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छेड़खानी, दुष्कर्म के साथ 11 धाराएं ऐसी जिनके आरोप सिद्ध होते ही नौकरी से धाेना पड़ सकता है हाथ

  बिलासपुर. राज्य शासन द्वारा महिला संबंधी अपराधों में आरोपी को सजा मिलने पर सेवा से अलग करने और आरोप लगने पर उम्मीदवार को अंतिम निर्णय तक नौकरी नहीं दिए जाने का फरमान जारी किया है। इस आदेश के साथ सामान्य प्रशासन विभाग ने 11 धाराओं की जानकारी देते हुए प्रदेश के सभी विभाग प्रमुखों को गाइडलाइन जारी कर इसका कड़ाई से पालन करने का फरमान जारी किया है।

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छेड़खानी, दुष्कर्म के साथ 11 धाराएं ऐसी जिसके आरोप लगने पर जा सकती है नौकरी

छेड़खानी, दुष्कर्म के साथ 11 धाराएं ऐसी जिसके आरोप लगने पर जा सकती है नौकरी


सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव डॉ कमलप्रीत सिंह ने जारी आदेश में कहा है कि छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (सेवा की सामान्य शर्ते) नियम, 196। के नियम 6 केउप-नियम (4) में प्रावधान है कि कोई भी उम्मीदवार जिसे महिलाओं के विरूद्ध किसी अपराध का सिद्ध दोष ठहरायागया हो, किसी सेवा या पद पर नियुक्ति के लिये पात्र नहीं होगा। लेकिन जहां तक किसी उम्मीदवार के विरूद्ध न्यायालय में ऐसे मामले लंबित हों तो

उसकी नियुक्ति का मामला आपराधिक मामले का अंतिम फैसला होने तक लंबित रखा जाएगा। इसके साथ ही बालिकाओं और महिलाओं से संबंधित ऐसे अपराध जो अधेपतन की श्रेणी में आते हैं उन मामलों में अंतिम निर्णय से तक उम्मीदवारों की नियुक्त और सेवाओं के प्रकरण लंबित रहेंगे। इस आदेश के तहत सामान्य प्रशासन विभाग ने विभाग प्रमुखाें को 11 अलग-अलग धाराओ का उल्लेख करते हुए धाराओं के तहत आरोपी व्यक्ति की नियुक्ति न्यायालय के अंतिम आदेश तक नियुक्ति को लेकर प्रतिबंधित रखने के आदेश दिए हैं।

ये हैं धाराएं और उनसे संबंधित अपराध
धारा - अपराध

354- छेड़खानी, छेड़छाड़
376- बलात्कार

376क- बलात्कार
376ख- बलात्कार

376ग- बलात्कार
376घ- बलात्कार

509- स्त्री की लज्जा भंग करना
493- विवाहित होने का झूठा आश्वासन देकर शोषण करना

496- विधपूर्वक विवाहित नहीं होने के बाद भी कपटपूर्ण या बेइमानी से विवाहित होने का कर्म करना
498- पति या उसके नातेदारों द्वारा क्रूरता करना या प्रताड़ित करना

पोस्को एक्ट- 2012- 18 वर्ष की आयु से कम आयु के बच्चों को यौन शोषण देना
टॉपिक एक्सपर्ट
प्रो. हर्ष पांडेय

समाज शास्त्र विभाग, एबीयू
सरकार का यह निर्णय कि यदि कोई व्यक्ति किसी महिला के साथ छेड़खानी अथवा लैंगिक भेदभाव करता है तों उसे सरकारी नौकरी से वंचित कर दिया जाएगा। इससे समाज में सकारात्मक बदलाव आएगा और महिला अपराध में कमी आएगी , लेकिन इस कानून का दुरूपयोग भी होने की संभावना है इसलिए इसमें यह भी प्रावधान किया जाना चाहिए कि यदि आरोप ग़लत पाया गया तों आरोप लगाने वाले को भी वही परिणाम मिलना चाहिए तभी इस कानून की महत्ता क़ायम हो पाएगी और स्वस्थ और समानता वादी समाज की स्थापना हो सकेगी।

टॉपिक एक्सपर्ट
जीपी कौशिक

वरिष्ठ अधिवक्ता
सरकारी नौकरी में रहने वाले मनचलों के लिए दंड का दायरा कम होने के कारण उनके हौसले और बुलंद होते जा रहे थे। इस कानून के लागू होने से सरकारी सेवा में चरित्रवान लोग आएंगे और जो सेवा में रहकर मलचले हैं उन्हें भी बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। इसके सुखद परिणाम सामने आएंगे। यह एक दूरगामी सोच है और इससे आने वाले समय में महिलाओं और बच्चों के लिए समाज में अच्छा वातारवण निर्मित होगा।

टॉपिक एक्सपर्ट
विनय दुबे

क्रिमिनल लॉयर
यह कानून संविधान के विपरीत है। कानून में एकरतफा प्रावधान है दोनों पक्षों को सुनने के बाद ही विचार किया जाना जरूरी होता है। इससे रंजिश रखने वालों को अपना मकसद पूरा करने में मदद मिलेगी और निर्दोष व्यक्ति को न्यायालीन प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा। दोषी पाए जाने पर कड़ी सजा दी जानी चाहिए, लेकिन दोष सिद्ध नहीं होने पर झूठी शिकायत करने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई का प्रावधान होना चाहिए । क्षतिपूर्ति की लालच में आकर मामले दर्ज कराने के कई उदाहरण सामने आ चुके हैं। इसलिए इसमें दोनों पक्षों के लिए बराबर प्रावधान होने चाहिए।