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holi special : होलाष्टक में मांगलिक कार्यो पर आखिर क्यों लगता है ब्रेक…जानिए

होलाष्टक के आठ दिन मांगलिक कार्यो में विराम

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बूंदी. फाल्गुन शुक्ल अष्टमी 23 फरवरी से होलाष्टक शुरू होगे, जो 8 दिन तक रहेगें। इसमें शुभ कार्य नही होते है। इन आठ दिनों में नवग्रह उग्र होने के कारण होली दहन के दूसरे दिन गुलाल,अबीर, और फूलों से होली खेली जाती है। ज्योतिषाचार्य अमित जैन ने बताया कि होलाष्टक के पहले दिन चंद्रमा दूसरे दिन सूर्य तीसरे दिन शनि चौथे दिन शुक्र पांचवे दिन गुरु छठे दिन बुध सातवे दिन मंगल एवं राहु ग्रह की उग्रता रहती है। इन ग्रहो के निवारण के लिए होली खेली जाती है। होलाष्टक के आठ दिन मांगलिक कार्यो में विराम होता है।

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किस राशि पर किस रंग का महत्व-
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रंगो को उत्साह का प्रतीक माना जाता है। यदि राशि के हिसाब से व्यक्ति रंगो का प्रयोग करें तो उसमें सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा। प्राचीन काल में होली गुलाल एवं टेसू के फूल से खेली जाती थी गुलाल में पुष्प का प्रयोग करने से उत्साह,आत्मविश्वास, दृढता प्रबल होती है।

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होलाष्टक के दौरान ग्रहों का स्वभाव उग्र रहता है-

शास्त्रों का मत है कि होलाष्टक के दौरान ग्रहों का स्वभाव उग्र रहता है, इसलिए ऐसे समय में समस्त शुभ व मांगलिक कार्य को करने की मनाही रहती है। ज्योतिष के अनुसार कोई भी शुभ कार्य तभी सफल होता है, जब उसे ग्रहों की अनुकूलता के दौरान किया जाए।

बिजनेस शुरू करना, नया गृह प्रवेश

होलाष्टक के दिनों में ग्रहों के उग्र होने के कारण नया कार्य प्रारंभ करना, बिजनेस शुरू करना, नया गृह प्रवेश, विवाह, वाहन की खरीदी, जमीन, संपत्ति की खरीदी, मुंडन आदि समस्त मांगलिक व शुभ कार्य वर्जित रहते हैं। होलाष्टक के दौरान किए गए कार्यों से कष्ट होता है। इस दौरान किए गए विवाह संबंध जल्द ही टूट जाते हैं क्योंकि घर में लगातार विवाद, क्लेश बना रहता है।

होलाष्टक की पौराणिक मान्यता

होलाष्टक क्या है इसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव ने कामदेव, जिन्हें प्रेम के देवता कहा जाता है को, फाल्गुन की अष्टमी के दिन ही भस्म किया था। कामदेव की पत्नी रति ने आठ दिनों तक भोलेनाथ से कामदेव को पुन जीवित करने के लिए प्रार्थनाएं की, उनकी अराधना की।

रति की प्रार्थनाएं खाली नहीं गईं, भगवान शिव ने उन्हें स्वीकार किया और कामदेव पुनजीवित हो गए। महादेव के इस निर्णय के बाद सभी ने रंगों का त्यौहार खेलकर खुशी मनाई।


एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार होली के आठ दिन पहले से ही विष्णु भक्त प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप ने उन्हें यातनाएं देनी शुरू कर दी थी। ईश्वर भक्त प्रह्लाद को इन आठ दिनों तक बहुत यातनाएं दी गईं, ताकि वो भगवान विष्णु की भक्ति छोड़ दे। इसलिए इन 8 दिनों तक कोई शुभ काम नहीं किया जाता।

राशि के अनुसार लगाए रंग

मेष: लाल,गुलाबी रंग
वृष: सफेद, क्रीम रंग
मिथुन: हरा,पीला
कर्क- सफेद,क्रीम
सिंह: पीला, केसरिया
कन्या: हरा,गोल्डन रंग
तुला: सफेद पीला
वृश्चिक-लाल,गुलाबी
धनु:लाल,पीला
मकर: नीला,पीला
कुंभ: नीला,हरा
मीन: पीला ,लाल