प्रदेश में रोडवेज के कुल 52 आगार है। सभी में नई बसें पहुंच चुकी है। वहीं कुछ और आना शेष है। ऐसे में नई बसें मिलने के बाद अब आय बढ़ाने के लिए बसों को लम्बी दूरी पर संचालन और कम दूरी वाले मार्ग को बढ़ाने को लेकर प्रयास शुरू कर दिए है। मुख्यालय का मानना है कि नई बसें से लंबी दूरी पर फर्राटे भरने के साथ यात्री अधिक मिलेंगे। मेंटेनेंस अच्छा होने के साथ नई बसों में बैठने में परेशानी नहीं होगी। बूंदी आगार को दो बार में 10 नई बसें मिली थी,हालांकि पांच नई बसें अलवर भेज दी गई। अब पांच नई बसें जल्द बूंदी डिपो को मिलेगी।
बसों के फेरे बढ़ाने के साथ ही ग्रामीण इलाकों में बस शुरू होने से ग्रामीण क्षेत्रों के यात्रियों को ज्यादा फायदा मिलेगा। साथ ही निजी की मनमानी थमेगी। वहीं बस सेवा शुरू होने से ग्रामीणों को आवाजाही का साधन मिलने से सुविधा बढ़ेगी।
आय बढ़ाने के साथ ही कार्मिकों की आठ घंटे की ड्यूटी को लेकर भी यह कवायद की गई है। देखने में आया है कि छोटे मार्ग पर चलने के कारण चालक-परिचालक की ड्यूटी के आठ घंटे पूरे नहीं होते हैं। अब छोटे मार्ग पर चलने वाली बसों को 400 किमी संचालन के लिए प्रतिदिन 3-4 ट्रिप करने पड़ रहे हैं। ग्रामीण रुट पर यात्रीभार लाने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। रूट 60 से 65 किमी होने पर भी समय करीब दोगुना लग जाता है। मार्ग में ठहराव काफी अधिक और यात्री भार भी लाना हैं। इस तरह सुबह 8 से शुरू होने वाली ड्यूटी के खत्म होते-होते रात के आठ बज जाते हैं। ड्यूटी आठ नहीं 10-12 घंटे हो जाती है।
मुख्यालय ने आय बढ़ाने को लेकर कवायद शुरू की है। इसको लेकर डिपो की बसों को 400 किमी का फेरा करना होगा। वर्तमान में बूंदी डिपो की 60 बसें 18 हजार 500 किमी का सफर तय कर रही है’।
सुनीता जैन,मुख्य प्रबंधक,बूंदी डिपो