रिटायर्ड आईएएस अफसरों के द्वारा एनजीओ के नाम पर करोड़ों का घोटाला करने का आरोप लगाते हुए जनहित याचिका दायर की थी। इसमें बताया गया था कि स्वयं याचिकाकर्ता को एक शासकीय अस्पताल राज्य स्त्रोत निशक्त जन संस्थान में कार्यरत बताते हुए उसे वेतन देने की जानकारी पहले मिली। इसके बाद उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी हासिल की। इसमें पता चला कि , नया रायपुर स्थित इस कथित अस्पताल को एक एनजीओ द्वारा चलाया जा रहा है ,जिसमें करोड़ों की मशीनें खरीदी गईं हैं।.इनके रख रखाव में भी करोड़ों का खर्च आना बताया गया। इस मामले में पहले 2017में एक पिटीशन दायर की गई। बाद में 2018 में इसे जनहित याचिका के रूप में एडवोकेट देवर्षि ठाकुर के माध्यम से प्रस्तुत की गई। मामले में हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि ये 1 हजार करोड़ का घोटाला है। मामले की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट ने पहले हुई सुनवाई में आदेश जारी कर घोटाले मे शामिल अफसरों पर एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। इसी मामले में सरकार ने एक पुनर्विचार याचिका दायर कर कहा था कि सीबीआई की बजाय यह मामला पुलिस को दिया जाए। प्रकरण में चीफ जस्टिस की डीबी में महाधिवक्ता ने शासन का पक्ष प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया था कि सीबीआई की जगह यह मामला राज्य पुलिस को सौंपा जाए। सिर्फ इसी एक बिन्दु पर यह मामला शासन ने पेश किया है। राज्य पुलिस इसकी खुद जांच करना चाहती है और इसमें सक्षम भी है।महाधिवक्ता ने कहा कि, पुलिस जो जांच करे उसे स्वयं हाइकोर्ट अपनी निगरानी मे रखे। आज इस मामले में 31 में से केवल एक सुनील कुजूर ने अपना जवाब प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि पहले इस अस्पताल से जुड़े थे बाद में उनका तबादला हो गया। अन्य पक्षकारों ने जवाब के लिए समय लिया है। अगली सुनवाई 28 जुलाई को निर्धारित की गई है।