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शहर से लगे रानीगांव को गन्ना उत्पादन का गढ़ कहा जाता है। यहां बीते वर्ष गन्ने की खेती 3.8 हेक्टेयर में हुई थी, लेकिन इस वर्ष रानीगांव के गन्ने की खेती के रकबे में 1 हेक्टेयर की कमी आई है। इस बार 2.8 हेक्टेयर में ही गन्ने की खेती हुई है। रानीगांव में गन्ने की खेती करने वाले नरेश गहवई ने बताया कि गन्ने का रकबा कम होने के साथ ही इस बार गन्ने के उत्पादन में कमी आई है।
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बीते वर्ष की तुलना में बाजार में कम आवक दाम बढ़ने के कारण व्यापारी महंगा गन्ना खरीदने से कतरा रहे हैं। बीते वर्ष की तुलना में इस बार बाजार में कम जगह ही गन्ने की फुटकर दुकानें लगी हैं। रानीगांव से लाए जाने वाले गन्ने भी शहरी क्षेत्र में कम हैं।किलर पॉइंट बनी भिलाई की सड़कें… रोजाना हो रहे हादसे, 200 से अधिक लोगों ने गंवाई जान
कवर्धा और अंबिकापुर में भी महंगा
शहर के आधे से अधिक गन्ना व्यापारी इस वर्ष कवर्धा और अंबिकापुर से गन्ना खरीदे हैं। गन्ना व्यापारी निलेश कश्यप ने बताया कि अंबिकापुर में बीते वर्ष की तुलना में इस बार कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। गन्ने के आकार के अनुसार किसान थोक के भाव तय किए हैं। पिछली बार जहां गन्ने की कीमत 15 रुपए थी वह अब 18 रुपए हो गई है। वहां से बिलासपुर तक लेकर आने और हमाली खर्च जोड़ने के बाद 5 रुपए के मुनाफे में 1 गन्ना 30 रुपए तक किया गया है। शहर में रहने वाले साहिल खान ने बताया कि कवर्धा में गन्ने की कमी बढ़ गई है और थोक में 1 गन्ना 12-15 रुपए में आकार के अनुसार मिल रहा है। बाजार में इसकी कीमत 20-25 रुपए है।