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कॉलेज के शिक्षक ने झोपड़पट्टी के बच्चों की जिंदगी संवारने के लिए उठाया हराहनीय कदम

शिक्षक की चारों ओर हो रही है तारीफ

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Bulandshahar

कॉलेज के शिक्षक ने झोपड़पट्टी के बच्चों की जिंदगी संवारने के लिए उठाया हराहनीय कदम

बुलंदशहर. यूपी में बदहाल शिक्षा व्यवस्था और शिक्षकों की मनमानी की ख़बर तो आपने खूब देखी होंगी, लेकिन हम आपको एक ऐसे शिक्षक के बारे में बताने जा रहे हैं, जो यूँ तो महज़ एक उच्च प्राथमिक विद्यालय का सह अध्यापक है, लेकिन उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में जो काम कर रहे हैं उसकी चारों ओर सराहना हो रही है। भला हो भी क्यों न। जहां लोग जाना भी पसंद नहीं करते हैं। वहां यह शिक्षक जाकर देश के भविष्य की तकदीर संभालने का काम कर रहे हैं। मामला बुलंदशहर के नुमाइश मैदान के झोपड़पट्टी का है। बुलंदशहर उच्च प्राथमिक विद्यालय के सह अध्यापक रिंकू कुमार सिंह यहां पिछले एक साल से बच्चों को पढ़ा रहे हैं। पहले तो उनके पास बच्चे नहीं आते थे, लेकिन अब बच्चे उनके एक इशारे पर पढ़ने चले आते हैं। साथ ही रिंकू ने इन बच्चों का पास के प्राथमिक विद्यालय में भी एडमिशन करा दिया है। वहीं, रिंकू कई सामाजिक संगठनों की मदत से बच्चों के कपड़े,जूते और किताबों का भी ख्याल रखते हैं।

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दरअसल, पुर्व में बुलंदशहर के जिला अधिकारी रहे अंजन्यय कुमार के विचारों से प्रेरित होकर इस शिक्षक ने अपने कांधे पर जो जिम्मा उठाया है उसे देखकर हर कोई वाह वाह कर रहा है। झोपड़पट्टी और झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले ये परिवार और इन परिवारों के सैंकड़ों बच्चे कल तक सड़कों से कूड़ा उठाकर जीवन का भरण पोषण कर रहे थे। या यूं कहें कि भारत के भविष्य कहे जाने वाले बच्चों का ना सिर्फ बचपन, बल्कि ज़िन्दगी बेकार होने जा रही थी। लेकिन, 2017 में बुलंदशहर के डीएम रहे आईएएस अनंजय कुमार के इन मासूमों को शिक्षित बनाने के सपने से प्रभावित होकर रिंकू बुलंदशहर के नुमाइश मैदान में स्तिथ सैंकड़ों झुग्गी-झौंपड़ी के बीच पहुंचे और वहां रहने वाले परिवारों को शिक्षा के प्रति जागरूक करना शुरू कर दिया। इतना ही नहीं, उन्होंने छोटे मासूमों के साथ-साथ उनके अविभावकों को भी शिक्षा की अहमियत बताई और रिंकू ने अपने विद्यालय के टाइम के बाद इन झुग्गी झौंपड़ियों के लिए न सिर्फ टाइम निकालना शुरू किया, बल्कि यहां एक छोटी सी पाठशाला भी बना डाली। वह पाठशाला, जहां बैठकर आज सैंकड़ों मासूम छात्र-छात्राएं पढ़ रहे हैं। रिंकू की इस पहल से जिन बच्चों के माता पिता कभी अपने बच्चों को शिक्षित बनाने के बारे में बिल्कुल नहीं सोचते थे, आज वो उम्मीद जताते हैं कि अगर हमारे बच्चे पढ़ गए तो उन्हें हमारी तरह इन झुग्गियों में ज़िन्दगी नहीं गुजारनी पड़ेगी।

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गौरतलब है कि बुलंदशहर के तात्कालीन डीएम अंजन्यय कुमार ने इन बच्चों को शिक्षित बनाने के लिए कई पहल भी की गईं थी, लेकिन उसके कुछ ही दिन बाद डीएम अंजन्यय कुमार का बुलंदशहर से लखनऊ तबादला हो गया था। जानकारी के मुताबिक अनंजय कुमार अब फतहपुर जिलाधिकारी हैं, लेकिन इन बेसहारा बच्चों की शिक्षा के लिए खुद आगे आकर अंजन्यय कुमार बुलंदशहर में जो चिंगारी जला गए थे, वह अब आग का काम कर रही है। बुलंदशहर उच्च प्राथमिक विद्यालय के सह अध्यापक रिंकू कुमार की माने तो तत्कालीन डीएम अंजन्यय कुमार ने शिक्षकों के साथ चल रही एक मीटिंग में बेसहारा बच्चों को शिक्षित बनाने के लिए अपनी जो राय ज़ाहिर की थी, उसने न सिर्फ रिंकू की सोच, बल्कि उनकी नज़र में शिक्षा के मायने ही बदल गए।

शिक्षा और ऐसे बच्चों को शिक्षित बनाने के लिए आईएएस अंजन्यय कुमार की गंभीरता और शिक्षक रिन्कू द्वारा उठाया गया क़दम वाकई क़ाबिल-ए-तारीफ है। अगर प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाने वाला हर शिक्षक रिन्कू जैसी सोच बना लें, तो यकीन के साथ ये कहा जा सकता है कि ज़रूर पढ़ेगा इंडिया और ज़रूर बढ़ेगा इंडिया।