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‘रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप लगते हैं…’, राइटर ने अस्पताल में लिखा फिल्म ‘शहंशाह’ का क्लाइमैक्स, एक दिन बाद हुई थी मौत

बॉलीवुड के महानायक, शहंशाह, एंग्री यंग मैन अमिताभ बच्चन के ना जाने कितने नाम हैं। इनकी फैन फॉलोइंग लाखों में है। अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) बॉलीवुड के वो महान कलाकार हैं जो पिछले 5 दशकों से फिल्म इंडस्ट्री में लगातार काम कर रहे हैं। आज भी इनसे जुड़ी हर अपडेट को जानने के लिए फैंस बेताब रहते हैं। उनकी एक्टिंग से लेकर उनके बात करने का अंदाज और व्यवहार फैन्स को खूब पसंद आता है।

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Shweta Bajpai

Aug 08, 2022

amitabh bachchan film shahenshah

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बॉलीवुड के शहंशाह यानी अमिताभ बच्चन की पहली फिल्म साल 1969 में 7 नवंबर को आई थी, जिसका नाम सात हिंदुस्तानी था। तब से लेकर आज तक अमिताभ बच्चन का काम जारी है। टीनू आनंद के निर्देशन में बनी फिल्म शहंशाह अमिताभ बच्चन के करियर के लिए बड़ी ब्लॉबस्टर साबित हुई थी। यह फिल्म 1988 में आई थी और उस साल अनिल कपूर-माधुरी दीक्षित की 'तेजाब' के बाद दूसरी सबसे बड़ी हिट रही थी। अमिताभ के अलावा इसमें मीनाक्षी शेषाद्रि और अमरीश पुरी मुख्य भूमिकाओं में थे। फिल्म का डायलॉग 'रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप लगते हैं, नाम है शहंशाह' की गूंज आज भी कायम है, लेकिन क्या आपको पता है कि इस फिल्म के क्लाइमैक्स को राइटर ने अस्पताल में लिखा था। जी हां सुनकर चौंक गए न, लेकिन ये बात एक दम सच है।

आज भी याद किए वाले इन फिल्म के डायलॉग्स को इंदर राज आनंद ने लिखा था, लेकिन ‘शहंशाह’ के दौरान इंदर राज आनंद की तबीयत बेहद खराब हो गई थी, जिसके चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन फिल्म का क्लाइमैक्स अभी लिखा जाना बाकी था। इंदर टीनू आनंद के पिता थे। एक दिन अस्पताल में बेटे टीनू के चेहरे पर तनाव देख इंदर समझ गए कि इसे फिल्म के अंत की चिंता है, जो अभी तक अधूरा है। तब उन्होंने टीनू आनंद को बिस्तर पर लेटे हुए इशारे से अपने पास बुलाया कहा कि बेटे तुम चिंता मत करो मैं तुम्हें बीच में नहीं छोड़ूंगा। मैं लोगों को यह नहीं कहने दूंगा कि एक पिता ने अपना क्लाइमेंक्स पूरा लिखे बिना अपने बेटे को छोड़कर चला गया, फिर उन्होंने अस्पताल में ही फिल्म का क्लाइमैक्स लिखा। फिल्म के क्लाइमेक्स शूट होने से पहले इंदर का निधन हो गया था। बताया जाता है कि फिल्म के क्लाइमैक्स की स्क्रिप्ट अपने बेटे टीनू आनंद को देने के एक दिन बाद ही उनकी मौत हो गई थी।

टीनू आनंद ने एक बार इंटरव्यू में बताया, ‘जब मैं अस्पताल गया तो मेरी फिल्म लगभग खत्म होने की कगार पर थी, जबकि क्लाइमेक्स के डायलॉग पूरे नहीं थे। मैं चिंतित था क्योंकि मैं चाहता था कि वह डायलॉग के पूरे 23 पन्नों को जल्द खत्म कर दें। इन सभी डायलॉग को अमिताभ बच्चन द्वारा अदालत में बोला जाने वाला था, जो फिल्म के लिए बहुत जरूरी था। उन्होंने (इंदर) ने मेरे चेहरे पर टेंशन देखी। फिरमुझे अपनी तरफ बुलाया, ऑक्सीजन मास्क लगाया, और कहा, ‘चिंता मत करो बेटा, मैं तुम्हें नहीं छोड़ूंगा। मैं लोगों को यह नहीं कहने दूंगा कि एक पिता ने अपना क्लाइमेंक्स पूरा लिखे बिना अपने बेटे को छोड़कर चला गया। आपको विश्वास नहीं होगा आखिरी दिन क्लाइमैक्स पूरा करने के बाद उन्होंने अंतिम सांस ली, वह अस्पताल में मेरे क्रू-मेंबर के साथ बैठे थे और पूरा क्लाइमेक्स सीन लिखा।

'शहंशाह' के प्रदर्शन से पहले कुछ प्रतिपक्षी पार्टियों ने भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर अमिताभ बच्चन के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था। अमिताभ उस समय कांग्रेस सांसद थे और उनके दोस्त राजीव गांधी प्रधानमंत्री। विरोध की वजह से 'शहंशाह' को प्रदर्शन की तारीख (12 फरवरी, 1988) से दो दिन पहले सेंसर बोर्ड सर्टिफिकेट मिल पाया था।