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वहीं, जिले के विभिन्न अस्पतालों में 2384 महिलाओं की नसबंदी की गई थी। जबकि राज्य शासन की ओर से जनसंख्या नियंत्रण के लिए पुरुषों और महिलाओं को नसबंदी के लिए प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है। इसमें महिलाओं के मुकाबले पुरुषों को अधिक रकम मिलती है। इसके बावजूद पुरुष नसबंदी के लिए आगे नहीं आते हैं। सीएमएचओ डॉ. प्रमोद महाजन ने बताया कि इसके पीछे कई भ्रांतियां है। इसके कारण विभाग की ओर से जागरूकता अभियान चलाया जाता है।महिला से पुरुष नसबंदी बेहतर
नसबंदी कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. राजेश पटेल ने बताया पुरुष नसबंदी और स्त्री नसबंदी में किसी एक को चुनना हो, तो पुरुष नसबंदी को चुनना बेहतर होगा। पुरुष नसबंदी का ऑपरेशन आसान है। इसमें अस्पताल में भर्ती होने की भी जरूरत नहीं पड़ती। ऑपरेशन के बाद पुरुष चलकर भी घर जाने की हालत में रहता है।
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पुरुष नसबंदी गर्भ रोकने का एक स्थायी तरीका भी है। इससे पुरुष की सिर्फ प्रजनन शक्ति को खत्म किया जाता है, उसका पुरुषत्व, जो हॉर्मोन पर आधारित है, वह जस-का-तस रहता है। नसबंदी के बाद पुरुष की सेक्स करने की इच्छा, प्राइवेट पार्ट में तनाव, चरमसीमा का आनंद और वीर्य की मात्रा जितनी पहले थी, उतनी ही रहती है।पांच साल में हुए नसबंदी
वर्ष पुरुष महिला
2020 00 249
2019 19 2384
2018 40 2277
2017 787 2306
2016 72 1861