मजदूर वर्ग का नहीं बजट
वित्त मंत्री की ओर से गुरुवार को पेश किए आम बजट पर भारतीय मजदूर संघ का कहना है कि सरकार यह ने मजदूरों और नौकरीपेशा वर्ग का बजट नहीं है। बजट में मजदूर वर्ग को बिल्कुल तवज्जो नहीं दी गई है। यही नहीं अपेक्षा के अनुरूप न तो आयकर स्लैब में कोई बदलाव किया गया और न ही मजदूरों को ध्यान में रखते हुए कोई ऐलान किया गया है। बजट को निराशाजनक बताते हुए भारतीय मजदूर संघ ने बजट शुक्रवार को देशव्यापी प्रदर्शन की घोषणा कर दी है।
नोटबंदी पर उठाए थे सवा
बता दें कि भारतीय मजदूर संघ, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का एक सहयोगी संगठन है। यह संगठन मजदूरों से जुड़ी समस्याओं को उठाता है। ऐसा पहली बार नहीं है, जब संगठन ने बीजेपी नीत सरकार पर हमला बोला हो। इससे पहले भी भारतीय मजदूर संघ मोदी सरकार की नीतियों की आलोचना करता रहा है। नोटबंदी और जीएसटी जैसे मसलों पर भी संगठन काफी मुखर रहा है। संगठन ने केन्द्र सरकार के दोनों कदमों को मजदूर वर्ग के लिए काफी नुकसानदेह बताया था। उधर, पीएमके के संस्थापक एस. रामदॉस ने गुरुवार को 2018-19 के केंद्रीय बजट को ‘कुल मिलाकर निराशाजनक’ करार दिया। रामदॉस ने यहां एक बयान में कहा कि वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा कृषि से संबंधित प्रस्तावों का फायदा लोगों को तभी मिलेगा जब वे सही तरीके से लागू किए जाएंगे। मोदी सरकार के अंतिम पूर्ण बजट के सवाल पर रामादॉस ने कहा कि ऐसी अपेक्षाएं थीं कि बजट में लोगों के फायदे के लिए कुछ घोषणाएं हो सकती हैं, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। उन्होंने कहा कि कृषि और ग्रामीण विकास के लिए बहुत कुछ अपेक्षित था लेकिन कुछ बड़े बदलाव नहीं हुए।