
सकट चौथ का व्रत 10 जनवरी को मनाया जाएगा
इस व्रत में मिट्टी से बने गौरी, गणेश, चंद्रमा की पूजा का विधान बताया गया है। साथ ही इस दिन सकट माता की पूजा भी की जाती है। सकट शब्द का अर्थ है संकट, इस दिन गणपति ने देवताओं का संकट दूर किया था।
इस दिन तिल को कुटकर उसमें घी और गुड़ मिलाकर प्रसाद बनाया जाता है। इसलिए इसे तिला कुटा चौथ भी कहा जाता है।
सकट चौथ शुभ मुहूर्त
सकट चौथ के शुभ मुहूर्त की शुरुआत 10 जनवरी को दोपहर में 12 बजकर 9 मिनट पर होगी और इसका समापन 11 जनवरी 2023 को दोपहर में 2 बजकर 31 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार, सकट चौथ का व्रत 10 जनवरी को ही रखा जाएगा। यह व्रत रात को चंद्रमा को अर्घ देने के बाद ही खोला जाता है। चंद्रोदय का समय शाम को 8 बजकर 41 मिनट पर होगा।
सकट चौथ पूजन विधि
सबसे पहले स्नान करने के बाद सूर्य को अर्घ देने के बाद गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें। उसके बाद गणेश जी को तिलक लगाएं, दुर्वा, जल, चावल, जनेऊ अर्पित करें। फिर गणेश जी को मोदक या लड्डू का भोग लगाएं। सकट चौथ के दिन भगवान गणेश को तिल से बनी हुई चीजों का भोग जरूर लगाए। इसके बाद धूप और दीया जलाकर भगवान गणेश के मंत्रों का जप करें। साथ ही इस दिन सकट चौथ की कथा का पाठ भी करना चाहिए। इस दिन गणेशजी के 12 नामों का उच्चारण भी करना चाहिए। शाम के समय भी इसी तरह गणेश जी की पूजा करने के पश्चात चंद्रमा को अर्घ दिया जाएगा। चंद्रमा को अर्घ देते समय लोटे में तिल जरुर डाले। अर्घ देने के बाद व्रत का पारण करे।
सकट चौथ के खास उपाय
आर्थिक तंगी : इस दिन भगवान गणेश की पूजा के साथ उन्हें घी और गुड़ का भोग लगाए। पारण के बाद इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण कर खाना है और घर के सभी सदस्यों को बांटे।
मेहनत या सफलता का फल : अगर आप काम में पूरी मेहनत करते हैं और उसका आपको फल प्राप्त नहीं होता है तो आपको श्री गणेश के मंत्रों का जाप करें। जैसे - ऊं गं गणपतये नम: का 11 बार जाप करें और उनके हर मंत्र के साथ पुष्प भी अर्पित करें। इसके बाद तिल और गुड़ के लड्डूओं का भोग लगाए।
किसी बात से परेशान हैं : अगर आप किसी बात से परेशान हैं तो एक पान के पत्ते पर हल्दी से स्वास्तिक बनाए। उसके बाद उस पत्ते को भगवान गणेश को अर्पित कर उनसे प्रार्थना करें कि सभी कष्ट दूर हो जाएं।
सकट चौथ का महत्व :
ऐसी मान्यता है कि जो माताएं सकट चौथ के दिन निर्जला व्रत रखती हैं और पूरी श्रद्धा से गणेश भगवान की पूजा करती हैं। उनकी संतान हमेशा निरोग रहती है और उन पर गणपति भगवान की विशेष कृपा होती है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान गणेश और चंद्रमा की पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
सकट चौथ व्रत कथा
इसी दिन भगवान गणेश अपने जीवन के सबसे बड़े संकट से निकलकर आए थे। इसीलिए इसे सकट चौथ कहा जाता है। एक बार मां पार्वती स्नान के लिए गईं तो उन्होंने दरवाजे पर गणेश को खड़ा कर दिया और किसी को अंदर नहीं आने देने के लिए कहा। जब भगवान शिव आए तो गणपति ने उन्हें अंदर आने से रोक दिया। जिससे भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने अपने त्रिशूल से गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया। पुत्र का यह हाल देख मां पार्वती विलाप करने लगीं और अपने पुत्र को जीवित करने की हठ करने लगीं।
जब मां पार्वती ने शिव से बहुत अनुरोध किया तो भगवान गणेश को हाथी का सिर लगाकर दूसरा जीवन दिया गया तभी से गणेश गजानन कहलाए जाने लगे। इस दिन से भगवान गणपति को प्रथम पूज्य होने का गौरव भी हासिल हुआ। सकट चौथ के दिन ही भगवान गणेश को 33 करोड़ देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त हुआ। तभी से यह तिथि गणपति पूजन की तिथि बन गई। कहा जाता है कि इस दिन गणपति किसी को खाली हाथ नहीं जाने देते हैं।
Published on:
07 Jan 2023 01:33 am
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