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एजुकेशन सेक्‍टर : बजट में व्यावसायिक प्रशिक्षण को प्रोत्साहित करें वित्‍त मंत्री

आम बजट पेश होने की उल्‍टी गिनती शुरू हो गई है।

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नई दिल्‍ली. आम बजट पेश होने की उल्‍टी गिनती शुरू हो गई है। 1 फरवरी को वित्‍त मंत्री अरुण जेटली के पिटारे से क्‍या-क्‍या निकलेगा यह तो वक्‍त ही बताएगा लेकिन आर्थिक सर्वे से एक बात साफ हो गई है कि इस बार के बजट में नौकरियों को अवसर बढ़ाने पर जोर होगा। उम्‍मीदों का बजट में आज हम एजुकेशन सेक्‍टर की मांग को वित्‍त मंत्री तक पहुंचा रहे हैं।


सेवा प्रदाताओं को इंसेंटिव प्रदान किया जाए
क्ले स्कूल्स के संस्थापक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रिया कृष्णन ने पत्रिका को बताया कि मौजूदा परिदृश्य को देखें तो हम चाहेंगे कि सरकार हमारे जैसे सेवा प्रदाताओं को इंसेंटिव प्रदान करेगा जोकि जीएसटी नहीं वसूलते हैं। दूसरी ओर, हमने किराए और दूसरी संबंधित सेवाओं पर उच्च जीएसटी का भुगतान किया है, यहां तक कि कैपेक्स पर हमने 28 प्रतिशत का जीडीपी चुकाया है। मौजूदा समय में जीएसटी के उच्च परिदृश्य में कंपनियों को ऑफसेट करने की कोई विधि नहीं है और संभवतः सरकार को इस बारे में सोचना चाहिए। इसके अतिरिक्त, माता-पिता को वाउचर्स एवं कूपन्स के रूप में कर-पूर्व लाभ प्रदान करना भी अच्छा आइडिया है। यह कामकाजी माता-पिताओं के लिए काफी बड़ी राहत होगी।


पाठ्यक्रमों में कौशल प्रशिक्षण पर हो जोर
एसेंटएचआर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री सुब्रमण्यिम ने बताया कि रोजगारपरकता पिछले एक दशक में बड़ी चिंता बना हुआ है और सरकार द्वारा कौशल पर खर्च की गई कोई भी राशि इच्छित परिणामों को नहीं दिखा रही है। सरकार को स्कूलों/विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रमों के हिस्से के तौर पर व्यावसायिक प्रशिक्षण/कौशल को प्रोत्साहित करना चाहिये। साथ ही निजी उद्यमियों द्वारा ऐसी प्रणालियों के स्वैच्छिक अनुकूलन को भी प्रेरणा देनी चाहिये। इससे रोजगारपरक टेलेंट का समूह भी निर्मित होगा। परिवार में बढ़ती कमाई से पहले ही दोहरी रोजगारपरकता की आवश्यकता को कम किया है और इससे जॉबलेस आबादी को बढ़ावा नहीं मिलना चाहिये।


कई राहत मिलने की उम्‍मीदें
आइस्कॉलर एजूकेशन के चीफ बिजनेस ऑफीसर श्रीधर उपाध्य ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में मौजूदा मोदी सरकार द्वारा किए गए सुधारों ने कई उद्यमियों की उम्मीदों को बढ़ाया है। इससे स्आर्टअप्स एवं अन्य व्यावसायों की अपेक्षायें इस साल के बजट से काफी अधिक बढ़ गई हैं। स्टार्टअप्स में देखें तो इस साल कुछ प्रमुख फंडिंग पर एड-टेक कंपनियों का दबदबा रहा। जोकि स्कूल और विश्वविद्यालयों की जरूरतों को पूरा करती हैं। इस साल के बजट में क्या होगा, एड-टेक क्षेत्र उत्सुकता से इसका इंतजार कर रहा है।