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जीवन में चाहे कितना भी आगे निकल जाओ मां-बाप को कभी भूलना नहीं-चिन्मयानंद बापू

Ram katha bhagwat: भगवान परशुराम समिति व हिन्दू मंच का आयोजन, दयालबंद में गूंज रहा राम नाम का जयघोष

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shrimad bhagwat katha at bada ramdwara soorsagar of jodhpur

बड़ा रामद्वारा में श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन हुई पूर्णारती, झूम उठे श्रद्धालु

बिलासपुर. जीवन में व्यक्ति चाहे कितना भी आगे चला जाए। कही भी पहुंच जाए, पर मां-बाप को नहीं भूलना चाहिए। जिन्होंने माता-पिता का साथ छोड़ दिया जिंगदी ने उनका साथ छोड़ दिया। क्योंकि माता-पिता के आशीर्वाद के बिना व्यक्ति आगे नहीं बढ़ सकता है। जैसे पानी के बिना व्यक्ति लंबे समय तक नहीं रह सकता है।

वैसे ही माता-पिता के आशीर्वाद व उनकी छत्र-छाया के बिना व्यक्ति ज्यादा दिन नहीं रह सकता। यह बातें प्रसिद्ध संत व कथावाचक आचार्य चिन्मयानंद बापू ने दयालबंद में आयोजित श्रीराम कथा के दौरान श्रद्धालुओं से कही। भगवान परशुराम समिति व हिन्दू मंच की ओर से श्रीराम कथा महोत्सव का आयोजन दयालबंद में किया गया है। कथा में प्रसिद्ध संत चिंन्मयानंद बापू ने कहा कि जब प्यास लगती है तो पानी कितना भी दूर हो व्यक्ति प्यास बुझाने के लिए पहुंच ही जाता है।

एेसे ही जिन्हें राम कथा से प्रेम हो कथा सुनने पहुंच ही जाते है। प्रभु राम संपूर्ण मानव जाति के लिए आदर्श है उनका चरित्र हम सभी अपने जीवन में उतारे। राम जैसा चरित्र न धरती पर हुआ है और न होगा। आचार्य ने कहा कि व्यक्ति को माता-पिता और गुरु की आज्ञा का पालन करना चाहिए। उन्होंने भगवान शिव व पार्वती के विवाह के प्रसंग को विस्तार से बताया। आगे कहा कि हम अपने परिवार को भी एेसा बनाए कि एक आदर्श हो। भगवान शिव का परिवार आज पूरे विश्व के लिए आदर्श है। भगवान शिव का ही परिवार है जिसमें प्रत्येक पूजनीय है। शिव-पार्वती, गणेश, कार्तिकेय और नागपंचमी के दिन पूजा होती है। इसी तरह से हमारा भी परिवार हो और सभी साथ रहे और सामंजस्य सदैव बना रहे।

राम से प्रेम बढ़ाना है तो पहले शिव से प्रेम करो

कथा में बापू ने एक वृत्तांत सुनाते हुए कहा कि एक बार भारद्वाज ऋषि ने याज्ञवल्क्य ऋषि से राम कथा के बारे में प्रश्न पूछा। याज्ञवल्क्य ऋषि ने श्री राम कथा को शिवचरित्र की ओर मोड़ते हुए शिव चरित्र सुनाने लगे। इसका मतलब यह है कि प्रभु राम के चरणों में प्रेम बढ़ाना है तो पहले भगवान शिव से प्रेम करो।