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बूंदी राजपरिवार की संपत्ति को हड़पने की कूटरचना आखिर किसने की… पढि़ए यहां…

पूर्व केंद्रीय मंत्री व बूंदी के पूर्व राजपरिवार के भानेज भंवर जितेंद्र सिंह सहित तीन जनों के खिलाफ मामला दर्ज

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minister Bhanwar Jitendra Singh former royal family of Bundi case

bundi Principality

बूंदी. पूर्व केंद्रीय मंत्री व बूंदी के पूर्व राजपरिवार के भानेज भंवर जितेंद्र सिंह सहित तीन जनों के खिलाफ यहां कोतवाली थाना पुलिस ने जाली दस्तावेज तैयार करने, धोखाधड़ी व कूटरचित दस्तावेज को षडयंत्र पूर्वक असली के रूप में पेश करने का गुरुवार को मामला दर्ज किया है।पूर्वमंत्री सिंह पर आरोप है कि वे बूंदी रियासत की संपत्ति को हड़पना चाहते हैं। जिसके लिए उन्होंने षडयंत्रपूर्वक राजपरिवार के पूर्व सदस्य रणजीत सिंह के जाली हस्ताक्षर कर फर्जी ट्रस्ट डीड व अर्पणनामे को आधार बनाकर दस्तावेज पेश कर दिए।इस मामले में नई दिल्ली सफदरगंज एनक्लेव निवासी अविनाशचंद्र चांदना ने कोतवाली थाना पुलिस को रिपोर्ट के साथ दस्तावेज प्रस्तुत किए हैं। इसके आधार पर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है।


कोतवाली थानाधिकारी रामनाथ ने बताया कि चांदना की रिपोर्ट के अनुसार बूंदी की पूर्व रियासत के अंतिम महाराजा महाराव बहादुर सिंह थे।उनके पुत्र युवराज रणजीत सिंह व पुत्री महेंद्रा कुमारी थी। महाराजा महाराव बहादुर सिंह का स्वर्गवास 24 नवम्बर 1977 को हुआ था। रणजीत सिंह उत्तराधिकारी के रूप में बूंदी की राजगद्दी पर आसीन हुए। रणजीत सिंह के कोई संतान नहीं थी, पत्नी का भी निधन हो गया था। बहन महेंद्रा कुमारी का विवाह अलवर में हुआ। बूंदी राजघराने रूल ऑफ प्रिमिजीनेचर होने से युवराज रणजीत सिंह ही एक मात्र वारिस बचे थे, लेकिन महेंद्रा कुमारी ने बंूदी रियासत की संपत्ति के बंटवारे का दावा वर्ष 1986 में पेश किया। वाद के दौरान उनका भी स्वर्गवास हो गया। ऐसे में उनके पुत्र भंवर जितेंद्र सिंह ने उत्तराधिकारी के रूप में मुकदमा लड़ा। जयपुर में एडीजे फास्ट ट्रेक नंबर चार में वर्ष २००५ में एक पक्षीय प्रारंभिक डिक्री पारित की गई जिसमें रणजीत सिंह की संपत्ति में 50 प्रतिशत हिस्सा रणजीत सिंह व ५० प्रतिशत हिस्सा भंवर जितेंद्र सिंह का घोषित किया गया। मौके पर कब्जा रणजीत सिंह का था। रणजीत सिंह का पारिवारिक मित्र चांदना था, ऐसे में जयपुर में हुए न्यायालय के फैसले के अनुसार रणजीत सिंह ने अपनी संपत्ति को 30 मार्च 2009 को चांदना के नाम सब रजिस्ट्रार नईदिल्ली के समक्ष पंजीकरण करवा दिया। रणजीत सिंह की तबीयत खराब होने से उपचार के लिए वे चांदना के पास दिल्ली में ही रहे बताए।इस दौरान 7 जनवरी 2010 को दिल्ली में उनकी मौत हो गई।


पुलिस के अनुसार पूर्वमंत्री भंवर जितेंद्र सिंह ने रियासत की संपूर्ण संपत्ति हड़पने के लिए एक संगठित गिरोह बनाया बताया। षडयंत्र रचकर रणजीत सिंह के फर्जी हस्ताक्षर कर लिए।एक मनगढ़ंत साजिश रचकर जाली तरीके से ट्रस्ट डीड/सेवयतनामा 8 मई 2008 को बना लिया। जिसमें लिखा गया कि रणजीत सिंह ने अपने जीवनकाल में अपनी सारी जायदाद कुलदेवी आशापुरा माताजी को समर्पित कर दी है। जिसमें जितेंद्र सिंह को मुख्य सेवायत, श्रीनाथ ङ्क्षसह हाड़ा को सहायक सेवायत/ट्रस्टी बना दिया। सारी संपत्ति को आशापुरा माताजी को अर्पण दर्शाते हुए स्वयं को सेवायत घोषित कर लिया।


चांदना का रिपोर्ट में आरोप है कि उक्त ट्रस्ट जाली तरीके से बनाया गया है।जो रजिस्टर्ड नहीं है, इसके आधार पर सिंह बूंदी की पूर्व रियासत की संपत्ति को षडयंत्रपूर्वक हड़पना चाहते हैं। रणजीत सिंह की वसीयत के आधार पर चांदना ने उनकी संपत्ति का मालिक स्वयं को बताया है। चांदना ने रिपोर्ट में बताया कि रणजीत सिंह ने अपनी संपत्ति आशापुरा माताजी को अर्पित नहीं की।


थानाधिकारी ने बताया कि रिपोर्ट में चांदना ने ८ मई २००८ के अर्पणनामें की सत्यता की जांच की मांग की है। रणजीत सिंह के फर्जी हस्ताक्षर करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। थानाधिकारी ने बताया कि इस मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह, उनके ससुर बिजेंद्र सिंह व श्रीनाथ सिंह हाड़ा के खिलाफ धोखाधड़ी करने, कूटरचित दस्तावेज तैयार करने का मामला दर्ज कर लिया है। मामले की जांच कोतवाली के उपनिरीक्षक तेज सिंह को सौंप दी है।