1. आपका मानना है कि बार-बार और ज्यादा बोलने से ही किसी बात का असर होता है!
अ: सहमत
ब: असहमत
2. आप सिर्फ सुनने में यकीन करते हैं, अच्छी तरह से श्रवण करना आपको नहीं आता!
अ: सहमत
ब: असहमत
3. आप उन वाचालों में एक हैं जो एक बार बोलना शुरू कर दें तो सुनने वाले तौबा कर लेते हैं!
अ: सहमत
ब: असहमत
4. आप कोई बात ध्यान से केवल तभी सुनते हैं जब उसमें आपके नफा-नुकसान का मामला हो!
अ: सहमत
ब: असहमत
5. आप डॉक्टर के यहां भी जाएं तो उनकी सुनने की बजाय अपनी सुनाकर आ जाते हैं!
अ: सहमत
ब: असहमत
6. आप चर्चा या बहस में वर्चस्व जमाने के लिए कैसे भी तर्क-कुतर्क दे सकते हैं!
अ: सहमत
ब: असहमत
7. आपको अपने कानों, उसके कामों और मस्तिष्क से उसके संबंध के बारे में कुछ पता नहीं!
अ: सहमत
ब: असहमत
8. आपका अनुभव है कि चुप रहकर सुनने से लोग आपको दब्बू, मूर्ख या डरपोक समझते हैं!
अ: सहमत
ब: असहमत
9. आप सहमत हैं कि आपको अपनी सुनने की आदत को श्रवण करने की पक्की आदत में बदलना चाहिए!
अ: सहमत
ब: असहमत
स्कोर और एनालिसिस –
अब तक नहीं सीखा ‘अच्छा सुनना’ : यदि आप 7 या उससे ज्यादा सवालों से सहमत हैं तो आपको सुधार की जरूरत है। यदि आप चाहते हैं कि आप जो बोलते हैं उसे सुना जाए तो आप भी दूसरों के साथ ऐसा ही करें। सजग और शांत रहकर पूरी बात सुनें। इससे तनाव कम होगा, जानकारी अच्छी मिलेगी और व्यक्तित्व का विकास होगा।
आपके सुनने और बोलने में दम है : यदि आप 7 या उससे ज्यादा सवालों से असहमत हैं तो अच्छी बात है कि आपने सुनने और बोलने में अनुशासन बनाकर रखा है। आपने इस गुण को स्वयं विकसित किया है। यह आपके चरित्र की विशेषता भी है। अपनी इस आदत को बनाए रखें और दूसरों को भी प्रेरित करें।