निधी ने कहा कि विद्यार्थियों को पिछले पांच वर्ष के प्रश्न पत्रों को आवश्यक रूप से देखना चाहिए। इससे पता चलता है कि परीक्षा में किस तरह से प्रश्न आ रहे है कि, किस टॉपिक पर कितने नम्बर के प्रश्न पूछ जा रहे है। ऐसे में उन बिन्दुओं पर अधिक ध्यान देना चाहिए। वहीं सॉल्व पेपर को भी देखना चाहिए कि उन प्रश्नों के उत्तर कैसे लिखे गए है, ताकि नम्बर पूरे मिले। समझ में नहीं आने पर विषय अध्यापक की सहायता ले सकते है।
वैसे तो विद्यार्थी को परीक्षा अवधि में मोबाइल से दूरी रखनी चाहिए, लेकिन विद्यालयों में विषय अध्यापक नहीं होने पर तैयारी करने के लिए एप के जरिए ऑनलाइन पढ़ाई करनी चाहिए। वहीं अपने से सीनियर छात्र का भी सहयोग ले सकते है।
निधी ने बताया कि परीक्षा अवधि में परिवार का सकारात्मक सहयोग बहुत आवश्यक है। अभिभावकों को चाहिए कि वह उन्हें घरेलू कार्य में व्यस्त रखने के बजाय पढ़ाई के लिए समय दे, वहीं विद्यार्थी को भी कसौटी पर खरा उतरने के लिए पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए। बच्चों को दिन को तीन भागों में बांट लेना चाहिए, जिसमें आठ घंटे पढ़ाई, आठ घंटे नींद एवं आठ घंटे में अन्य कार्य किए जा सकते है।
निधी ने बताया कि कई याद किया हुआ भी तनाव में भूल जाते है। ऐसे में भूलने की समस्या से बचने के लिए उन बिन्दुओं पर अन्य छात्रों से मौखिक रूप से चर्चा कर सकते है एवं उन्हें लिख कर भी याद कर सकते है।
परीक्षा में दिमाग पर तनाव को हावी नहीं होने दे, नहीं तो आते है, वो भी भूल जाते है। प्रश्न पत्र आने पर जिनके उत्तर आते है, उन्हें पहले सही तरीके से लिखे। उसके बाद वो प्रश्न जिनके उत्तर के बारे में सही तरीके पूरा याद नहीं है, उसके बारे में जितना याद है, उतना ही लिखे, जो लिखा है वो स्पष्ट होना चाहिए। तथा प्रश्न पत्र सॉल्व करने की गति बरकरार रखनी चाहिए, नहीं तो प्रश्न छूट जाते है।