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करीना कपूर के बयान पर विवेक अग्निहोत्री का निशाना- ‘जब अच्छी फिल्मों का बायकॉट होता है तब बॉलीवुड माफिया क्यों चुप हो जाते हैं?’

भले ही तमाम विरोधों के बीच आमिर खान की फिल्म ‘लाल सिंह चड्ढा’ रिलीज हो गई हो, लेकिन इस फिल्म के बहिष्कार को लेकर बहस आज भी छिड़ी हुई है। फिल्म लाल सिंह चढ्ढा के विरोध के बाद तमाम फिल्म निर्माता, निर्देशक और आर्टिस्ट इस विषय पर मंथन कर रहे हैं कि आखिर फिल्मों में कहा कमी रह जा रही है। इस फिल्म का जमकर विरोध हुआ। फिल्म को लेकर बायकॉट की मांग सोशल मीडिया पर तेजी से उठी। फिल्म रिलीज तो हुई लेकिन कहीं न कहीं ये बायकॉट की भेंट चढ़ गई। इब इसपर विवेक अग्निहोत्री का रिएक्शन सामने आया है।

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Shweta Bajpai

Aug 19, 2022

vivek agnihotri furious on kareena kapoors statement on laal singh chadha boycott

vivek agnihotri furious on kareena kapoors statement on laal singh chadha boycott

इन दिनों बॉलीवुड सेलेब्स लोगों के निशाने पर आ गए हैं। उनकी पुरानी गलतियों का हिसाब लोग उनके फिल्म को बायकॉट करके ले रहे हैं, जिसका असर बॉक्स ऑफिस पर साफ देखने को मिल रहा है। ‘लाल सिंह चड्ढा’ में मुख्य किरदार निभाने वालीं एक्ट्रेस करीना कपूर ने भी सोशल मीडिया पर लोगों से फिल्म देखने की अपील की थी। अब इस पर विवेक अग्निहोत्री ने तंज कसा है।

इन दिनों बॉलीवुड सेलेब्स लोगों के निशाने पर आ गए हैं। उनकी पुरानी गलतियों का हिसाब लोग उनके फिल्म को बायकॉट करके ले रहे हैं, जिसका असर बॉक्स ऑफिस पर साफ देखने को मिल रहा है। ‘लाल सिंह चड्ढा’ में मुख्य किरदार निभाने वालीं एक्ट्रेस करीना कपूर ने भी सोशल मीडिया पर लोगों से फिल्म देखने की अपील की थी। अब इस पर विवेक अग्निहोत्री ने तंज कसा है।

विवेक अग्निहोत्री का कहना है कि जब छोटे बजट की अच्छे कंटेंट वाली फिल्में (द कश्मीर फाइल्स) आती हैं और उसका विरोध होता है, तब उसे कोई क्यों नहीं सपोर्ट करता। जब इस इंडस्ट्री का इंडिपेंडेंट फिल्ममेकर छोटे बजट की फिल्म बनाता है और वो रिलीज होती है, तो बॉलीवुड माफिया फिल्म का बहिष्कार करते हैं। जब उनके शो मल्टीप्लेक्स द्वारा छीन लिए जाते हैं, जब आलोचक छोटी फिल्मों के खिलाफ गिरोह बनाते हैं। तब कोई उन 250 गरीब लोगों के बारे में नहीं सोचता, जिन्होंने फिल्म के लिए कड़ी मेहनत की है।”

विवेक ने बॉलीवुड पर निशाना साधते हुए कहा कि बॉलीवुड के बादशाह बाहरी एक्टर, डायरेक्टर्स और राइटर्स को बायकॉट करते हैं और उन पर बैन लगाकर उनका करियर बर्बाद कर देते हैं। उस वक्त कोई आवाज क्यों नहीं उठाता? जिस दिन आम भारतीयों को बॉलीवुड के डॉन के अहंकार, फासीवाद और हिंदूफोबिया के बारे में पता चलेगा, वो उन्हें गर्म कॉफी में डुबो देगें।

निर्देशक ने आगे कहा बहिष्कार करना एक व्यक्तिगत अधिकार है। हम नारीवादी, आदिवासी, पशु अधिकारों की बात करते हैं। इसलिए, मुझे लगता है कि किसी भी चीज का बहिष्कार करना एक व्यक्तिगत अधिकार है। लेकिन सोचने वाली बात यह है कि यूं अचानक बहिष्कार की स्थिति आई क्यों? अगर कोई टूथपेस्ट बेचने वाली कंपनी, अपने ही ग्राहकों का मजाक उड़ाने लगे, और बोले कि जो कोई भी इस टूथपेस्ट का उपयोग कर रहा है वह सब इडियट्स हैं। तो आप कितने दिनों तक उस टूथपेस्ट का इस्तेमाल करेंगे? मुझे लगता है कि यह आत्मनिरीक्षण की बात है। इस बात पर विचार करना चाहिए कि आज यह स्थिति क्यों आई है।