ऐसे समझिए-
दरअसल, इसको ऐसे समझिए कि बड़ी कारोबारी कंपनियां अपनी जरूरत का डीजल और पेट्रोल सीधे रिफायनरी से खरीदी करती हैं, बजाय पेट्रोल पंप से खरीदने के। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि उन्हें राज्य के भीतर लगने वाला टैक्स नहीं देना होता है। अगर पेट्रोल पंप से खरीदेंगे तो उन्हें राज्य में लगने वाला टैक्स जोड़कर ही भुगतान करना होगा। रिफायनरी से खरीदने पर उन्हें सिर्फ सी-फार्म देना होता है, जिसमें दो फीसदी टैक्स केंद्र सरकार को चला जाता है और राज्य खाली हाथ रह जाते हैं। इससे राज्यों में काफी समय से नाराजगी थी और यह मामला हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जा चुका था और कारोबारियों को ही फायदा हो रहा था। लेकिन अब सरकार ने इसमें बदलाव कर दिया है, अब सी—फार्म का फायदा कारोबारियों को नहीं मिलेगा। उन्हें जिस राज्य की रिफायनरी से पेट्रोल या डीजल खरीद रहे हैं, उसी राज्य का टैक्स जमा कराना होगा। मतलब, इन कारोबारियों से केंद्र सरकार को मिलने वाले दो फीसदी टैक्स का नुकसान होगा, जबकि राज्यों को 22 से 24 फीसदी टैक्स का मुनाफा होगा।