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‘The Zoya Factor’ movie review: लक और हार्डवर्क के बीच किसकी होती है जीत ये बताएगी फिल्म

नई दिल्ली: हर किसी की लाइफ में कोई चीज या कोई इंसान उसके लिए लकी होता है। मगर जब यह फैक्टर अंधविश्वास में बदल जाए तो फिर मेहनत और टैलंट की ऐसी-तैसी हो जाती है। यही निर्देशक अभिषेक शर्मा ने 'द जोया फेक्टर' से बताने की कोशिश की है । लेखिका अनुजा चौहान की किताब 'द जोया फैक्टर' पर ये फिल्म बनी है।

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Sunita Adhikari

Sep 20, 2019

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नई दिल्ली: हर किसी की लाइफ में कोई चीज या कोई इंसान उसके लिए लकी होता है। मगर जब यह फैक्टर अंधविश्वास में बदल जाए तो फिर मेहनत और टैलंट की ऐसी-तैसी हो जाती है। यही निर्देशक अभिषेक शर्मा ने 'द जोया फेक्टर' से बताने की कोशिश की है । लेखिका अनुजा चौहान की किताब 'द जोया फैक्टर' पर ये फिल्म बनी है।

जोया (सोनम कपूर) 25 अगस्त 1983 को जन्म लेती है, जिस दिन इंडिया पहली बार वर्ल्ड कप का खिताब जीतती है तो बस इसी वजह से जोया को उसका क्रिकेटप्रेमी परिवार लकी चार्म का खिताब दे देता है। उन्हें लगता है कि इंडिया के वर्ल्ड कप जीतने में जोया की पैदाइश का हाथ है। उसके बाद से गली का क्रिकेट हो या जोया की जॉब हर जगह जोया का लक फैक्टर ऐन वक्त पर उसकी डूबती नैया को पार लगा जाता है।

फिल्म की कहानी

जोया एक ऐड एजेंसी में काम करती है। एक दिन जोया को उसकी ऐड एजेंसी इंडियन क्रिकेट टीम का फोटोशूट करने भेजती है। वहां जोया और भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान निखिल खोडा (दुलकर सलमान) पहली नजर में एक-दूसरे को दिल दे बैठते हैं। अगले दिन नाश्ते की टेबल पर भारतीय क्रिकेट टीम के साथ नाश्ता करते हुए जब जोया सभी को यह बताती है कि उसके घरवाले क्रिकेट के लिए उसे लकी चार्म मानते हैं, तो टीम के कई खिलाड़ी इस बात से प्रभावित नजर आते हैं। उसी दिन जब इंडिया अविश्वसनीय तरीके से मैच जीत जाती है, तो टीम का यह भरोसा पक्का हो जाता है कि जोया क्रिकेट के मामले में लकी है।

वहीं, दूसरी तरफ निखिल खोड़ा हैं जो लक पर नहीं बल्कि हार्डवर्क पर यकीन रखते हैं। लेकिन इस बीच जोया निखिल एक -दूसरे को डेट करते हैं, दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ती हैं। वहीं जोया को क्रिकेट टीम का लकी चार्म

का विश्वास धीरे-धीरे हद से ज्यादा बढ़ने लगते है। लेकिन ये बात निखिल को पसंद नहीं आती और इस सब में जोया निखिल के प्यार में पड़ जाती है दरार।

द जोया फेक्टर की कहानी बहुत ही सिम्पल है। सोनम कपूर कहीं-कहीं ओवरएक्टिंग करने लगती है। और ये फिल्म भी सोनम की बाकी फिल्मों जैसी ही लगती है। बात करें दुलकर सलमान की तो वो इस मूवी की जान है। उनकी एक्टिंग बहुत ही शानदार थी। उनके लुक्स और एक्टिंग दर्शकों को फिल्म की एडिंग तक रोक सकती है। संजय कपूर, अंगद बेदी और मनु ऋषि ने भी अच्छी एक्टिंग की है. ओवरऑल मूवी बताती यही है कि हार्डवर्क ही आपको सफलता दिला सकती है।