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ना जेब में पैसा, ना खाने को रोटी, सड़क पर रहकर जिंदगी गुजार रहे इस कलाकार ने की, इस तरह से अपनी ‘हसरत’ पूरी

मशहूर गीतकार हसरत जयपुरी(Hasrat Jaipuri ) का जन्म 15 अप्रैल1922 को हुआ था
17 सितम्बर 1999 को लंबी बीमारी के चलते उनका निधन हो गया

May 20, 2020 / 11:04 am

Pratibha Tripathi

Forgotten memories of Lyricist Hasrat Jaipuri

Forgotten memories of Lyricist Hasrat Jaipuri

नई दिल्ली। हिंदी सिनेमा जगत में कई सितारें ऐसे बने है जिसने अपनी कला की दम से अपनी किस्मत के सितारे को चमकाया है और हमेशा के लिए अमर हो गए है उन्ही में से एक कलाकार जो अब इस दुनिया में नही है लेकिन उनकी अनमोल कला आज भी इंडस्ट्री में गूंजती रहती है। आज हम बात कर रहे हैं मशहूर गीतकार हसरत जयपुरी की जो सड़को से होकर आसमान की बुंलदियों को छूने का हौसला रखता था।

हिंदी फिल्मों के मशहूर गीतकार हसरत जयपुरी का नाम बॉलीवुड में किसी भी परिचय का मोहताज नहीं है। बैसे तो इनका असली नाम इकबाल हुसैन था। लेकिन विरासत में मिली शेरो- शायरी ने उन्हें ऐसा शायर बना दिया कि सैकड़ो ठोकरे खाने के बाद यह हीरा हसरत जयपुरी के नाम से पहचाने जाने लगा।

हसरत जयपुरी की मां फिरदौसी बेगम भले ही शायरी नही करती थी लेकिन विरासत में मिली इस शेरो शायरी से वो अपने बेटे को दूर रखना चाहती थीं। लेकिन हसरत इस शौक को अपने से दूर नही कर पाए,जिसके चलते मां ने उन्हें धमकी दे डाली की अगर शायरी करोगे तो मेरे घर से बाहर निकल जाओ।

मां के घर से निकालने के बाद इकबाल मुंबई आ गए। मुंबई पहुंचकर उनके जीवन के संघर्षों की शुरूआत हो गई। उस वक्त ना जेब में पैसा था, ना खाने के लिए रोटी और ना ही रहने को घर, इतने बड़े अंजान शहर में उनका अपनी भी कोई नही था, कि रहने का सहारा मिल जाए। उन्होंने बहुत सी रातें फुटपाथ पर काटी। फिर उन्हें एहसास हुआ कि जीने के लिए कमाना भी जरूरी है और काम की तलाश पर निकलने के बाद आखिरकार इकबाल को बस कंडक्टर की नौकरी मिल गई, लेकिन इसके बाद भी शेरों-शायरी को खुद से वो दूर नहीं रख पाए।

शायर होने के साथ-साथ इकबाल साहब दिलफेक भी हुआ करते थे जब भी बस में कोई खूबसूरत लड़की नजर आती तो वो उसका टिकट ही नहीं काटते थे। कंडक्टरी के साथ साथ वो अपने शौक को पूरा करने के लिए मुशायरे में जाने लगे, और यही से उनकी जिंदगी का सबसे हसीन मोड़ मिल गया,जब इस मुशायरे पर पृथ्वीराज कपूर की नजर इकबाल पर पड़ी और उन्होंने राज कपूर से इकबाल को मिलवा दिया।

राज कपूर ने उनकी कला को देख फिल्म ‘बरसात’ में गाना लिखने का काम दे दिया। इकबाल ने अपना पहला गाना लिखा जिसके बोल थे, ‘जिया बेकरार है छाई बहार है’। गाना लोगों को बेहद पसंद आया। इस गाने के हिट होने के बाद उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री के लिए बहुत से गाने लिखे। इतना ही नहीं राज कपूर की तो लगभग हर फिल्म के गाने हसरत ने ही लिखे।

पहली फिल्म के बाद ही हसरत का नाम फिल्म इंडस्ट्री में पहचान बन गया और उनकी जोड़ी शंकर जयकिशन और शैलेंद्र जैसे संगीतकारों के साथ बन गई। फिर इस तिकड़ी ने मिलकर कई गाने लिखे। लेकिन जब साल 1971 में जयकिशन का देहांत हुआ तो ये तिकड़ी बिखर गई।

बात करें हसरत जयपुरी की पर्सनल लाइफ की तो उन्होंने साल 1953 में शादी की, उनके तीन बच्चे हैं और तीनों इस समय मुंबई में ही रहते हैं। 17 सितम्बर 1999 को लंबी बीमारी के चलते उनका निधन हो गया. मगर दुनिया के लिए वो अमर हो गए।

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